नई दिल्ली: मेडिकल अधिकारियों के लिए सीबीआरएन के घायलों की चिकित्सा पर पांचवां कार्यशाला 25 जुलाई से 28 जुलाई 2017 तक मुख्यालय इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (मेडिकल) के तत्वाधान में आयोजित की जा रही है। उद्घाटन सत्र में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत मुख्य अतिथि थे।
सेना प्रमुख ने सभी प्रकार की सीबीआरएन स्थिति से निपटने के लिए सशस्त्र बलों में डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को आधुनिक इलाज तकनीक से लैस करने और उन्हें प्रशिक्षण देने की जरुरत पर ज़ोर दिया। सेना प्रमुख ने कार्यशाला के आयोजकों को बधाई दी और विश्वास जताया कि कार्यशाला से भविष्य में सीबीआरएन की आपात स्थिति से निपटने में चिकित्सा तैयारियों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
डीजीएएफएमएस और सीनियर कर्नल कमांडेंट, लेफ्टिनेंट जनरल एम के उन्नी ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय माहौल में दुष्ट राज्यों और आतंकी संगठनों द्वार सीबीआरएन हथियारों के बढ़ते ख़तरे की अवधारणा को उजागर किया। ऐसे हथियारों के इस्तेमाल से हजारों लोग हताहत हो सकते हैं, इसलिए ऐसे हालात से निपटने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संसाधनों और एएफएमएस को तैयार रखा जाना चाहिए।
सीओएससी प्रमुख के एकीकृत रक्षा स्टाफ के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने अपने संबोधन में जोर देते हुए कहा कि पहली प्रतिक्रिया एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी बनी हुई है और यह काफी अहम है कि जान-माल और पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सीबीआरएन आपात स्थितियों को कम करने की क्षमता विकसित की जाए। इसमें सीबीआरएन की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार सामरिक संचालन और रणनीतिक योजनाकारों के लिए प्रक्रियागत दिशा-निर्देशों की स्थापना भी शामिल होगी।
डीसीआईडीएस (मेड) और आर्मी मेडिकल कोर के कर्नल कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल सी एस नारायणन ने कहा कि सेना, नौसेना, वायुसेना और अन्य अर्धसैनिक बलों के कुल 69 चिकित्सा अधिकारी 4 दिनों की कार्यशाला में भाग ले रहे हैं। कार्यशाला में प्रतिभागियों को सीबीआरएन परिदृश्य में परिशोधन, निकासी और सामूहिक हताहतों के प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया जाएगा।