लखनऊ। क्या आपको पता है कि हमारे-आपके घर तक टीवी केबल पहुँचने वाली कंपनियाँ हमारे और सरकार के साथ धोखाधड़ी कर रहीं हैं ? जिसमें मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों की भी बड़ी भूमिका भी शामिल है। ये गोरखधंधा कितना बड़ा है इस बात की पुष्टि केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की उस रिपोर्ट के आधार पर किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक केबल कंपनी (मल्टी सिस्टम ऑपरेटर) द्वारा शहरवार लगाए गए सेटअप बॉक्स के आंकड़े राज्य सरकारों के मनोरंजन कर विभाग को जारी किए जाते है। केंद्र सरकार के इसी रिकार्ड के आधार पर राज्य सरकारें केबल कंपनियों से मनोरंजन कर वसूलतीं है, लेकिन जैसे ही कर वसूली की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार के अधिकारियों के हाथ में आती है, इस प्रक्रिया पर भ्रष्टाचार हावी होने लगता है। करोड़ों का मनोरंजन कर चंद लाख रुपये की घूंस के बाद औने-पौने में निपटा दिया जाता है।
मिली जानकारी के मुताबिक मनोरंजन कर निर्धारण का अधिकार राज्य सरकारों के पास होता है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार प्रति कनैक्शन लिए जाने वाले मासिक सेवा शुल्क का 25 प्रतिशत मनोरंजन कर के रूप में सरकारी खजाने में जमा होना चाहिए। सीधे तौर पर बात की जाये तो लोकल केबल ओपेरेटर प्रति कनैक्शन 200 रुपये लेता है, जिसमें 25 प्रतिशत यानि 50 रुपया मनोरंजन कर उपभोक्ता से वसूल होता है।
एक केबल कंपनी के अधिकारी के मुताबिक अधिकांश केबल कंपनियाँ प्रति कनैक्शन 200 रुपये ही लेतीं हैं लेकिन सरकार को यह शुल्क 150 रुपया ही बताया जाता है। जिस हिसाब से सीधे तौर पर केबल कंपनियाँ 25 प्रतिशत मनोरंजन कर चोरी करतीं हैं। रही सही कसर विभागीय अधिकारियों से सेटिंग कर एक्टिव सेटअप बॉक्सों की संख्या कम करके पूरी की जाती है। अगर विभागीय अधिकारी चाहें तो इस चोरी को बड़ी ही आसानी से सब्सक्राइबस मैनेजेमेंट सिस्टम (SMS) के माध्यम से आसानी से पकड़ सकते हैं।
वर्ष 2013 में शुरू हुए केबल डिजिटलाइजेशन के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में सेटअप बॉक्स लगाए गये हैं। इस क्षेत्र में सेवा देने वाली तमाम कंपनियों ने अब तक जितने भी सेटअप बॉक्स उपभोक्ताओं को बेंचे हैं उनके आंकड़े केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण विभाग के पास मौजूद हैं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद शहर में 1 अप्रैल 2013 को हैथ्वे केबल कंपनी ने करीब 1.30 लाख सेटअप बॉक्स लगा दिये थे। 150 रुपये प्रति कनैक्शन के हिसाब से कंपनी को केबल इलाहाबाद शहर के लिए प्रतिमाह करीब 48.75 लाख रुपये का मनोरंजन कर जमा करना चाहिए था। अप्रैल, मई और जून का मनोरंजन कर जमा ना किए जाने पर मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों ने हैथ्वे को करीब 1.20 करोड़ रुपये का तत्काल जमा करवाने का नोटिस भेजा। तमाम खींचतान के बाद हैथ्वे के अधिकारियों ने करीब 13 लाख रूपये जमा किए। इस दौरान एक माह और बीत जाने के बाद हैथ्वे को विभाग ने 1.45 करोड़ का नया नोटिस भेजकर भुगतान करने को कहा, जिसके बाद हैथ्वे और मनोरंजन कर विभाग के बीच निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हुई। जिसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
पर्दाफाश के सूत्रों के मुताबिक भुगतान करते समय हैथ्वे कंपनी ने अप्रैल माह में अपने एक्टिव सेटअप बॉक्सों की संख्या करीब 16000, मई में ये संख्या करीब 19000 और जून में लगभग 22000 दर्शाई गयी। जबकि केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए आंकड़ों को कागजों में दर्जकर शेष सेटअप बॉक्स खराब या वापसी दिखाकर खानापूर्ति कर दी गयी।
इस पूरे खेल में मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों को घूंस देने के बाद करीब डेढ़ करोड़ के मनोरंजन कर को मात्र 14 लाख की वसूली के साथ निपटा दिया गया। इस गोरखधंधे में कंपनी को सीधे तौर पर लगभग एक करोड़ रुपये का फायदा हुआ जबकि ये रकम सरकारी खजाने में जमा होनी चाहिए थी। इस पूरे भ्रष्टाचार में ध्यान देने वाला एक और पहलू ये हैं कि यह कंपनी आज भी इसी हिसाब से मनोरंजन कर का भुगतान कर रही है जबकि कंपनी के उपभोक्ताओं की संख्या मेन वृद्धि हुई है।
इस भ्रष्टाचार को अगर आंकड़ों के आधार पर समझा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि केबल कंपनियाँ और मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से करीब 92 प्रतिशत मनोरंजन कर कालेधन में तब्दील हो जाता है। यूपी में टीवी केबल इंडस्ट्री सिंडिकेट, सरकारी राजस्व को प्रतिमाह करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहा है। जल्द ही टीम पर्दाफाश मनोरंजन कर घोटाले की कुछ और परतों को खोलेगा।
16 comments