नई दिल्लीः केन्द्रीय आवास और शहरी मामले राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने जानकारी दी है कि 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-यू) के लॉंच किए जाने के बाद से सरकार ने सभी प्रवर्गो में अब तक 30.76 लाख आवास स्वीकृत किए हैं। वर्तमान में 15.65 लाख आवास निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। शहरी मिशनों के त्वरित कार्यान्वयन तथा स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि भारत भौतिक स्थिति, आबादी और सामाजिक-आर्थिक विविधता के मानको के आधार पर बदलाव की प्रक्रिया में है। राष्ट्रीय आर्थिक प्रक्रिया में शहरों की भूमिका बढ़ गई है। रोज़गार, वाणिज्य, व्यापार, उद्योग और अन्य सेवाओं के लिए शहरों को कुशलतापूर्वक कार्य करना है। इसके लिए शहरों का विकास महत्वपूर्ण है। आवास क्षेत्र आर्थिक विकास का इंजन है। यह क्षेत्र रोज़गार के अवसरों को पैदा करने, टैक्स और मज़दूरी के आधार पर जीवन स्तर को प्रभावित करता है। देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सरकार ने भारतीय नागरिकों को 2022 तक सशक्त बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। आवास और शहरी मामलों के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा और विभिन्न राज्यों के अधिकारी व उद्योग परिसंघो के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि आवास की स्थानीय मांग लगभग 12 मिलियन है। इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं जैसे सस्ते आवासों के लिए अवसंरचना की स्थिति का आकलन, आयकर कानून की धारा 80-आईबीए के तहत प्रत्यक्ष कर लाभ, एफडीआई में छूट, ईसीबी प्रस्ताव, कारपेट क्षेत्र में बदलाव आदि।
मंत्री महोदय ने कहा कि आज का सेमिनार महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें उन रूकावटों पर चर्चा की जाएगी जो सस्ते घरों और स्लम पुनर्वास आवासों (आईएसएसआर) के निर्माण में बाधा उत्पन्न करते हैं। स्लम पुनर्वास को लागू करने में कुछ चुनौतियां हैं जैसे भूमि की कमी, वित्तीय मॉडल, निजी निर्माताओं का चयन करना, लाभान्वितो की सहभागिता, नीति निर्धारण आदि। राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को स्लम मुक्त दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और अपने शहरों को आइएसएसआर का लाभ लेते हुए विकसित करना चाहिए।
लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण (बीएलसी) योजना को व्यापक रूप से लागू किया गया है। जिन व्यक्तियों के पास अपनी ज़मीन है उनके लिए यह योजना काफी लाभदायक है। मंत्रालय ने हाल ही में सस्ते घरों के लिए 8 पीपीपी मॉडल लॉंच किया है। इसके तहत आवास निर्माण के लिए नई प्रोद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है। सस्ते आवासों के लिए सार्वजनिक-निजी मॉडल को भी अपनाया गया है।
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