लखनऊः निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उत्तर प्रदेश डॉ० रोशन जैकब ने बताया कि 100 घन मी0 तक एवं 100मी0 से अधिक साधारण मिट्टी के खनन/परिवहन हेतु भिन्न-भिन्न प्रक्रिया पूर्व मे ही निर्धारित की गयी थी, परन्तु कतिपय जनपदो से शिकायतें प्राप्त हो रही है कि 100 घनमी0 तक के साधारण मिट्टी की प्रक्रिया का दुरूपयोग हो रहा है।
दुरूपयोग को रोकने तथा एकरूपता लाने के उद्देश्य से साधारण मिट्टी के परिवहन हेतु जारी दिशा निर्देशों का अक्षरशःअनुपालन सुनिश्चित करने की अपेक्षा डॉ रोशन जैकब ने समस्त जिलाधिकारियों से की है।
जारी दिशा निर्देशों में डा०रोशन जैकब ने कहा है कि खनन अनुज्ञा पत्र हेतु आवेदन निर्धारित प्रपत्र-एम0एम0-8 में विभागीय पोर्टल नचउपदमउपजतंण्पद पर समस्त संलग्नकों यथा आवेदक का नाम व पता, मो0नं0, ई-मेल आई0डी0, पहचान पत्र आवेदित भूमि की खतौनी, आवेदित क्षेत्र को प्रदर्शित करते हुए खसरा मानचित्र, आवेदन शुल्क, काश्तकार की सहमति पत्र व अन्य आवश्यक अभिलेख सहित आनलाईन आवेदन प्रस्तुत किया जायेगा।
आवेदक द्वारा ऑनलाईन प्रस्तुत आवेदन पत्र के क्रम में जिलाधिकारी द्वारा आवेदित भूमि में स्वामित्व की स्थिति, सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा आदि के दृष्टिगत आवेदन पत्र की जांच के उपरान्त आवेदन पत्र स्वीकृत/अस्वीकृत सम्बन्धित सूचना विभागीय पोर्टल पर प्रदर्शित की जायेगी। स्वीकृत आवेदन पत्र के क्रम में खनन अनुज्ञा पत्र ऑनलाईन निर्गत किया जायेगा।
आवेदन पत्र पूर्ण करने की तिथि से 15 दिन के अन्दर उक्त कार्यवाही पूर्ण की जायेगी। नियत अवधि में अनुज्ञा पत्र निर्गत न होने की दशा में स्वतरू निर्गत समझा जायेगा। अनुज्ञा पत्र निर्गत होने के उपरान्त साधारण मिट्टी के परिवहन हेतु ई-एम0एम0 11 जनरेशन की कार्यवाही निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म, उ0प्र0 द्वारा ऑनलाईन पोर्टल के माध्यम से की
जायेगी। खनन अनुज्ञा पत्र की अवधि, स्वीकृत मात्रा एवं परिवहन के संसाधनों के आधार पर
जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया जायेगा। अनुज्ञा पत्र में उल्लिखित साधारण मिट्टी की मात्रा के निकासी पूर्ण होने अथवा अनुज्ञा की अवधि समाप्त होने, जो भी पहले घटित हो, के दिनांक से अनुज्ञा पत्र स्वतः निरस्त समझा जायेगा। मिट्टी के संवेदनशील खनन क्षेत्र से खनन संकिया प्रतिबन्धित किये जाने अथवा किसी सार्वजनिक सम्पत्ति के सुरक्षा के दृष्टिगत सुरक्षात्मक दूरी निर्धारित करने का अधिकार जिलाधिकारी में निहित होगा। स्थानीय स्थिति तथा परिवेश को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी द्वारा अतिरिक्त शर्ते लगायी जा सकती है।
डा० जैकब जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि दी गयी व्यवस्था के अन्तर्गत साधारण मिट्टी के समस्तआवेदन पत्रों का निस्तारण कराना सुनिश्चित करें।