नई दिल्ली: जहाजरानी मंत्रालय ने सागरमाला कार्यक्रम की तटीय स्थान योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए परियोजनाओं के लिए 2302 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं आंरभ की हैं। मंत्रालय ने नीति आयोग एवं व्यय विभाग के परामर्श से समुचित मूल्यांकन के बाद योजना की अवधि को तीन वर्षों के लिए, 31 मार्च, 2020 तक विस्तारित कर दिया है। मंत्रालय ने अक्टूबर, 2017 में बड़े बंदरगाहों पर कैपिटल ड्रेजिंग तथा तटीय स्थान योजना के लिए डीपीआर की तैयारी को शामिल करने के लिए अपने दायरे को विस्तारित कर दिया।
सागरमाला कार्यक्रम की तटीय स्थान योजना के तहत योजनाओं का वितरण आठ राज्यों में किया गया है, जिसमें सर्वाधिक संख्या में परियोजनाएं महाराष्ट्र (12 परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश एवं गोवा (10 परियोजनाएं), कर्नाटक (6 परियोजनाएं), केरल एवं तमिलनाडु (3 परियोजनाएं), गुजरात (2 परियोजनाएं) एवं पश्चिम बंगाल (1 परियोजना) में हैं। 47 परियोजनाओं में से 1075.61 करोड़ रुपये के बराबर की 23 परियोजनाओं को 390.42 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय सहायता मंजूर की जा चकी है और 230.01 करोड़ रुपये बड़े बंदरगाहों, राज्य सामुद्रिक बोर्डों तथा राज्य सरकारों को जारी किये जा चुके हैं। शेष 24 परियोजनाएं विकास तथा मंजूरी की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
इस योजना से हाल में सर्वाधिक लाभ जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) और कर्नाटक सरकार को क्रमश: जवाहरलाल नेहरू पोर्ट, करवार पोर्ट तथा पुराने मंगलोर पोर्ट में तटीय अवसंरचना के विकास के लिए प्राप्त हुआ। जेएनपीटी में तटीय स्थान (270एमx30एम) के निर्माण के लिए 25 करोड़ रुपये मंजूर किये गये। कर्नाटक सरकार को वर्तमान दक्षिणी बांध के 145 मीटर तक विस्तारित करने, 1160 मीटर के नये उत्तरी बांध का निर्माण करने, करवार बंदरगाह पर तटीय स्थान का निर्माण करने तथा पुराने मंगलोर बंदरगाह पर तटीय स्थान एवं कैपिटल ड्रेजिंग के निर्माण के लिए 114.4 करोड़ रुपये मंजूर किये गये।
तटीय स्थान योजना का लक्ष्य समुद्र या राष्ट्रीय जल मार्ग द्वारा माल ढुलाई या यात्रियों की आवाजाही के लिए अवसंरचना के सृजन हेतु बंदरगाहों या राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। केन्द्र सरकार से स्वीकार्य वित्तीय सहायता परियोजना की कुल लागत का 50 प्रतिशत है, जो निम्नलिखित के अध्यदीन है :- (1) बड़े/छोटे बंदरगाहों द्वारा तटीय स्थान के निर्माण/उन्नयन से संबंधित परियोजनाओं के लिए अधिकतम 25 करोड़ रुपये, (2) बंदरगाहों/राज्य सरकारों द्वारा हूवरक्राफ्ट एवं जल विमानों के लिए प्लेटफार्म/जेटी के निर्माण तथा राज्य सरकारों द्वारा राष्ट्रीय जलमार्गों एवं द्वीपों में यात्री जेटी के निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपये, (3) बड़े/छोटे बंदरगाहों द्वारा तटीय स्थान के यांत्रिकीकरण के लिए अधिकतम 15 करोड़ रुपये, (4) बड़े/संचालनगत छोटे बंदरगाहों के कैपिटल ड्रेजिंग के लिए अधिकतम 50 करोड़ रुपये, एवं (5) वर्तमान तथा ग्रीनफील्ड बंदरगाहों के लिए बांध के निर्माण के लिए अधिकतम 50 करोड़ रुपये। इस योजना के तहत विचारार्थ परियोजनाओं के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। यात्री जेटी के निर्माण में टर्मिनल निर्माण तथा संबंद्ध अवसंरचना का निर्माण भी शामिल है। शेष व्यय की पूर्ति संबंधित बंदरगाहों/संबंधित राज्य सरकारों (राज्य सामुद्रिक बोर्डों समेत) द्वारा अपने खुद के संसाधनों द्वारा की जानी है।
इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने के बाद तटीय जहाजरानी को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी तथा भारत में घरेलू माल ढुलाई की आवाजाही में इन बंदरगाहों का हिस्सा बढ़ेगा।