नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग ने भारत में आपदा जोखिम प्रबंधन के वित्त पोषण पर नई दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। यह कार्यशाला 15वें वित्त आयोग, एनडीएमए, यूएनडीपी और विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है। उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह, आयोग के सभी सदस्यों, प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री पी.के. मिश्रा, विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर श्री जुनैद कमाल और विभिन्न देशों एवं बीमा क्षेत्र के प्रतिनिधियों और सार्वजनिक वित्त के विशेषज्ञों ने शिरकत की।
आयोग के अध्यक्ष ने अपने उद्घाटन संबोधन में हितधारकों की बढ़ती संख्या एवं जटिलता के कारण जोखिम, जवाबदेही और संसाधनों की बदलती तिकड़ी को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन के बदलते आयाम तक प्रकाश डाला। उन्होंने सार्वजनिक, निजी और बहुपक्षीय संस्थानों द्वारा आपदा जोखिम प्रबंधन के वित्त पोषण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित किया। इसके साथ ही उन्होंने आपदा प्रबंधन के न्यूनीकरण पहलू पर गौर करने की जरूरत पर भी विशेष बल दिया।
डॉ. पी.के. मिश्रा ने अपने संबोधन में विशेष बल देते हुए कहा कि ‘यथास्थिति’ बनाए रखने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि आपदा एवं त्वरित कदमों पर केन्द्रित अवधारणा के बजाय अब न्यूनीकरण, अनुकूलन और ठोस तैयारी करने की दिशा में बदलाव की बयार बह रही है। श्री मिश्रा ने कहा कि भारत भी ‘सेंडाई फ्रेमवर्क’ पर एक हस्ताक्षरकर्ता देश है, जिसके तहत सुदृढ़ व्यवस्था में निवेश को भी इसकी चार प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है।
उन्होंने राज्यों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए त्वरित कदम उठाने की जरूरत पर विशेष बल दिया क्योंकि आपदा सुदृढ़ता की गतिविधियों से संबंधित नवाचार करने में राज्य ही सबसे आगे रहते हैं। उन्होंने 15वें वित्त आयोग से यह पता लगाने का अनुरोध किया कि क्या राज्यों के पास उपलब्ध धनराशि पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ दोनों ही के पास धनराशि की उपलब्धता में संतुलन स्थापित करने की जरूरत है।