सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ जज़ों के बीच छिड़ा विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. बार एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल जस्टिस चेलमेश्वर से मिलने उनके आवास पहुंचा है. इसके बाद दोपहर करीब 12.30 बजे वे जस्टिस अरुण मिश्रा से मिलेंगे.
बार एसोसिएशन इस विवाद को सुलझाने के लिए आज सभी जजों से मुलाकात करेगी. इसके लिए उसने 7 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल बनाया है. बार एसोसिएशन ने इसके साथ ही एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन करने से पैदा हुई स्थिति का किसी राजनैतिक दल या नेताओं को गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए.
‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने मतभेद पर गंभीर चिंता जताई’
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के मतभेद पर गंभीर चिंता जताई. एससीबीए की कार्यकारिणी की आपात बैठक में सुझाव दिया गया कि लंबित जनहित याचिकाओं समेत सभी जनहित याचिकाओं पर या तो प्रधान न्यायाधीश को विचार करना चाहिए या उन वरिष्ठ न्यायाधीशों को सौंप दिया जाना चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम का हिस्सा हैं.
‘कोई संकट नहीं है’
इस बीच प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कुरियन जोसेफ का कहना है कि ‘सुप्रीम कोर्ट संकट का हल निकालने के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है, शीर्ष अदालत खुद इसका समाधान करेगी.’
सुप्रीम कोर्ट में अहम केसों के ‘चुनिंदा’ तरीके से आवंटन और कुछ न्यायिक आदेशों के खिलाफ देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ आवाज उठाने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार सबसे सीनियर जजों में शामिल जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. वहीं, जस्टिस रंजन गोगोई से जब पूछा गया कि इस संकट का हल कैसे होगा, तो उन्होंने कहा कि ‘कोई संकट नहीं है’.
‘इस तरह के कदम भविष्य में नहीं दिखेंगे’
वहीं इस मामले के समाधान में बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत को लेकर सवाल किए जाने पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘एक मुद्दा उठाया गया है. संबंधित लोगों ने इसे सुना है. इस तरह के कदम भविष्य में नहीं दिखेंगे. इसलिए मेरा मानना है कि मुद्दा सुलझ गया है.’ मामले के हल के लिए बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला हमारे संस्थान के भीतर उठा है. इसे दुरुस्त करने के लिए संस्थान को ही जरूरी कदम उठाने होंगे. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मामला राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या उसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है.
‘चीफ जस्टिस की ओर से कोई संवैधानिक चूक नहीं’
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि चीफ जस्टिस की ओर से कोई संवैधानिक चूक नहीं हुई है, लेकिन उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए परंपरा, चलन और प्रक्रिया का अनुसरण किया जाना चाहिए. उनकी जिम्मेदारी पूरी करते समय सहमति, चलन और प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.
न्यायाधीशों के इस कदम से पारदर्शिता आएगी
इससे पहले न्यायमूर्ति जोसेफ ने उन बातों को खारिज कर दिया कि न्यायाधीशों ने अनुशासन तोड़ा है और उम्मीद जताई कि उनके इस कदम से उच्चतम न्यायालय प्रशासन में और पारदर्शिता आएगी. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कोच्चि के पास एक कार्यक्रम में कहा, हम मामला उनके संज्ञान में लेकर आए.
‘न्याय और न्यायपालिका के लिए खड़े हैं’
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कोच्चि के पास कलाडी में अपने पैतृक घर पर स्थानीय टीवी चैनलों से मलयाली में कहा, न्याय और न्यायपालिका के लिए खड़े हैं. हमने दिल्ली में यही कहा था. इससे अलग कुछ नहीं था. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, एक मामला ध्यान में आया है. चूंकि यह ध्यान में आया है, इसे निश्चित तौर पर सुलझा लिया जाएगा.
चीफ जस्टिस के पास विशेष संदेशवाहक भेजने का कारण बताएं PM
न्यायाधीशों का इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कांग्रेस ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर नृपेंद्र मिश्रा, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित प्रधान न्यायाधीश के घर गए. प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश के पास अपना विशेष संदेशवाहक भेजने का कारण बताएं.
गौरतलब है कि एक अभूतपूर्व कदम के तहत न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने एक तरह से प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ बगावत कर दी थी. उन्होंने मामलों को आवंटित करने समेत कई समस्याएं गिनाईं थीं.
-News18