लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 हेमवती नन्दन बहुगुणा के जन्म शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारम्भ हेतु आज यहां विधान भवन के तिलक हाल मंे आयोजित एक कार्यक्रम में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। यह कार्यक्रम विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा भारत माता के महान सपूत थे। एक राष्ट्रभक्त राजनेता तथा समाजसेवी के रूप में गरीबों, शोषितों, वंचितों के लिए उनका संघर्ष अविस्मरणीय है। बहुगुणा जी का जन्म 25 अप्रैल, 1919 को वर्तमान उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जनपद के एक गांव में हुआ था। आज भी वहां का मार्ग दुर्गम है। सौ वर्ष पहले ऐसी स्थिति से निकलकर राजनीति और समाजसेवा के माध्यम से देश और प्रदेश में अपना स्थान बनाना, उनके कठिन परिश्रम, लगन, कर्मठता तथा संघर्षशीलता का परिचायक है।
प्रदेश की राजधानी में श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा जैसे महान राजनेता व समाजसेवी की कोई मूर्ति अथवा स्मारक न होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए योगी जी ने कहा कि उनकी स्मृतियों को संजोए रखने के लिए स्मारक होना चाहिए। जन्म शताब्दी वर्ष में छात्रों, नौजवानों, मजदूरों आदि, जिनके लिए बहुगुणा जी ने संघर्ष किया, के बीच कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। इन कार्यक्रमों से राज्य की जनता तथा प्रदेश सरकार को भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि बहुगुणा जी के जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से, युवा पीढ़ी उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित होकर प्रेरणा प्राप्त करेगी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि शक्तिशाली राष्ट्र के लिए जनमानस में इतिहास बोध आवश्यक है। महापुरूषों के जयन्ती समारोह जनसामान्य को महापुरूषों की स्मृति के माध्यम से इतिहास से परिचित कराने के साथ ही, लोगों में इतिहास बोध पैदा करने में भी सहायक सिद्ध होते हंै। उन्होंने कहा कि असाधारण होकर भी साधारणजन से जुड़े रहना बहुगुणा जी की बड़ी खूबी थी।
उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा जी का लखनऊ से करीबी रिश्ता था। वे पहाड़ी व मैदानी इलाकों की जनता सहित श्रमिक वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग आदि में भी काफी लोकप्रिय थे। कर्मचारी नेताओं से उनका सान्निध्य था। जनता के प्रति समर्पण, ईमानदारी व विनम्रता उनके विशेष गुण थे। उनके गुणों के कारण विरोधी भी उनका सम्मान करते थे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पर्यटन मंत्री एवं बहुगुणा जी की पुत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि उनके पिता श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा का राष्ट्रप्रेम अनन्य था। लोकतांत्रिक प्रणाली में उन्हें पूरा विश्वास था। बहुगुणा जी को एक स्वाभिमानी, न्यायी, हार न मानने वाला तथा सतत संषर्घशील व्यक्ति बताते हुए उन्होंने बहुगुणा जी से जुड़े संस्मरण भी साझा किए।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री, दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, प्राविधिक शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क मंत्री श्री नन्द गोपाल ‘नन्दी’ सहित जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।