नई दिल्ली: देश भर के 117 गांवों में पिछले हफ्ते (23 से 29 मई 2016) के बीच दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) के तहत बिजली पहुंचाई गई। इनमें 18 गांव अरुणाचल प्रदेश, 26 गांव असम, 23 गांव झारखंड, 1 गांव राजस्थान, 6 मध्य प्रदेश, 3 उत्तर प्रदेश, 5 बिहार, 2 छत्तीसगढ़, 11 ओडिशा और 22 मेघालय के गांव शामिल है। देश भर के गांवों में जारी विद्युतीकरण के काम में हो रही प्रगति की जानकारी http://garv.gov.in/dashboard से भी प्राप्त की जा सकती है।
मौजूदा विद्युतीकरण प्रक्रिया पर एक अपडेट
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र को दिए संबोधन पर अमल करते हुए भारत सरकार ने 1000 दिन के भीतर यानि 01 मई 2018 तक शेष 18,452 गैर-विद्युतीकृत गांवों में विद्युतीकरण करने का फैसला किया है। इस परियोजना को अभियान के रूप में शुरू किया गया है और विद्युतीकरण के कार्यान्वयन का कार्य को 12 महीने में पूरा करने के लिए बनाई गई रणनीति के दो हिस्से हैं। पहला संबंधित गांवों में बिजली से जुड़े आधारभूत संरचना विकसित करना और फिर विद्युतीकरण की प्रक्रिया को लागू करना। इसके लिए गांवों के विद्युतीकरण की प्रक्रियाओं को निश्चित समयावधि में पूरा करने के लिए निगरानी हेतु 12स्तरों पर विभाजित किया गया है।
अब तक 7,991 गांवों को ग्रिड के माध्यम से विद्युतीकृत किया गया है। भौगोलिक बाधाओं के कारण 2,911 गांवों का ऑफ ग्रिड के जरिए विद्युतीकरण किया जाएगा और 356 गांवों में विद्युतीकरण स्वयं राज्य सरकार करेगी। अप्रैल 2015 से 14 अगस्त 2015 के दौरान कुल 1654 गांवों का विद्युतीकरण किया गया और भारत सरकार द्वारा इसे अभियान के तौर पर लेने के बाद 15 अगस्त 2015 से 29 मई 2016 तक अतिरिक्त 6,337 गांवों में विद्युतीकरण किया गया है। इस प्रक्रिया में अधिक तेजी लाने के लिए ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) के जरिए करीबी निगरानी की जा रही है और नियमित अंतराल पर कई अन्य कदम भी उठाए जा रहे हैं, जैसे आरपीएम बैठक के दौरान मासिक आधार पर प्रगति की समीक्षा और ऐसे गांवों की सूची साझा की जाती है, जहां विद्युत ऊर्जा का काम जारी है विद्युतीकरण के कार्य में देरी वाले गांवों की पहचान जैसी कार्रवाईयां भी नियमित रूप से की जा रही हैं। इसके अलावा उन गांवों की सूची को भी राज्य की बिजली कंपनियों से साझा किया जा रहा है जहां विद्युतीकरण की प्रक्रिया जारी है। साथ ही ऐसे गांवों की भी पहचान की जाती है,जहां विद्युतीकरण की प्रक्रिया देरी से चल रही है।