16.3 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुएः उपराष्ट्रपति एम वैकैया नायडू

उत्तराखंड

देहरादून: उपराष्ट्रपति श्री एम. वैंकैया नायडू ने कहा कि जीवन में कभी भी अपनी मां, अपनी जन्मभूमि, अपनी मातृभाषा व अपने मातृदेश को नहंी भूलना चाहिए। मातृभाषा, नेत्र के समान होती है जबकि विदेशी भाषा चश्मे की तरह होती है। दूसरी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है परंतु अपनी मातृभाषा का हमेशा आदर करना चाहिए। मातृभाषा में जो भावनाएं व्यक्त की जा सकती हैं वे दूसरी भाषाओं में नहीं की जा सकती है। प्राथमिक शिक्षा, बच्चों की मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति मंगलवार को स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में सम्बोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत उपाधि पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत व अनुशासन से ही सपने साकार होते हैं। परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। हमें अपनी संस्कृति व परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए। भारतीय संस्कृति का आधार सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया व वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रही है। भारतीयों के डीएनए में ही सर्व धर्म समभाव है। हमारी अनेक भाषाएं, बोलियां हो सकती हैं परंतु देश एक ही है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार देना ही नहीं होता है। शिक्षा हमारे मस्तिष्क को आलोकित भी करती है। यह हमें संस्कारवान व सामथ्र्यवान बनाती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल का व्यवसाय बहुत ही पवित्र होता है। सदैव याद रखें कि मानव सेवा ही माधव सेवा होती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने नए भारत के निर्माण के लिए स्किल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया, डिजीटल इंडिया कार्यक्रम प्रारम्भ किया हैं। युवाओं की इनमें महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रिफार्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म का मंत्र दिया है।  गांवों से होने वाले पलायन को रोकने में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम का ग्रामीण विकास का पुरा (प्रोवाईडिंग अरबन फेसिलिटीज इन रूरल एरिया) माॅडल सहायक हो सकता है।

राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत  पाल ने कहा कि वर्तमान युग, ज्ञान का युग है। विश्वविद्यालयों को ज्ञान का सृजन केंद्र बनना होगा। इसके लिए मौलिक व स्तरीय शोध को महत्व देना होगा। हमारे युवा जागरूक व दक्ष बनें, हमारी शिक्षा व्यवस्था युवाओं में प्रगतिशील सोच विकसित करे और उन्हें सृजनात्मक, आत्मविश्वासी व स्व-निर्भर बनाए। युवाओं को राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।

राज्यपाल ने कहा कि जब हम अपनी गे्रजुएशन कर रहे थे तो भारत की गिनती तृतीय विश्व के देशों में की जाती है परंतु आज भारत का विश्व में एक शक्तिशाली देश के तौर पर सम्मान है। देश का सुनहरा भविष्य युवाओं पर निर्भर करता है।  पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड में अवसंरचना संबंधी कठिनाईयां हैं। पलायन सरकार के लिए चिंता का सबब है। राज्य सरकार ने पलायन को रोकने के लिए कई कदम भी उठाए हैं। जिसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। राज्यपाल ने स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय को 1200 से अधिक गांव गोद लेने पर बधाई दी।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में योग व आयुर्वेद की महान परम्परा रही है। इस विरासत का संरक्षण कर वैकल्पिक चिकित्सा, योग व आयुर्वेद में बड़ा योगदान दिया जा सकता है। पूज्य स्वामी राम ने हमारी प्राचीन बुद्धिमत्ता को आधुनिक तकनीक से जोड़ा। जैसा कि प्रधानमंत्री जी कहते हैं हमारा लक्ष्य युवाओं को रोजगार ढूंढ़ने वाले से रोजगार प्रदान करने वाले में परिवर्तीत करना है। इसके लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करते हुए स्किल डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देना होगा।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि अच्छी शिक्षा के साथ हमारी सोच भी सकारात्मक, रचनात्मक और आशा व विश्वास से भरी होनी चाहिए। स्वामी राम ने प्रदेश के एक छोटे से गाॅव में जन्म लेकर अपनी प्रतिभा के बल पर अपने राज्य में इतने बड़े संस्थान की स्थापना जो चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ सुविधा एवं तकनीकि दक्षता के क्षेत्र में प्रदेश की सेवा कर रहा है। उत्तर भारत के लोग भी यहाॅ स्वास्थ्य लाभ ले रहे है, इस संस्थान में शिक्षा का बेहतर वातावरण होने से देश के विभिन्न राज्यों के छात्र यहाॅ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी राम अस्पताल में अपना उपचार कराने वाले अन्य प्रदेशों के लोग जब यहाॅ की अच्छी व्यवस्थाओं का जिक्र करते है तो अच्छा लगता है इससे प्रदेश का भी मान बढ़ता है।  उन्होंने युवा चिकित्सकों का आहवान किया कि वे मरीजों के साथ आत्मीयता का व्यवहार करे जिस जगह भी आप चिकित्सा सेवाये द,े वहाॅ बीमारी के इलाज में मानवीय दृष्टिकोण जरूरी है, इससे डाक्टर की गरिमा व महिमा बढ़ जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रचानात्मक कार्यो के प्रति भी ध्यान देना होगा विशेषकर पूर्ण साक्षरता को हासिल करने में उच्च शिक्षित लोग बड़ा योगदान दे सकते है। ‘एक पढ़े-एक पढ़ाये’ की भावना से हम कार्य करे तो देश में कोई अशिक्षित नहीं रह सकता है। उन्होंने स्वामीराम विश्वविद्यालय की प्रशंसा की कि दीक्षांत समारोह में उनके द्वारा भारतीय परिधानों को अपनाने की शुरूआत की गई है।

उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि तीन साल में उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सबसे आगे होगा। राज्य सरकार द्वारा टेलेंट सर्च के माध्यम से चयनित कर 100 छा़त्रों से निशुल्क शोध करवाया जाएगा। इसके साथ ही सभी जनपद मुख्यालयों में 20-20 छात्रों को चयनित कर आई.ए.एस, आईपीएस की परीक्षाओं के लिए  कोचिंग दी जाएगी। इसके लिए 80 लाख रूपए की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही प्रदेश में स्थापित 31 विश्वविद्यालयों के लिए एक अम्ब्रेला एक्ट बनाया जाएगा। दीक्षांत समारोह के लिए भारतीय परिधान प्रयोग में लाये जायेगे जिसकी डिजाइन तैयार की गई है।

स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. विजय धस्माना ने विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों, गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि दीक्षांत समारोह में लगभग 400 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई ।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More