नई दिल्लीः आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप एस. पुरी ने राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी चैलेंज के चौथे दौर के विजेता शहरों के नामों की घोषणा कर दी है। आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने यह जानकारी दी कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर के विजेता शहरों की सूची में दादर एवं नगर हवेली की राजधानी सिलवासा का नाम सबसे ऊपर है। अन्य विजेता शहर निम्नलिखित हैं –
- इरोड, तमिलनाडु
- दीव, दमन और दीव
- बिहारशरीफ, बिहार
- बरेली, उत्तर प्रदेश
- इटानगर, अरुणाचल प्रदेश
- मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
- सहारनपुर, उत्तर प्रदेश और
- कावारत्ती, लक्षद्वीप
मंत्री महोदय ने आज यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह अत्यंत उत्साहजनक बात है कि विजेता शहरों ने स्मार्ट सिटी से संबंधित अपने प्रस्तावों की गुणवत्ता में 19 प्रतिशत (औसत) की वृद्धि की है, जिससे वे चयन के योग्य बन पाए हैं। हर शहर ने एक अनोखा विज़न विकसित किया है और एक ऐसे क्षेत्र (एबीडी) का चयन किया है, जिसे प्रकाश स्तंभ (लाइटहाउस) के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन 9 चयनित शहरों ने 12,824 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित किया है, जिनमें से 10,639 करोड़ रुपये क्षेत्र आधारित विकास (एबीडी) में निवेश किए जाएंगे और 2185 करोड़ रुपये पूरे शहर से संबंधित पहलों में लगाए जाएंगे, जिससे इन क्षेत्रों में निवास कर रहे 35.3 लाख लोगों के रहन-सहन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे। उन्होंने बताया कि इस मिशन के तहत स्मार्ट सड़कों, जल क्षेत्रों के कायाकल्प या संरक्षण, साइकिल पथ, पैदल पथ, स्मार्ट क्लासरूम, कौशल विकास केंद्रों, स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन और पूरे शहर से जुड़ी परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है।
इन 9 शहरों में लगभग 409 परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं के वित्त पोषण के स्रोत कुछ तरह से प्रस्तावित हैं : एससीएम-राज्य एवं केंद्र की ओर से योगदान 61.25 प्रतिशत, सामंजस्य 24.19 प्रतिशत, पीपीपी 12.90 प्रतिशत, स्वयं के स्रोत 1.57 प्रतिशत और अन्य स्रोतों का योगदान 0.09 प्रतिशत। आज की घोषणा के साथ ही 99 शहरों का चयन स्मार्ट सिटी के रूप में हो चुका है। इससे पहले जनवरी 2016 में 20 शहरों, मई 2016 में 13 शहरों, सितंबर 2016 में 27 शहरों और जून 2017 में 30 शहरों का चयन हुआ था। इन 9 शहरों के चयन के साथ ही स्मार्ट सिटी मिशन के 99 शहरों में प्रस्तावित निवेश कुल मिलाकर 2,03,979 करोड़ रुपये का होगा।
स्मार्ट सिटी के क्षेत्र में हुई प्रगति का विवरण देते हुए श्री पुरी ने जानकारी दी कि पहले से ही चयनित 90 शहरों में से 85 शहरों ने अपने-अपने विशेष उद्देश्य वाहनों (एसपीवी) का गठन गर दिया है और 61 शहरों ने पीएमसी की सेवाएं सुनिश्चित कर ली हैं तथा 8 अन्य शहर अपने-अपने पीएमसी की सेवाएं लेने के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना क्रियान्वयन के मामले में नये मानक स्थापित कर रहा है। पिछले दो वर्षों, जो शहरी विकास की दृष्टि से एक छोटी अवधि है, के दौरान स्मार्ट सिटी मिशन ने काफी तेज गति पकड़ ली है। उन्होंने बताया कि ‘पूर्ण परियोजनाओं’ के मूल्य में 350 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि हुई है और इसके साथ ही पिछले छह महीनों के दौरान ‘कार्य शुभारंभ परियोजनाओं’ के मूल्य में 230 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। स्मार्ट सिटी अपनी-अपनी परियोजनाओं में अभिनव विचारों को अमल में ला रही हैं। श्री पुरी ने बताया कि इन कदमों के परिणामस्वरूप लोगों के जीवन स्तर अथवा रहन-सहन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
17 जनवरी, 2018 तक 1,38,730 करोड़ रुपये की लागत वाली 2948 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में थीं। 2237 करोड़ रुपये की लागत वाली 189 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 18616 करोड़ रुपये की लागत वाली 495 परियोजनाओं का क्रियान्वयन जारी है। इसी तरह 15885 करोड़ रुपये की लागत वाली 277 परियोजनओं के लिए कई और निविदाएं जारी की गई हैं, जबकि 101992 करोड़ रुपये की लागत वाली 1987 परियोजनाएं डीपीआर चरण में हैं।
90 स्मार्ट सिटी के चयन के दौर की दृष्टि से हुई प्रगति का उल्लेख नीचे किया गया है-
कार्य आरंभ एवं पूरा हुआ | निविदा जारी की गई | कुल | |||||
चयन का दौर | चयन का वर्ष | परियोजनाएं | लागत | परियोजनाएं | लागत | परियोजनाएं | लागत |
आर1 (20 शहर) | जनवरी 2016 | 367 | 11934 | 140 | 8,498 | 966 | 46,313 |
आर2 (40 शहर) और
आर3 (30 शहर) |
मई और सितंबर 2016
तथा जून 2017 |
317 | 8918 | 137 | 7,386 | 1,982 | 92,417 |
कुल (90 शहर) | 684 | 20852 | 277 | 15,885 | 2948 | 1,38,73 |
रहन-सहन सूचकांक कार्यक्रम का शुभारंभ
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री ने 116 शहरों में ‘रहन-सहन सूचकांक’ कार्यक्रम का शुभारंभ करने की भी घोषणा की। आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय अनेक प्रमुख शहरी मिशन क्रियान्वित कर रहा है। इन मिशनों का एक अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्य भारत के शहरों को और ज्यादा ‘रहन-सहन योग्य’ बनाना है। शहरों की मौजूदा स्थिति का आकलन करने और वहां के निवासियों का जीवन स्तर बेहतर करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक साझा न्यूनतम रूपरेखा विकसित करने हेतु आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने भारतीय शहरों की दृष्टि से प्रासंगिक माने जाने वाले ‘रहन-सहन मानकों’ का एक समूह विकसित किया है, ताकि ‘रहन-सहन सूचकांक’ तैयार किया जा सके और शहरों की रेटिंग की जा सके।
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