19.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

दुष्कर्म और पॉस्को अधिनियम के मुकदमों के शीघ्र निपटारे के लिए 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों का गठन

देश-विदेश

नई दिल्ली: 12 वर्ष से कम आयु की नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म तथा महिलाओं के खिलाफ इसी तरह के जघन्य अपराधों की घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रखा दिया है। इसलिए महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए यौन अपराधों से संबंधित मुकदमों की जल्द सुनवाई पूरी कर लेने की पहल की गई है। ऐसे मुकदमों को निपटाने के संबंध में अधिक सख्त प्रावधानों और तेज सुनवाई के लिए भारत सरकार ने आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 को लागू किया है।

यह पहल राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन के अंग के रूप में फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के गठन के साथ की गई है। इस प्रकार केन्द्र सरकार ने देश भर में 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के गठन की योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मुकदमों (31.03.2018 तक कुल लंबित मुकदमों की संख्या 1,66,882) के मद्देनजर दुष्कर्म और पॉस्को अधिनियम के लंबित मुकदमों की जल्द सुनवाई और उनका निपटारा किया जाएगा। इसके अलावा स्वमेव रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 01/2019, दिनांक 25.07.2019 के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों में से 389 अदालतों का खासतौर से पॉस्को अधिनियम से संबंधित उन जिलों में गठन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है, जहां ऐसे लंबित मामलों की संख्या 100 से अधिक है। इस योजना से सभी संबंधित राज्य सरकारों/केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों को सितंबर 2019 में सूचित कर दिया गया है। विधि एवं न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने पत्र लिखकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि वे ऐसी अदालतों का गठन करें और योजना का कारगर क्रियान्वयन करें, ताकि ऐसे अपराधों की रोकथाम की जा सके।

354 विशेष पॉस्कों अदालतों सहित 792 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के गठन के संबंध में 31 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में से अब तक 24 राज्य योजना में शामिल हो चुके हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, दिल्ली, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, चंडीगढ़ केन्द्रशासित प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

भारत सरकार का न्याय विभाग उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों को इन अदालतों के गठन के लिए लगातार सहयोग और सहायता प्रदान कर रहा है, ताकि महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा तथा सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए उनके खिलाफ होने वाले अपराधों के मुकदमों की जल्द सुनवाई हो सके। योजना के तहत 12 राज्यों में 216 पॉस्को अदालतें चल रही हैं।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More