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सूचना प्रौद्योगिकी को प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था में शामिल किया जाना चाहिए, इस प्रणाली से भ्रष्टाचार का प्रदूषण साफ करने की जरूरत है : डॉ. हर्षवर्धन

सूचना प्रौद्योगिकी को प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था में शामिल किया जाना चाहिए, इस प्रणाली से भ्रष्टाचार का प्रदूषण साफ करने की जरूरत है : डॉ. हर्षवर्धन
कृषि संबंधितदेश-विदेश

केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रदूषण को नियंत्रित तथा कम करने के प्रयासों में पारदर्शिता और निपुणता बढ़ाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी को शामिल करने की जोरदार वकालत की। आज प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/समितियों के अध्यक्षों और सदस्य सचिवों के 62वें सम्मेलन के उद्धाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वायु और जल प्रदूषण साफ करने के साथ-साथ इस प्रणाली से भ्रष्टाचार का प्रदूषण भी साफ किये जाने की जरूरत है। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत और पहुँच बढ़ाने के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मुद्दों को सुलझाने में भी मदद करेगी। मंत्री महोदय ने विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए नवीन सोच और लीक से हटकर पहुँच कायम करने की अविलंब जरूरत की ओर इशारा किया।

दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए समग्र कार्य योजना के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर वास्तविक रूप से कार्य करने का आह्वान किया। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमारी सरकार पर्यावरण की बेहतरी के साथ-साथ आर्थिक बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया अभियान, स्मार्ट सिटी परियोजना और डिजिटल इंडिया अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का उल्लेख करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मेक इन इंडिया में जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट नीति अपनाई जाएगी जिससे पर्यावरण पर बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के निपटान में आ रही खामियों को दूर करने की जरूरत पर जोर दिया क्योंकि एकत्र हुए कचरे के 50 प्रतिशत कचरे को अवैज्ञानिक रूप से फेंक दिया जाता है। उन्होंने बताया कि रोजाना 2,59,000 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्‍न हो जाता है जबकि केवल 14 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि ई-अपशिष्ट पैदा होने की अनुमानित मात्रा लगभग 1.70 मिलियन टीपीए है। लेकिन लगभग 462896 टीपीए की ही रिसाइक्लिंग हो रही है। उन्होंने असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि केवल 5 राज्यों – जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, गोवा, मध्य प्रदेश और पंजाब ने ही ई-अपशिष्ट वस्‍तुओं की सूची पूरी की है। उन्होंने शेष राज्यों से ई-अपशिष्ट वस्‍तुओं की सूची बनाने की प्रक्रिया जल्दी से जल्दी पूरी करने का अनुरोध किया।

पर्यावरण मंत्री ने ठोस कचरे एवं सीवेज के उचित प्रबंधन के लिए 4 ‘आर’ अर्थात रिड्यूश, रीयूज, रिसाइकिल और रिकवर (कम करें, पुन: उपयोग करें, रिसाइकिल करें और पुन: प्राप्त करें) की अवधारणा पर अमल करने पर विशेष जोर दिया। उन्‍होंने बोर्डों को उत्‍पन्‍न होने वाले कचरे की मात्रा में कमी के लिए तय समय सीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिसका उल्‍लेख संशोधित ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 और प्‍लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 में किया गया है।

डॉ. हर्षवर्धन ने यह सुझाव दिया कि लोगों को उन कदमों के बारे में पर्याप्‍त जानकारी देने के साथ-साथ प्रेरित भी किया जाना चाहिए, जो वे पर्यावरण से जुड़े परिदृश्‍य में मात्रात्मक एवं गुणात्‍मक बदलाव लाने के लिए व्‍यक्तिगत तौर पर उठा सकते हैं। उन्‍होंने उन अच्‍छे पर्यावरणीय कदमों एवं कार्यों का डेटाबैंक तैयार करने के बारे में सुझाव मांगे, जो विभिन्‍न व्‍यक्तियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्‍वपूर्ण योगदान के रूप में सम्‍पन्‍न किये जा सकते हैं।

मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि उन्‍होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से आपस में मिल-जुलकर काम करने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभिनव वैज्ञानिक कदमों से लाभ उठाने के लिए कहा है। उन्‍होंने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर समाज की ओर से प्रतिबद्धता जताये जाने के साथ-साथ मौजूदा नियमों और कानूनों के लिए एक नया दृष्टिकोण विकसित करने की जरूरत को रेखांकित किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने उपस्थित लोगों से गुणवत्‍तापूर्ण विचार मंथन आयोजित करने और सभी अभिनव विचारों को कार्य योजनाओं में शामिल करने का आग्रह किया। उन्‍होंने सभी एजेंसियों से यह भी कहा कि वे देश के लोगों को इस महत्‍वपूर्ण कार्य में शामिल करें और इसके साथ ही पर्यावरण की उस बेहतरीन स्थिति को बहाल करने के लिए अथक प्रयास करें, जिसे हमारे पूर्वजों ने हमें दिया था और जिसे हमें भावी पीढ़ियों के लिए अक्षुण्‍ण रखना है।

केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अध्‍यक्ष डॉ. एस.पी.एस. परिहार ने स्‍वागत भाषण दिया। सीपीसीबी के सदस्‍य सचिव श्री ए.बी. अकोलकर ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया।

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