लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महिला पंचायत प्रतिनिधियों के क्षमता विकास हेतु 04 दिवसीय आॅनलाइन राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
यह जानकारी निदेशक पंचायतीराज श्रीमती किंजल सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि महिला प्रतिनिधियों की क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से आॅनलाइन 04 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा प्रमाणित पंचायती राज विभाग के राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रशिक्षण के आयोजन से पूर्व सभी प्रतिभागियों का आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया तथा प्रशिक्षण में आॅनलाइन प्रतिभाग करने हेतु राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा लिंक उपलब्ध कराया गया। प्राप्त लिंक के माध्यम से सभी प्रतिभागियों द्वारा अपने-अपने स्थान से आॅनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया। प्रशिक्षण में 15वाॅ वित्त आयोग, पीआरआई-सीबीओ कन्र्वजेन्स, पोषण-जेण्डर तथा पंचायत गर्वनेन्स, नेतृत्व विकास, मिशन शक्ति, ग्राम पंचायत विकास योजना (जी.पी.डी.पी.), महिला मुद्दों पर आधारित जी.पी.डी.पी., सतत् विकास लक्ष्य (ैक्ळ) जैसे विषयों पर विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से चर्चा की गयी। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनरों की सहयता से भविष्य में चयनित महिला पंचायत प्रतिनिधियों को इस वर्णित मुद्दों के साथ-साथ पंचायत से जुडे विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षित किया जायेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के सहयोग से महिला पंचायत प्रतिनिधियों के क्षमता विकास हेतु 23 से 26 नवम्बर, 2020 के मध्य आॅनलाइन राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (ज्तंपदपदह व िज्तंपदमते.ज्वज्) कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
नोडल अधिकारी श्रीमती प्रवीणा चैधरी, उपनिदेशक(पं0), पंचायती राज ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिये ‘‘मिशन शक्ति‘‘ के नाम से विशेष अभियान संचालित किये जाने के निर्देश दिये गये है। जिसके सन्दर्भ में व्यापक कार्ययोजना तैयार की गयी है, इस कार्य योजना के अंतर्गत शारदीय नवरात्रि से वासंतिक नवरात्री के मध्य (दिनांक 17 अक्तूबर, 2020 से अप्रैल, 2021 तक, कुल 180 दिन) विभागीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
श्रीमती चैधरी ने बताया कि निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधि परिवर्तन का वाहक है और वह विकास के प्रति उन्मुख है। उन्होंने बताया कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के सार्वजनिक निर्णयों में भागीदारी के दृष्टिगत सराहनीय परिवर्तन सामने आये हैं। जब महिला पंचायत की प्रतिनिधि बनती है तो वह जेण्डर, स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल विकास, आजीविका आदि विकास के मुद्दों को प्राथमिकता देती है। उन्होंने बताया कि कई चयनित महिला प्रतिनिधियों ने परोक्षी (चतवगल) के तौर पर पंचायतों में कार्य करना प्रारम्भ किया है तथा बेहतर योजनाकार के रूप में समुदाय के लोगों की ज़रूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने का कार्य भी किया है।