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सुशासन की संवाहक मजबूत सांख्यिकीय प्रणाली

सुशासन की संवाहक मजबूत सांख्यिकीय प्रणाली
देश-विदेश

विकास संबंधी नीतियां बनाने और उनकी निगरानी तथा मूल्यांकन करने में सांख्यिकी की भूमिका जो महत्वापूर्ण भूमिका है उसके बारे में अलग से कुछ कहने की जरूरत नहीं है. सांख्यिकी की आवश्याकता जन सेवाएं प्रदान करने और उनके बारे में जनता में बेहतर समझ पैदा कर नीतियों के अमल में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए भी पड़ती है। इन आवश्यककताओं को पूरा करने के लिए एक ऐसी मजबूत सांख्यिकीय प्रणाली का होना जरूरी है जिससे आंकड़ों का संग्रह,प्रमाणीकरण, संकलन और प्रसार किया जा सके। भारत में इस तरह की सांख्यिकीय प्रणाली की जड़ें कौटिल्यी की पुस्तंक ‘अर्थशास्त्र’ और अबुल फज़ल की किताब ‘आईन-ए-अकबरी’ में खोजी जा सकती हैं। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली ने आकार ग्रहण करना प्रारंभ किया और भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली के पिता कहे जाने वाले प्रो. प्रशांत चंद्र महलनवीस ने आधुनिक भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली की आधारशिला रखी। मैं प्रो. पी.वी. सुखात्मेा के योगदान का भी उल्लेंख करना चाहूंगा, खास तौर पर कृषि सांख्यिकी के क्षेत्र में।

सांख्यिकी के इसी महत्व् को ध्या्न में रखते हुए 1999 में दो विभागों — सांख्यिकी विभाग और कायर्क्रम कार्यान्ववयन विभाग को समेकित कर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वायन मंत्रालय की छत्रछाया में लाया गया। सरकारी आंकड़ों के समूचे परिदृश्यी की निगरानी के लिए 2005 में राष्ट्री य सांख्यिकीय आयोग का भी गठन किया गया।

इस समय भारत में केन्द्रं के स्त्र पर विभिन्नठ मंत्रालयों की पार्श्विक रूप से विकेन्द्रित (लेटरली डीसेंट्रलाइज्डल) प्रणाली है जबकि केन्द्रं और राज्योंव व केन्द्रर शासित प्रदेशों के बीच लंबवत विकेन्द्रित (वर्टिकली डीसेंट्रलाइज्डज) प्रणाली कार्य कर रही है। किसी भी विषय पर सांख्यिकीय आंकड़े जुटाने का अधिकार आम तौर पर उस विषय के लिए जिम्मेरदार संगठन का होता है. मेरा मंत्रालय केन्द्रीपय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) और राष्ट्रीीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के माध्य‍म से सीधे अपने नियंत्रण में आने वाली गतिविधियों के बारे में सांख्यिकीय आंकड़ों के संकलन को सुचारु बनाने में महत्वमपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही हम जहां भी सहायता की जरूरत होती है वहां अन्य एजेंसियों की मदद भी करते हैं।

वर्तमान सरकार ने सरकारी सांख्यिकीय आंकड़ों के बारे में संयुक्तस राष्ट्र के बुनियादी सिद्धांतों को स्वीरकार कर सुशासन को लेकर सरकार की वचनबद्धता की फिर से पुष्टि की है। सरकारी आंकड़ों को सार्वजनिक संपत्ति मानने की भावना से मंत्रालय बड़े पैमाने के विभिन्नि सर्वेक्षणों के आंकड़े, उपयोग करने वालों को उपलब्धर कराता है। सभी प्रकाशित रिपोर्टें मंत्रालय के वेबसाइट से मुफ्त डाउनलोड की जा सकती हैं, जबकि सवेक्षणों के विस्तृपत आंकड़े मामूली शुल्कब पर शिक्षाविदों, अनुसंधानकर्ताओं आदि को उपलब्ध कराये जाते हैं। लेकिन ऐसा करते हुए यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सर्वेक्षण के प्रतिभागियों की पहचान का विवरण किसी को न बताया जाए। ऐसा करके प्रतिभागियों की गोपनीयता बनाए रखने के सिद्धांत का पालन किया जाता है।

