लखनऊ: इस साल का पहला सूर्यग्रहण रविवार को लगेगा। यह भारत से नहीं दिखेगा। इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव भी कम देखने में आएगा। लेकिन साल का दूसरा सूर्यग्रहण 21 अगस्त को लगेगा, जो पूर्ण रूप से दृष्टि गोचर होगा।
भारत के स्थानीय समयानुसार खंडग्रास सूर्य ग्रहण शाम पांच बजकर चालीस मिनट पर शुरू होकर रात 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। ग्रहण का सूतक सुबह तीन बजकर 40 मिनट से शुरू हो जाएगा। ये ग्रहण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर कहीं से नहीं दिखेगा। इसलिए इसका धार्मिक दृष्टि से शुभाशुभ प्रभाव भी मामूली रहेगा। हालांकि विश्व के अन्य हिस्सों में इसका ज्योतिषीय प्रभाव रहेगा।
आचार्य भरत राम तिवारी के अनुसार कुंभ राशि में घटित होने वाले इस ग्रहण का नौकरीपेशा, मजदूरों, जल संसाधन के कार्यों, मीडिया, नेताओं पर प्रभाव पड़ सकता है। सोने की कीमत में मंदी, कच्चे तेल की कीमतों में कमी भी आएगी। सूर्यग्रहण को दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में देखा जा सकेगा। उनका कहना है कि सूर्यग्रहण में धार्मिक रूप से कई कार्य वर्जित माने गए हैं। धार्मिक स्थलों के द्वार तक बंद कर दिए जाते हैं।
क्या है सूर्यग्रहण
वैज्ञानिक नजरिए से सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जो सूर्य, चंद्र और पृथ्वी की विशेष स्थिति से बनती है। जब चंद्र, सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है। पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश अवरुद्ध हो जाता है, जबकि ग्रहण धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है।
साभार हिन्दुस्तान