नई दिल्लीः केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने आज साहिबगंज, झारखंड में गंगा संरक्षण के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ग्रामीण स्वच्छता पहल के लिए नौ परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि झारखंड में गंगा के समस्त 83 किलोमीटर विस्तार को इस कार्यक्रम के तहत लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तीन महत्वपूर्ण उपायों – गंगा नदी के तट पर बसने वाले सभी 78 गांवों की खुले में शौच मुक्त स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता के तौर-तरीकों को प्रोत्साहन देना, ठोस और तरल अपशिष्टों के प्रभावी प्रबंधन के लिए सृजित उन्नत पहुंच, निरंतर उपयोग और बुनियादी ढांचे के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए लागत प्रभावी, उचित रूप से स्थानीय, कम लागत तथा स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए आसान प्रबंध वाली प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना तथा गांवों में सफाई, स्वच्छता में सुधार लाने तथा एकीकृत तथा समग्र आजीविका पहुंच के लिए स्थापित सुविधाओं का प्रभावी प्रबंधन करने, इन सुविधाओं में वृद्धि करने तथा इनका रखरखाव के लिए पंचायतों, ग्राम स्तर स्वच्छता समितियों और स्व- सहायता समूहों सहित स्थानीय संस्थाओं को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
मंत्री महोदया ने कहा कि इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य उन्नत स्वच्छता तौर-तरीकों के माध्यम से झारखंड में गंगा नदी बेसिन में बसे इन 78 गांवों के 45,000 परिवारों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके अलावा इन गांवों से गंगा नदी में बहकर जाने वाले अपशिष्ट जल और वर्षा के पानी की गुणवत्ता में सुधार लाना भी है। सुश्री भारती ने कहा कि डिग्रैडबल (नष्ट करने योग्य) ठोस अपशिष्ट के संग्रह, भंडारण और कम्पोस्ट खाद बनाने और बाइओडग्रैडबल (गैर जैवनिम्नीकरण) सामग्री के लिए लघु उद्यमों की स्थापना के लिए परियोजना गांवों में 78 इकाइयां स्थापित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि 5,460 परिवारों को पशु और कृषि अपशिष्ट के लाभदायक उपयोग के लिए कीड़े वाली खाद का उपयोग करने के लिए कम्पोस्ट खाद सुविधाओं को अपनाने में मदद दी जाएगी इसके अलावा पशु अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान में मदद के लिए बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए 1,860 परिवारों की मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि 40 सामुदायिक शौचालयों के साथ-साथ 8 ग्रामीण स्तर शवदाहगृहों और 32 स्नान घाटों का भी निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि घरों और समुदायिक हैंडपंपों से निकलने वाले फालतू और गंदे पानी का सुरक्षित रूप से निपटान करने के लिए सामुदायिक भागीदारी से 10,000 से अधिक सोख गड्ढ़ों का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि घर से निकलने वाले अपशिष्ट और वर्षा के दौरान बहने वाले पानी के जल्दी और सुरक्षित निपटान के लिए परियोजना गांवों में 1,52,000 मीटर सामुदायिक नेतृत्व में निर्मित खुली चैनल की नालियों का भी निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा घरेलू अपशिष्ट और वर्षा के दौरान बहने वाले पानी के जैव उपचार और सुरक्षित निपटान के लिए 92 सामुदायिक तालाबों का निर्माण और नवीनीकरण किया जाएगा।
इस पूरी परियोजना को यूएनडीपी, सामुदायिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के समग्र मार्गदर्शन में चलाया जाएगा। इन परियोजना पहलों से पहचान किए गए गांवों में उन्नत, सतत, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन और कृषि सहित ग्रामीण स्रोतों से गंगा में होने वाले प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। यूएनडीपी इस कार्य में तकनीकी और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करेगा।