नई दिल्ली: सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही हैं। कंपनियों की हालत यह है कि इसे चलाने के लिए वह सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक मदद पर निर्भर हैं। बावजूद इसके कि कंपनी की माली हालत ठीक नहीं है, अपने यूजर्स को बेहतर ऑफर दे रही है ताकि नए कस्टमर उससे जुड़ें। आंध्र प्रदेश में भी 4जी सेवा को शुरू कर दिया गया। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बीच कंपनी अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों ही कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को जुलाई माह की सैलरी नहीं दी है। कंपनी के सभी 1.98 लाख कर्मचारी बिना सैलरी के गुजर करने को मजबूर हैं। सामान्य तौर पर दोनों ही कंपनियां अपने कर्मचारियों को सैलरी महीने के अंत में दे देती हैं। ऑल इंडिया यूनियंस एंड असोसिएसंश ऑफ बीएसएनएल के कंवीनर पी अभिमन्यु ने बतया कि जुलाई माह की सैलरी अभी तक नहीं आई है, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं दी गई है कि सैलरी कब दी जाएगी।
वहीं बीएसएनएल के सीएमडी का कहना है कि कर्मचारियों की सैलरी 5 अगस्त तक दे दी जाएगी। हम आंतरिक स्रोतों से फंड इकट्ठा कर रहे हैं। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब बीएसएनएल के कर्मचारियों को समय से सैलरी नहीं दी गई है। इससे पहले भी फरवरी माह की सैलरी देने में कर्मचारियों को विलंब किया गया था। उस वक्त भी फंड किसी तरह से इकट्ठा किया गया था। बीएसएनएल को अपने सभी कर्मचारियों को कुल 750-800 करोड़ रुपए सैलरी देनी होती है। जबकि एमटीएनएल को कुल 160 करोड़ रुपए बतौर सैलरी के रूप में देनी पड़ती है। एमटीएनएल के एचआर और डायरेक्टर सुनील कुमार का कहना है कि हम बकाया पैसे जमा कर रहे हैं, जैसे ही वो हो जाएगा सैलरी दे दी जाएगी। source: oneindia.com