नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री मुख्तारअब्बास नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा आयोजित “हुनर हाट” देश भर के हुनर केउस्तादों को हौसला, मार्किट-मौका मुहैय्या कराने का बड़ा अभियान साबित हुआ है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री नकवी ने कहा कि दिल्ली में कनॉट प्लेस के बाबा खड़कसिंह मार्ग पर 11 से 26 फरवरी तक लगाए गए दूसरे “हुनर हाट”से जहां देश के कलाकारो, शिल्पकारोंतथा दस्तकारों को मौका-मार्केट मिला वहीं इसने सामाजिक सद्भाव का भी बड़ा संदेश दिया। इस “हुनरहाट” में 26 लाख से भी ज्यादा लोग आए जिनमे देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी शामिल थे।लोगों ने दस्तकारों-शिल्पकारों के सामान की लाखों रूपए की खरीद ही नहीं की बल्कि इन्हें बड़ी संख्यामें देश-विदेश से आर्डर मिले हैं।
“हुनर के उस्तादों” की पारंपरिक विरासत को हौसला देने के मजबूत मिशन के तहत आयोजितदूसरा “हुनर हाट” उम्मीद से ज्यादा लोकप्रिय हुआ। “शिल्प और कुजिन का संगम” थीम पर आधारितइस “हुनर हाट” की खासियत देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए शिल्प और पारंपरिक व्यंजन रहे।इस “हुनर हाट” में कला और शिल्प के साथ-साथ देश के विभिन्न व्यंजनों का “बावर्चीखाना” भी था, इस “हुनर हाट” में हस्तशिल्प और व्यंजनों के अलावा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, कव्वाली, गजल, भजन, कठपुतली का नाच एवं बाइस्कोप भी लोगों के लिए आकर्षण का विषय रहे। “हुनर हाट”में जहांशिल्पकारों/दस्तकारों ने अपने हुनर का जलवा बिखेरा, वहीं देश के कोने-कोने के पकवानों का “बावर्चीखाना”भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना।
श्री नकवी ने कहा कि भारतीय संस्कृति-संस्कार सद्भाव की इस शानदार मिसाल की यहाँ हरआने वाले व्यक्ति ने सराहना की। यहाँ पर आये कारीगरों, शिल्पकारों ने ना केवल निजी रूप से साफ-सफाई का ध्यान रखा बल्कि अपने आस-पास की सफाई स्वयं कर “स्वच्छ भारत अभियान” को भीमजबूत किया।
“हुनर हाट” के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/hunarhaat17/ का शुभारम्भ भी 16 फरवरी को किया गया। इस फेसबुक पेज पर अभी तक लगाए गए दोनों “हुनर हाट” की जानकारीउपलब्ध है। इसके अलावा लगाए गए स्टाल, सम्बंधित राज्य, स्टाल में बिक्री के लिए उपलब्धकलाकृतियों, हस्तशिल्प, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों की जानकारी, “हुनर हाट” के फोटो, विडियो भीउपलब्ध है।
“हुनर हाट” की गतिविधियां इस फेसबुक पेज पर लाइव भी देखी गईं। इस हाट में देश केलगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 100 से ज्यादा कारीगरों/शिल्पकारों और 30 से ज्यादाखानसामों ने अपने हुनर को लोगों के सामने पेश किया। इन कारीगरों/शिल्पकारों और खानसामों मेंराज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता भी शामिल थे। दूसरे “हुनर हाट” में हस्तशिल्प औरहथकरघा के बेजोड़ नमूनों जैसे मकराना संगमरमर के उत्पाद, सीकर से बंधेज, राजस्थान से मोजरी, तेलंगाना से बंजारा कढ़ाई, हाथ से बने ताले और डोर हैंडल के साथ अलीगढ़ की फूल पत्ती का काम, नागालैंड के कोकून डेकोरेटिव प्रोडक्ट, उत्तर प्रदेश से सिरेमिक से बानी क्राकरी, चीनी मिटटी केसामान, मिट्टी के बर्तन, चन्दन और अन्य लकड़ी से हस्त निर्मित सजावट के सामान, सूती केडिज़ाइनर कपडे, बनारसी साड़ी, मणिपुर से मनके का काम, नागालैंड के बने बस्ते, असम से जूट कासामान, गुजरात से तांबे की कारीगरी, मुरादाबाद के तांबे के बर्तन लोगों के लिए उपलब्ध थे।
इसके अलावा मध्य प्रदेश से माहेश्वरी साड़ी, कश्मीरी पश्मीना, कर्नाटक से बिदरी का सामान, उत्तराखंड का हथकरघा सामान, हिमाचल प्रदेश से ऊन निर्मित सामग्री, केरल से कांच निर्मित सामानऔर मिजोरम के पारंपरिक शिल्प को प्रदर्शित और बेचने के लिए लाया गया। 13 राज्यों के व्यंजनविशेषज्ञों द्वारा तरह-तरह के लजीज व्यंजनों का भी लोगों ने जम कर लुत्फ उठाया।
इन व्यंजनों में लखनऊ का अवधी मुगलई, रॉयल मुगलई, राजस्थान से दाल बाटी चुरमा एवंथाली, पश्चिम बंगाल के व्यंजन, केरल से मालाबारी फूड, बिहार का लिट्टी चोखा, महाराष्ट्र से पुरनपोली, गुजरात से ढोकला और जलेबी, वडापाव, दिल्ली की आलू चाट, जम्मू और कश्मीर से कश्मीरीवजवान, मध्यप्रदेश से भुट्टे की कीस,साबूदाना खीर एवं खिचड़ी, मणिपुर के खाद्य पदार्थ, नागालैंड केपारंपरिक व्यंजन के अलावा केसरिया दूध, कुल्फी, गरमा गरम जलेबी तथा विभिन्न प्रकार के अचार, पंजाब के छोले भठूरे के साथ-साथ दक्षिणी भारत के विभिन्न पारंपरिक व्यंजन शामिल थे।
अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा पहले “हुनर हाट” का आयोजन पिछले साल 14 से 27 नवम्बर मेंप्रगति मैदान में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के दौरान किया गया था।
अगला “हुनर हाट” जल्द ही मुम्बई में आयोजित किया जायेगा। इसके अलावा कोलकाता, हैदराबाद, बंगलुरु, लखनऊ, इलाहाबाद, रांची, गुवाहाटी, जयपुर, भोपाल आदि स्थानों पर भी “हुनरहाट” आयोजित करने की योजना है जिससे कि देश के हर कोने के दस्तकारों, शिल्पकारों कोप्रोत्साहित किया जा सके।
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