शिमला: हिमाचल विधानसभा में मंगलवार से बजट 2017-18 पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरूआत करते विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने वीरभद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। धूमल ने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है और कर्ज निरंतर बढ़ता जा रहा है। प्रदेश को केंद्र सरकार से भरपूर मदद मिल रही है, लेकिन यहां की सरकार बेहतर प्रबंध नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार के समय जहां प्रदेश को महज 20 हजार करोड़ की राशि बतौर वित्तीय मदद मिलती थी, जबकि केंद्र सरकार से 14वें वित्त आयोग में प्रदेश को 72 हजार 47 करोड़ की ग्रांट मिली। उन्होंने कहा कि कर्ज उठाने के लिए केंद्रीय वित मंत्रालय ने प्रदेश सरकार पर अब कड़ी शर्तें लगा दी हैं तथा भविष्य में सरकार ने कर्ज लेने का रास्ता खुद ही खुद बंद कर दिया है। चर्चा के दौरान धूमल ने निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज लेने का आरोप प्रदेश सरकार पर जड़ा।
धूमल ने कहा कि सूबे की सरकार सालाना चार हजार करोड़ कर्ज ले सकती है, लेकिन इससे बढ़कर सरकार पांच हजार करोड़ का कर्ज उठा चुकी है। धूमल ने बेरोजगारी भत्ते पर वीरभद्र सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि प्रदेश में 12 लाख बेरोजगार हैं, जिन्हें बेरोजगारी भत्ता देने के लिए 12 हजार करोड़ रुपये चाहिए। जबकि सरकार ने महज 150 करोड़ का प्रावधान किया है। धूमल ने कहा कि बजट महज घोषणाओं से भरा हुआ है लेकिन इन्हें पूरा नहीं किया गया। वर्ष 2013-14 के बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने वित्तीय संसाधन जुटाने हुए हाईपावर कमेटी बनाने की घोषणा की थी, सरकार इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। धूमल ने कहा कि कैबिनेट मंत्री सुधीर शर्मा के विधानसभा क्षेत्र धर्मशाला पर मुख्यमंत्री की विशेष कृपा रहती है। लेकिन धर्मशाला में फुटबाल एकैडमी खोलने की घोषणा को भी अमलीजामा नहीं पहनाया गया। इसी तरह राजधानी शिमला के संजौली में हैलीपैड खोलने की घोषणा गत बजट में हुई थी, मगर इसे भी ठंडे बस्ते में डाला गया है। हर विधानसभा क्षेत्र में खेल मैदान खोलने की घोषणा भी महज घोषणा बनकर रह गई।
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