नई दिल्लीः इसरो के चेयरमैन व अंतरिक्ष विभाग के सचिव श्री ए.एस.किरण कुमार ने आज यहां सेमी कंडक्टर उपकरणों की भौतिकी पर चार दिवसीय 19 वीं अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला (आईडब्ल्यूपीएसडी-2017) का विधिवत उद्घाटन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रोनिक्स, वीएलएसआई तकनीक, सेंसर, गेलियम नाईट्राईड, क्रिस्टल विकास, फोटो फोल्टेक्स, जैविक सेमी कंडक्टर, कम्प्यूटर गणना के लिए सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर विचार-विमर्श हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराना है। रक्षा, अंतिरक्ष और अन्य अनुप्रयोगों में सेमीकंडक्टर की भूमिका पर विशेष जोर दिया गया। सेमीकंडक्टर के अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख उद्यमों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। एक विशेष उद्यम सत्र का भी आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य भारत में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रोनिक चिप निर्माण की संभावनाएं तलाश करते हुए मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करना था।
श्री ए.एस.किरण कुमार ने अपने संबोधन में स्वदेशी तकनीक के निर्माण और इसे अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि अंतरिक्ष मिशनों में इस्तेमाल होने वाले कई उपकरणों का निर्माण डीआरडीओ की इकाई जीएईटीईसी द्वारा की जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डीआरडीओ के चेयरमैन और रक्षा (आर एण्ड डी) विभाग के सचिव डा. एस क्रिस्टोफर ने की। उन्होंने भारत में सेमीकंडक्टर/चिप निर्माण के लिए हर संभव सहयोग देने का वादा किया। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत सौर ऊर्जा और एलईडी लाइट के क्षेत्र में इलेक्ट्रोनिक चिप निर्माण में मिलने वाले प्रोत्साहन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डा. जी. सतिश रेड्डी ने सेंसर, एमईएम प्रेशर सेंसर, जीएएन तकनीक पर आधारित मौड्यूल और आईआर डिटेक्टर के विकास पर जोर दिया।
आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रामगोपाल राव ने इस बात का उल्लेख किया कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आईडब्ल्यूपीएसडी भारत में आयोजित होने वाला सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।
यूएसए, यूरोप, भारत प्रशांत क्षेत्र और अन्य देशों के विख्यात वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ इस सम्मेलन में भाग ले रहे है। इस अवसर पर 130 अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है।