नई दिल्ली: यह दिल्ली स्थित एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में 8 जुलाई, 2018 को प्र्रकाशित एक लेख के संदर्भ में है, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) को लेकर कुछ अधूरे आंकडें दिए गए हैं। सही आंकड़ें निम्नलिखित हैं-
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के कार्यान्वयन के तीन वर्षों के भीतर करोड़ घरों की वैधीकृत मांग के मुकाबले 51 लाख रिहाइशी इकाइयों को स्वीकृति दी गई है। यह पहले की आवास योजना के मुकाबले एक बड़ी छलांग है जिनमें कार्यान्वयन के नौ वर्षों के भीतर केवल 12.4 लाख घरों को अनुमोदित किया गया।
51 लाख अनुमोदित घरों में से 28 लाख घरों का नींव से संबंधित कार्य संपन्न हो चुका है और वे पूर्णता के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अतिरिक्त, 8 लाख से अधिक घर बन कर पहले से तैयार हो चुके हैं और लगभग 8 लाख घरों में लाभार्थियों ने रहना आरंभ भी कर दिया है।
समाचार पत्र में इस प्रकार की धारणा प्रदर्शित की गई है कि आवास निर्माण अंतरालों को पाटने के लिए प्रस्तावित वैश्विक आवास निर्माण प्रौद्योगिकी चुनौती आरंभ की जा रही है। यह गलत धारणा है। दरअसल, नई और फास्ट ट्रैक निर्माण प्रौद्योगिकी का पहले से ही व्यापक तरीके से योजना में उपयोग किया जा रहा है।
कवरेज के मामले में यह मिशन पूर्व में क्रियान्वित की जा रही आवास योजनाओं के इतिहास में एक क्रांतिकारी बदलाव है। भारत सरकार मिशन की अवधि 2022 के आखिर तक ‘सभी के लिए आवास‘ उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।