लखनऊ: देश की आजादी और उसके बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने के लिए जमिअत उलमा हिन्द की सेवाओं, कुर्बानियों , भावनाओं और क्रियाओं को भुलाया नहीं जा सकता है। हिन्दुस्तान हमारा देश है। इस देश के कोने कोने से हमे प्यार है। यहां सदियों से विभिन्न कौमों, सभ्यताओं का संगम रहा है। अनेकता में एकता ही इसकी सर्वेश्रेष्ठ विशेषता है। अंग्रोंजों की जालिम हुकूमत भी हमारी इस विशेषता को खत्म करने में कामयाब नहीं हो सकी। बल्कि सभी हिन्दुस्तानियों ने मिल कर हिन्दुस्तान को आजाद कराया और देश में एकता व अखण्डता को कायम रखा। आज भी और भविष्य में भी उसी पुराने भाईचारे और एकता, सम्प्रदायिक सौहार्द को बनाय रखा जाए। हर वर्ग के साथ इन्साफ हो। धर्म व वर्ग के नाम पर किसी से कोई भेद भाव न किया जाए। इसी संदेश को आम करने और देश में एकता, भाई चारा, अमन शांति कायम रखने के लिए जमियत उलमा हिन्द के निर्देशानुसार जमिअत उलमा लखनऊ के पदाधिकारियों और विभिन्न समुदाया के बुद्धिजीवियों ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अमन मार्च निकाला। जमिअत के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कारी मोहम्मद उस्मान मन्सूरपुरी और महासचिव मौलाना सैय्यद महमूद असद मदनी के निर्देशानुसार निकाले गऐ इस अमन मार्च का नेतृत्व जिला ईकाई के कार्यवाहक अध्यक्ष और मशहूर समाजी कार्यकर्ता डा0 सलमान खालिद ने किया। यह अमन मार्च अमन और देश की सुरक्षा के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की याद में स्थापित कारगिल शहीद पार्क से शहीद स्मारक पार्क तक निकाला गया। इस दौरान मार्च में शाामिल संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता अमन शांति का पैगाम देने वाले प्ले कार्ड और बैनर लिए हुए थे। जिनमें – जमिअत उलमा का है यह नारा- प्यार मोहब्बत भाई चारा, जमियत का पैगाम- नफरत की आग बुझाओं, प्यार मोहब्बत जिन्दाबाद, सम्प्रदायिकता मुर्दाबाद, नफरत मिटाओें, देश बचाओ, धर्म के नाम पर गुण्डा गर्दी-नहीं चलेगी-नहीं चलेगी, आओ! सब मिलकर देश बनाएं। हिन्दु-मुस्लिम-सिख-ईसाई -आपस में हैं सब भाई-भाई। आदि नारे लिखे हुए थे। अनम मार्च शहीद स्मारक पहुंचकर एक सभा में परिवर्तित हो गया।
इस मौके पर मनकामेश्वर मंदिर की प्रमुख महन्त दिव्या गिरी ने कहा कि जमिअत उलमा सदियों से देश में एकता अखण्डता, विकास और अमन के लिए काम कर रही है। आज भी अमन और भाई चारा का बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है और ऐसे में देश भर में अमन मार्च एक बहुत अच्छा कदम है।
डा0 सलमान खालिद ने कहा कि जमिअत उलमा एक सदी से हिन्दुस्तानियों की सेवा में लगी है। जब भी देश या जनता पर संकट के बादल छाए, जमिअत उलमा ने मैदान में आकर जनता की सेवा की, उनका नेतृत्व किया, उनका मनोबल बढ़ाया और जहां जुल्म व न इंसाफी हुई उसके खिलाफ न सिर्फ आवाज उठायी बल्कि लोकतांत्रिक ढंग से उसका मुकाबला किया। आज भी अमन व शांति के लिए जमिअत उलमा हर तरह ये अवाम के साथ है। सभा को डा0 अब्दुल कुद्दूस हाशमी आदि ने भी संबोधित किया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि हर वह व्यक्ति जो अमन शांति को भंग करना चाहता है वह किसी वर्ग विशेष का नहीं बल्कि देश का दुश्मन है। सम्प्रदायिकता के नंगे नाच को फौरन रोका जाए और अमन का बहाल रखा जाए क्योंिक बगैर अमन के देश की तरक्की नहीं हो सकती। जमिअत उलमा यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि अमन शांति के लिए हमारा यह आंदोलन सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के बचाने और बनाने के लिए है।
अमन मार्च में अन्य लोगों के अलावा सईद खान, रेहान किदवाई, सै0 मोहम्मद हसीन हाशमी, हुसैन अमीन, चैधरी आले उमर कुरैशी, कारी शम्स उल हुदा रहमानी, आरिफ नगरामी, मौलाना सै0 अहमद हातिब कासमी, मौलाना मुद्दसिर कासमी, कमर सीतापुरी, मोहम्मद सिराज, आदिमौलाना गुफरान कासमी, आदि विशेष तौर पर शामिल रहें।