नई दिल्ली: आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येस्सो नाइक ने नई दिल्ली में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के आयुष/स्वास्थ्य मंत्रियों के चौथे सम्मेलन का उद्घाटन किया। आयुष मंत्रालय ने एक दिन के सम्मेलन का आयोजन किया है, ताकि राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश आयुष क्षेत्र में विकास के लिए एक-दूसरे से बातचीत कर सकें। सम्मेलन में 29 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की आयुष/स्वास्थ्य मंत्रियों/सचिवों तथा अधिकारियों और आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और आयुष संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आयुष मंत्री ने कहा कि सभी के लिए परम्परागत चिकित्सा प्रणाली को प्रोत्साहन देने की आयुष मंत्रालय की यात्रा में राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेश महत्वपूर्ण साझेदार हैं। श्री नाइक ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। हम स्वास्थ्य संबंधी राष्ट्रीय प्रगति में कारगर एकीकरण के प्रति आशान्वित है। आयुष मंत्री ने कहा कि आयुष संस्थानों के ढांचे और मानवशक्ति को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएन) योजना के अंतर्गत राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता दी जा रही है।
राज्यों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्री नाइक ने कहा कि निचले स्तर पर निवारक स्वास्थ्य देखभाल के विशेष संदर्भ के साथ आयुष सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे देश में 12,500 स्वास्थ्य तथा आरोग्य केन्द्रों की पहचान करने की आवश्यकता है। आयुष मंत्री ने कहा कि आयुष मंत्रालय के अंतर्गत अनुसंधान परिषदें राज्यों में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग बीमारी तथा पक्षाघात (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चला रही हैं। सीसीआरएएस तीन राज्यों-सुरेन्द्रनगर जिला, गुजरात, भीलवाड़ा जिला, राजस्थान तथा गया, बिहार- में एनपीसीडीसीएस चला रहा है। इसी तरह सीसीआरएच पश्चिम बंगाल में दार्जीलिंग तथा आंध्रप्रदेश में कृष्णा जिले में कार्यक्रम लागू कर रहा है।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि आयुष को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की तरह ही मान्यता और संरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानव स्वास्थ्य के हित में आयुष प्रणाली की समग्र प्रकृति को मान्यता देने, पोषित करने तथा प्रसार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुष प्रणालियों की गुणवत्ता तथा मानकों को बनाये रखने में नियामक संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है और हमें आयुष दवाओं तथा शिक्षा के लिए मजबूत नियामक प्रणाली बनानी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय दूतावास आयुष प्रणाली के संदेश को फैलाने और इसे सर्वव्यापी जनांदोलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
सम्मेलन में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने आयुष के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करने में आ रही समस्याओं को बताया और आयुष मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों ने उनकी चिंताओं का समाधान किया। सम्मेलन का विषय आयुष के विषय में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के विचारों, कठिनाइयों तथा अनुभवों को साझा करना और इस चिकित्सा प्रणाली को प्रोत्साहित करने में तेजी से आगे बढ़ाना था। सम्मेलन में आयुष क्षेत्रों में राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थिति का जायजा लिया गया और आवश्यक कार्रवाइयों पर भी विचार किया गया।
सम्मेलन में केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना को लागू करने में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की प्रगति की भी समीक्षा की गई। सम्मेलन में निचले स्तर पर लोगों तक स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं को पहुंचाने का भारत सरकार का अग्रणी कार्यक्रम आयुष्मान भारत पर भी चर्चा की गई। सम्मेलन को बताया गया कि आयुष मंत्रालय को हाल में देश में 12,500 स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों को चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।