मेरे मंत्रालय का राष्ट्री य प्रतिदर्श (नमूना) सर्वेक्षण संगठन देश भर में विभिन्नु विषयों पर नियमित रूप से सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराता है। पिछले तीन वर्षों में घरेलू पर्यटन खर्च और सेवाओं तथा टिकाऊ सामान पर घरेलू खर्च; गैर-निगमित गैर-कृषि उपक्रमों और उद्यमों पर केन्द्रित सेवा क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया। 2016-17 में सेवा क्षेत्र के उद्यम केन्द्रित सर्वेक्षण से अनुभव और समझ हासिल करने के बाद उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण की तर्जपर सेवा क्षेत्र का वार्षिक सर्वेक्षण कराने की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। वर्ष 2017-18 में राष्ट्री य नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) घरेलू उपभोक्ताद खर्च और शिक्षा व स्वापस्य्र पर घरेलू सामाजिक खर्च पर सर्वेक्षण करा रहा है। 2018 में दो सर्वेक्षणों की योजना बनायी गयी है जिनमें से एक विकलांगता पर और दूसरा स्वखच्छकता, आरोग्यं और आवास के बारे में होगा। 2019 में किसानों और ग्रामीणों की हालत का अंदाजा लगाने के लिए खेतिहर परिवारों की स्थिति के आकलन के बारे में सर्वेक्षण और ऋण एवं निवेश सर्वेक्षण कराने का प्रस्तांव है।

प्रधान मंत्री मोदी ने कार्यभार संभालने के बाद जो महत्वनपूर्ण पहल कीं उनमें स्व‍च्छय भारत अभियान भी शामिल है। राष्ट्री य नमूना सर्वेक्षण संगठन ने मई-जून 2015 के दौरान 3,788 गांवों और 2,907 शहरी ब्लॉठकों में स्वंच्छकता की स्थिति के बारे में त्वारित सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण से शौचालयों की उपलब्ध्ता और उन तक पहुंच तथा ठोस व तरल अपशिष्ट5 के प्रबंधन के बारे में वास्तोविक स्थिति की जानकारी मिली।

भारत में रोजगार और बेरोजगारी के बारे में राष्ट्री य नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा संग्रहीत आंकड़े अब पांच साल के अंतराल के बाद उपलब्धश हैं। इन आंकड़ों के महत्व) और इस बात को ध्याडन में रखते हुए कि नीतियों पर कारगर तरीके से अमल के लिए रोजगार संबंधी आंकड़ों की बार-बार आवश्यखकता पड़ती है, हमने 2017 से आवधिक श्रम शक्ति सर्वेक्षण (पीएलएफएस) शुरू किया है। अब शहरी इलाकों के बारे में आंकड़े हर तिमाही में और ग्रामीण इलाकों के वार्षिक आधार पर उपलब्धब कराये जाएंगे। इस सर्वेक्षण से उद्योगों और व्यऔवसाय के आधार पर भी श्रमिकों के वितरण के आंकड़े मिल सकेंगे। इसके अलावा अनौचापरिक क्षेत्र में काम करनेवाले मजदूरों की संख्यां और मजदूरों की सेवा की स्थितियों के आंकड़े भी इससे प्राप्तल हो सकेंगे। इस सर्वेक्षण में हमने क्षेत्र स्त र पर सूचनाएं प्रेषित करने के लिए पेपर शेड्यूल के इस्ते्माल के पारंपरिक तरीके को बदल कर उसके स्थातन पर कम्यूकरनेटर की मदद से व्यमक्तिगत साक्षात्काेर का तरीका (सीएपीआई) अपनाया है।

आंकड़ों को क्षेत्रीय कार्यकताओं द्वारा क्षेत्र से सीधे टेबलेट्स में डाला जाएगा। इसके लिए विश्वो बैंक के सहयोग से मंत्रालय द्वारा विकसित विशेष साफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा। इस तरह डेटा कलेक्श न और डेटा एंट्री का काम एकसाथ होने से समय की काफी बचत होगी। हम समय के साथ साथ आगे इस तकनीक को एनएसएसओ के अन्यह सर्वेक्षणों में भी इस्तेयमाल करना चाहते हैं।

हाल में हमने सकल घरेलू उत्पा द (जीडीपी) के आकलन के मानदंडों में भी संशोधन किया है और इन्हेंघ संयुक्तक राष्ट्री राष्ट्री य लेखा प्रणाली 2008 की अनुपालना की दृष्टि और बेहतर बनाया दिया है। इसके अलावा बजट सत्र का आयोजन हर साल 1 फरवरी 2017 से कर दिये जाने से मेरे मंत्रालय ने सकल घरेलू उत्पाद के त्रैमासिक और वार्षिक आंकड़े जारी करने के कैलेंडर में संशोधन किया है जिससे सकल घरेलू उत्पा्द के त्रैमासिक और वार्षिक आंकड़ों और इनसे संबंधित मैक्रो-इकोनोमिक एग्रिगेट्स में भी बदलाव आया है। 2017-18 का बजट पेश किये जाने से पहले ही संबंधित अनुमान उपलब्धग करा दिये गये थे। आधार वर्ष को वर्तमान 2011-12 की जगह 2017-18 करने के लिए भी काम शुरू कर दिया गया है।

