नई दिल्ली: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में नवजात के स्वास्थ्य में सुधार के उद्देश्य से परिवार सहभागिता देखभाल (एफपीसी) के योजना एवं कार्यान्वयन के लिए संचालन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए। ये दिशा-निर्देश उन लोगों के लिए मार्गदर्शक की तरह कार्य करेंगे जो नवजात देखभाल आधारित सुविधा में एफपीसी शुरू करने का इरादा रखते हैं। दस्तावेज में नवजात देखभाल इकाई में बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और एफपीसी के कार्यान्वयन की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी होगी। एफपीसी के परिचालन दिशानिर्देश सभी हितधारकों के लिए हैं जो कि नवजात शिशु देखभाल के जन्म संबंधी पक्रिया में शामिल हैं।
दिशा-निर्देशों में दृष्टिकोण के विभिन्न पहलुओं, बुनियादी ढांचागत परिवर्तन की चर्चा की गई है जिससे नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में एफपीसी की स्थापना में मदद मिलेगी जैसे एफपीसी में राज्य और जिला प्रबंधक के संवेदीकरण, एफपीसी शुरू करने के लिए सीएनयूएसयू की प्राथमिकता, एसएनसीयू में परिवार भागीदारी देखभाल माहौल का निर्माण, अभिभावक-अटेंडेंट के लिए आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करना, एसएनसीयू के लिए एसएनसीयू स्टाफ का प्रशिक्षण, एफपीसी कार्यान्वयन के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुविधा प्रदाताओं की भूमिका और एफपीसी के लिए संस्थागत समर्थन।
एफपीसी के अंतर्गत ढांचागत प्रशिक्षण कार्यक्रम (ऑडियो-वीडियो मॉड्यूल और ट्रेनिंग गाइड) के माध्यम से नवजात शिशु देखभाल में अभिभावक-अटेंडेंट की क्षमता का निर्माण किया गया है। नवजात शिशु देखभाल इकाई में मौजूद स्टाफ लगातार निगरानी और सपोर्ट की सुविधा मुहैया कराएगा। इसके कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश राज्यों को जारी कर दिए गए हैं और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जब राज्य इन दिशा-निर्देशों को अपने यहां लागू करेंगे तो देखभाल की गुणवत्ता में और सुधार होगा।
बीमार और नवजात शिशु की अवस्था बेहद नाजुक होती है जिसके संरक्षण के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। जीवन के पहले वर्ष तक तो विशेष देखभाल व पोषण की जरूरत होती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देश भर में 700 से ज्यादा विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) स्थापित की गई है जहां लगातार 24 घंटे प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा नवजात शिशुओं की देखभाल-निगरानी की जाती है।
हालिया वर्षों में ऐसा महसूस किया गया है कि अगर नवजात शिशु के देखभाल इकाई में रहने के दौरान अभिभावकों को नवजात शिशुओं की देखभाल का प्रशिक्षण दिया जाए तो यह काफी अच्छा रहेगा। शिशु को डिस्चार्ज किए जाने के बाद माता-पिता इससे बेहतर ढंग से अपने बच्चे की देखभाल कर पाएंगे। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में परिवार सहभागिता देखभाल एक अहम अवधारणा बन गया है।