नई दिल्लीः वाणिज्य विभाग एवं विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अध्ययन केन्द्र द्वारा 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन चरण के बाद डब्ल्यूटीओ पर 19-20 फरवरी, 2018 को चिंतन बैठक आयोजित की गई। बैठक के प्रतिभागियों में उद्योग, सरकार, शैक्षणिक संस्थानों, थिंक टैंक, सिविल सोसाएटी एवं व्यापार नीति विशेषज्ञ शामिल थे।
इस दो दिवसीय चिंतन बैठक के आयोजन का उद्देश्य 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन चरण के बाद डब्ल्यूटीओ पर विचारों को प्रकाश में लाने के लिए जहां तक संभव हो, अधिक से अधिक परामर्श करना था। इस बैठक का एजेंडा व्यापक था, जिसमें कृषि, सेवा, निवेश सुगमीकरण, ई-कॉमर्स, संस्थागत मुद्दे, विकास, एमएसएमई तथा जेंडर मुद्दे शामिल थे।
बैठक में बड़ी संख्या में हितधारकों ने भाग लिया तथा डब्ल्यूटीओ के वर्तमान वार्ता एजेंडे और कुछ देशों द्वारा भविष्य की बातचीत के लिए प्रस्तावित मुद्दों समेत सभी मुद्दों पर बेबाकी से विचारों का गहन आदान-प्रदान हुआ।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने मुद्दों की समग्रता और प्रतिभागियों द्वारा प्रदान की गई अंतदृर्ष्टि पर संतोष जाहिर किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि विशिष्ट एवं विभेदकारी बर्ताव अभी भी डब्ल्यूटीओ की संरचना का एक अहम पहलू है और भारत के लिए इससे समझौता करना संभव नहीं है। हालांकि कुछ अन्य देशों द्वारा उठाए गए कुछ नए मुद्दे भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं, पर कृषि एवं आजीविका सुरक्षा जैसे वर्तमान मुद्दे भारत के लिए बेहद अहम हैं।
उन्होंने डब्ल्यूटीओ के महत्व पर जोर दिया और बहुपक्षवाद के महत्व पर दावोस में प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। गैट/डब्ल्यूटीओ की भारत की दीर्घकालिक सदस्यता पर प्रतिक्रिया जताते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि भारत डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है और यह सभी देशों के सर्वश्रेष्ठ हित में है।