औद्योगिक क्षेत्र में हो रहे ढांचागत बदलावों को ज्या1दा सही तरीके से प्रदर्शित करने के लिए औद्योगिक उतपादन सूचकांक (आईआईपी) का आधार-वर्ष बदल कर 2011-12 कर दिया गया है1 2011-12 को आधार मान कर आईआईपी की नयी श्रृंखला मई 2017 में जारी की गयी। नयी श्रृंखला में प्रविधि बदल दी गयी है ताकि सूचकांक ज्याआदा मजबूत और प्रतिनिधिमूलक हो जाएं। उत्तधर देने वाली इकाइयों से आंकड़े एकत्र करने के लिए हम एक वेब पोर्टल बनाने की योजना भी बना रहे हैं। इसके चालू हो जाने से मासिक सूचकांक को जारी करने में मौजूदा 42 दिन के समय को कम किया जा सकेगा।

मेरे मंत्रालय ने उपभोक्ताब मूल्यो सूचकांक (सीपीआई) के आधार वर्ष में भी बदलाव किया है और इसे 2010 की बजाय 2012 कर दिया गया है. संशोधित श्रृंखला जनवरी 2015 में लागू की गयी थी। भारतीय रिजर्व बैंक, देश की मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुद्रा स्फी ति के आकलन के लिए उपभोक्ताज मूल्य सूचकांक (संयुक्तो) को महत्वफपूर्ण उपाय के रूप में अपनाता है।

प्रक्रियाओं का मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए केन्द्री य सांख्यिकीय संगठन के राष्ट्री य लेखा प्रभाग और राष्ट्री य प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के सर्वेक्षण डिजायन और अनुसंधान प्रभाग का आईएसओ-9001:2009 प्रमाणन कराया गया है जो गुणवत्त पूर्ण कार्यनिष्पासदन के मानदंडों के अनुपालन का प्रमाणपत्र है. मंत्रालय ई-गवर्नेंस की दिशा में भी प्रयास कर रही है। इस क्षेत्र में कुछ उपलब्धियां इस प्राकर हैं:
• उपयोग करने वालों की सुविधा के लिए पिछले साल मंत्रालय का नया वेबसाइट शुरू किया गया जो निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार विकसित और डिजायन किया गया है।
• एनएसएस, एएसआई और आर्थिक सर्वेक्षण के यूनिट स्त।र के आंकड़ों के प्रसार के लिए भारतकोष ई-प्राप्ति पोर्टल के गेटवे का इस्तेरमाल किया जा रहा है. गैर-भारतीयों को उपलब्धर कराये जाने वाले आंकडों के लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मुहैया कराने की प्रक्रिया जारी है।

• एनएसएस, एएसआई और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के प्रसार के लिए वैब आधारित सर्वेक्षण डेटा कैटलॉग/माइक्रो डेटा आर्काइव तैयार किया जा रहा है।

मंत्रालय का कार्यक्रम कार्यान्वायन स्कंिध सांसद स्थारनीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) पर अलम की देखरेख करता है। यह 150 करोड़ रुपये से ज्या्दा लागत वाली केन्द्री सरकार की परियोजनाओं और बीस सूत्री कार्यक्रम की निगरानी के लिए भी उत्तेरदायी है।

मेरा मंत्रालय एमपीएलएडीएस के बारे में नीतियां बनाने, धनराशि जारी करने और इसकी निगरानी प्रणाली निर्धारित करने के लिए जिम्मेिदार है। एक नया एमपीएलएडीएस पोर्टल बनाया गया है जो सभी संबद्ध पक्षों जैसे माननीय सांसदों,राज्योंक के नोडल अधिकारियों, जिला अधिकारियों और नागरिकों के उपयोग के लिए है। इस पोर्टल का उद्देश्यय पारदर्शिता सुनिश्चित करना और नागरिकों को इस योजना के कार्यान्वएयन के बारे में जानकारी देना है। एमपीएलएडीएस पोर्टल नागरिकों को माननीय सांसदों के कार्यक्षेत्र में विकास कार्यों के बारे में सुझाव देने का अवसर भी प्रदान करता है। इसके अंतर्गत किये जाने वाले सभी कार्य, खास तौर पर लंबित परियोजनाएं पूरी हो सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय के अधिकारी राज्योंल का दौरा करते हैं और मुख्य सचिव समेत राज्य सरकार के वरिष्ठा अधिकारियों के साथ कार्य में प्रगति की समीक्षा करते हैं। योजनाएं तैयार करने और इनके अमल में प्रणालीगत सुधारों को शामिल करने तथा सरकारी धन का बेहतरीन उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एमपीएलएडीएस के दिशानिर्देशों में बदलती आवश्यीकताओं के अनुसार संशोधन किया गया है। ऐसा करते हुए जनता, माननीय सांसदों, भारत के नियंत्रक महा लेखापरीक्षक (सीएजी) समेत सभी संबद्ध पक्षों से प्राप्तम सुझावों/फीडबैक का भी ध्या्न रखा गया है।

