नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त 2014 को माननीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश के सभी स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए और लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनाए जाने चाहिए। तभी हमारी बेटियों को स्कूल छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
स्वच्छ विद्यालय अभियान के तहत विभाग ने कई गतिविधियां प्रारम्भ की हैं और 2016-17 में स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की घोषणा की है। पेयजल, सफाई और स्वास्थ से जुड़ी गतिविधियों के आधार पर स्कूलों की पहचान की जाएगी, उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा। स्कूलों की स्वच्छता छात्रों के स्वास्थ्य, उपस्थिति, सीखने समझने का स्तर तथा स्कूल त्यागने की दर को प्रभावित करता है। जल, स्वच्छता, साबुन से हाथ धोना, संचालन और रखरखाव, व्यावहारिक बदलाव और क्षमता निर्माण जैसे स्वच्छता के मानदण्डों के आधार पर पहली बार सरकारी स्कूलों की श्रेणी तैयार की गई है।
ऑनलाइन माध्यम से 35 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के जिला व राज्य स्तर के विद्यालयों ने इस पुरस्कार प्रतिस्पर्धा में भाग लिया। इसके बाद इनका मूल्यांकन किया गया और जिला व राज्य स्तर पर इनको पुरस्कार दिया गया। राज्यों ने 643 स्कूलों का चयन किया और इसके बाद 172 स्कूलों को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2016-17 के लिए चुना गया।
राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह दिल्ली कैंट के डॉक्टर एस राधा कृष्णन ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान को हमें मिशन के रूप में लेना होगा और इसे प्राप्त करने के लिए हमें लक्ष्य भी निर्धारित करने होंगे। उन्होंने कहा कि देश और स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए ‘संकल्प से सिद्धि’ की शपथ लेने की अवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि मंत्रालय द्वारा दिये जाने वाले ये पुरस्कार प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के अनुरूप हैं। उन्होंने शिक्षकों और अभिभावकों से कहा कि वे छात्रों को स्वच्छता के बारे में जानकारी दें तथा उनकी निगरानी भी करें।
स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18 के विजेताओं को बधाई देते हुए श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अगले वर्ष इस पुरस्कार के अंतर्गत निजी स्कूलों को भी लाया जाएगा। इस वर्ष केन्द्र व राज्य सरकारों के 2,68,402 स्कूलों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और यह अपने आप में ही एक उपलब्धि है तथा यह ‘न्यू इंडिया’ की शुरूआत भी है। उन्होंने कहा कि छात्र स्वच्छता के राजदूत हैं और वे ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत विजन को नेतृत्व प्रदान करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है और देश में सभी जगह स्वच्छता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस कार्य के लिए मंत्री महोदय ने पंचायतों, सीएसआर सहभागियों और अन्य संगठनों को धन्यवाद दिया।
पुरस्कार के तहत स्कूलों को 50,000 रुपये तथा एक प्रमाण पत्र दिया गया। इसके अलावा पुरस्कार के लिए जिस जिले के सबसे अधिक स्कूलों ने भाग लिया उन जिलों के जिला अधिकारी/जिला शिक्षा पदाधिकारी को पुरस्कार दिया गया। 11 जिलों ने पुरस्कार प्राप्त किये। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और राजस्थान शीर्ष तीन राज्य घोषित किए गए हैं, जहां पांच सितारा और चार सितारा रेटिंग (हरे और नीले रंग की श्रेणी) वाले स्कूलों की अधिकतम संख्या है। इन राज्यों को प्रमाण पत्र दिया गया। इस प्रयास में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ यूनिसेफ और एएससीआई तकनीकी और ज्ञान भागीदार थे।
विभाग ने स्कूलों में स्वच्छता के लिए मानक संचालन प्रणाली (एसओपी) भी जारी किया। विभाग ने 1 सितम्बर से स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18 के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी प्रारम्भ की। मंत्रालय द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा मनाये जाने के दौरान ही यह प्रक्रिया प्रारम्भ की गई है। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18 की नामांकन प्रक्रिया 31 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी और यह प्रतियोगिता सरकारी स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तथा निजी स्कूलों के लिए खुली है।