हमारी सरकार कम सुविधासंपन्नत लोगों के कल्याफण के लिए वचनबद्ध है। एमपीएलएडीएस के तहत सृजित स्थावयी महत्व की परिसंपत्तियां यथासंभव विकलांग लोगों के अनुकूल हों, इसके लिए अनिवार्य प्रावधान किये गये हैं। एमपीएलएडीएस के तहत सृजित की जा चुकी स्थाहयी परिसंपत्तियों में विकलांगों को ध्याहन में रखकर रेट्रोफिटिंग कराने की भी इजाजत दी गयी है। एमपीएलएडीएस के दिशानिर्देशों के अनुसार विशेष रूप से स्वीमकृत की जाने वाली तमाम चल संपत्तियों, जैसे स्कूरल बसों, एम्बु लेंसों आदि का विकलांगों के अनुकूल होना जरूरी है।

मेरा मंत्रालय ऑनलाइन कम्यूान टराइज्डू निगरानी प्रणाली (ओसीएमएस) के जरिए केन्द्री य क्षेत्र की बुनियादी ढांचे से संबंधित 150 करोड़ रुपये और इससे अधिक लागत की परियोजनाओं को पूरा करने में विलंब और उनकी लागत में बढ़ोतरी की निगरानी करता है। इसमें परियोजना लागू करने वाली एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग किया जाता है। ओसीएमएस प्रशासनिक मंत्रालयों, मंत्रिमंडल सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा आयोजित ‘‘प्रगति’’ बैठकों में परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए ओसीएमएस एक विश्वासनीय उपाय साबित हुआ है। परियोजनाओं को समय से पूरा करने के लिए कई अन्यव कदम भी उठाये गये हैं। इन उपायों और अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि परि‍योजनाओं की लागत में बढ़ोतरी मार्च 2014 में 19 प्रतिशत से घटकर जनवरी 2017 में 11.2 प्रतिशत रह गयी है।

मेरे मंत्रालय ने अपने भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा में कई बड़ी और महत्वतपूर्ण पहल भी शामिल हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

पहला, आंकड़ों के संकलन में टेक्नोूलॉजी का अधिकाधिक उपयोग किया जाएगा जिसमें क्लालउड सर्वर पर कम्यूटेक टर की सहायता से साक्षात्कार की तकनीक और ऑनलाइन वेब पोर्टल शामिल हैं। इनके माध्यडम से डिजिटल इंडिया/ई-गवर्नेंस/ई-क्रांति की दिशा में गतिविधियां जारी रखी जाएंगी।

दूसरा, हमने सरकारी सांख्यिकीय आंकडों के बारे में संयुक्तव राष्ट्र् के बुनियादी सिद्धांतों के आधार पर राष्ट्री य आंकड़ों के बारे में नीति तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इन सिद्धांतों को अपनाने का उद्देश्यं आंकड़ों के संग्रह, संकलन और निर्धारित तौर-तरीकों के अनुपालन में एकसमान और पारदर्शी प्रक्रियाएं अपनाकर आंकड़ों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

हम भारतीय अर्थव्यनवस्था के बारे में 100 संकेतकों वाला त्रैमासिक राष्ट्री य तथ्यअ पत्रक (फैक्ट शीट) निकालने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने की संभावनाओं का भी पता लगा रहे हैं। इसमें गतिशील और उपयोग करने वालों के लिए अनुकूल डैशबोर्ड पर विभिन्नक स्रोत मंत्रालयों/विभागों से प्राप्तए आंकड़ों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसी तरह 13 संकेतकों वाली वार्षिक फैक्टऔ शीट प्रकाशित करने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।
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लेखक सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वनयन मंत्री हैं।
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