देहरादून: आपके सज्ञान में लाने का यह प्रयास कर रहे हैं कि रंवाई घाटी जो क्रमशः टिहरी जनपद के थत्यूड़, देहरादून जनपद के कालसी और चकराता, उतरकाशी जनपद के नौगांव, पुरोला व मोरी विकास खण्डो को जोड़कर एक बड़े कलस्टर का परिचय कराती है। इसी रंवाई घाटी के मध्यस्थल में नौगांव विकासखण्ड मुख्यालय है। जहां पर आगामी 13 अगस्त, 2017 को एक दिवसीय ‘रंवाई लोक महोत्सव’ का आयोजन उपरोक्त संस्था स्थानीय लोक सहभागीता से आयोजित कर रही है। जिसमें आपकी गरीमामयी उपस्थिति हेतु हम अपेक्षा करते हैं। ताकि इस कार्यक्रम के साक्षी बन सकें और यह कार्यक्रम आगामी वर्षो में भी लगातार आयोजित होता रहे।
इस दौरान तीन प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होंगे जो निम्नलिखित है –
रवांई लोक मोहत्सव में तीन सत्र होंगे। पहला सम्मान समारोह, दूसरा स्थानीय लोक संस्कृति व साहित्य समाज को लेकर विद्वानजनो के साथ स्थानीय लोगो की चर्चा एवं दस्तावेजीकरण, तीसरा बीट् आॅफ यमुना वैली एक वृहद कल्चरल कार्यक्रम होगा जिसमें कम से सम 45 लोक कलाकार एकसाथ स्टेज पर प्रस्तुति देंगे।
सम्मान समारोह एक संक्षिप्त परिचय
दौलतराम रवांल्टा सम्मान – स्व. रवांल्टा आजादी के बाद व पूर्व से ही क्षेत्र के विकास के लिए ताउम्र संघर्षरत रहे। उन्हीं की बदौलत यमुनाघाटी में दिल्ली से यमनोत्री मोटर मार्ग का निर्माण हुआ। ऐसे कई विकास के काम रवांल्टा जी के नेतृत्व में हुए जिनकी क्षेत्र में एक मिशाल कायम है। स्थानीय लोग उन्हें विकास का मसीहा मानते हैं। पहली बार उनके नाम से ऐसा आयोजन किया जा रहा है। क्षेत्रीय विकास और जनमुद्दों पर रचनात्मसक कार्य करने वाले व्यक्तित्व को यह सम्मान दिया जाएगा।
पति दास सम्मान – स्व. पतिदास आजादी से पूर्व प्रजामंडल की विधानसभा के सदस्य रहते हुए भी उन्होंने उन दिनों यमुनाघाटी और सम्पूर्ण पहाड़ में सर्व शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रम का नेतृत्व किया। यही नहीं वे आजादी के बाद अंतरिम सरकार यानी उत्तर प्रदेश सरकार में विधानसभा सदस्य रहे। उन्होंने समतामूलक समाज के कल्पना को साकार करने के लिए सर्वोदय कार्यकर्ता के रूप में गांव-गांव कैंप फायर जैसे कार्यक्रम का नेतृत्व किया। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ/मेधावी छात्र-छात्राओं को यह ‘मेधावी’ सम्मान दिया जाएगा।
राजेन्द्र सिंह रावत सम्मान – स्व. रावत उत्तराखण्ड (तब उतर प्रदेश) के ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने खुद के गांव बीफ में लोक सहभगीता से चकबन्दी करवा करके चकबन्दी का आन्दोलन इस पर्वतीय राज्य में फैलाया। हालांकि राज्य बनने के बाद यह आन्दोलन सरकारी दफ्तरो की धूल फांकता रहा क्योंकि तब तक वे शारीरिक रूप से असमर्थ हो चुके थे। जबकि वे ब्लॉक प्रमुख, जिलापंचायत अध्यक्ष के पद पर रहते हुए भी वे लोगो के घर-घर विकास के कार्यों को क्रियान्वन के लिए पंहुचते थे। वे राजनीतिक कार्यकर्ता कम और एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे गढवाल के पहले व्यक्ति थे जो ताउम्र लोक सेवा में रमे रहे। कृषि, स्वावलंबन की दिशा में कार्य करने वाले व्यक्तित्व को इस सम्मान से नवाजा जाएगा।
बर्फियाला जुवांठा सम्मान – स्व. जुवांठा यमुनाघाटी में ही नहीं अपितु पूरे उत्तराखण्ड में विकास पुरुष के रूप में जाने जाते हैं। वे यमुनाघाटी में आशा की किरण से भी जाने जाते हैं। श्री जुवांठा ऐसे निम्न परिवार में जन्में जो कभी सपना भी नहीं देख सकते थे कि उनका यह बालक कभी इलाहबाद जैसे विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से लेकर तत्काल उत्तर प्रदेश में विकास की एक नई इबारत लिखेगा। वे तत्काल उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास मंत्री रहे हैं। उन्होंने राज्य आन्दोलन की अगुवाई में अभूतपूर्व सहयोग करके तत्काल सत्ता में बैठी राजनीतिक पार्टी को उत्तराखण्ड राज्य के लिए अलविदा कह दिया। सौम्य स्वभाव और साहित्य रचना एवं विकास पर उनकी अच्छी पैठ थी। साहित्यकी, रचना, लोक संस्कृति व जनमुद्दों पर आधारित पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तित्व को इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम के विषेष आकर्षण
1. इस दौरान डेढ घंटे का कवि सम्मेलन होगा, जिसमें स्थानीय लोक भाषा पर लिखने वाले कवियों को आमन्त्रित किया गया है। इस कवि सम्मेलन में रवांई-जौनपुरी, जौनसारी-बंगाणी कविताओं के विभिन्न कवियों द्वारा प्रस्तुतिकरण होगा।
2. इसमें डेढ घंटे की एक विशेष चर्चा आमन्त्रित की गयी है जिसमें राज्य के प्रतिष्ठित लोक साहित्यकार भाग ले रहे हैं। इस दौरान रवांई-जौनपुर, जौनसार-बाबर, बंगाण, मोरी क्षेत्र, पर्वत की लोक संस्कृति व लोक साहित्य पर चर्चा व दस्तावेजीकरण होगा।
3. बीट्स आॅफ यमुना वैली नाम से एक वृहद सांस्कृतिक समागम का आयोजन होगा। जिसमें 45 लोक कलाकार एक साथ मंच पर प्रस्तुति देंगे। इस प्रकार की प्रस्तुति पहली बार होने जा रही है। लोक संस्कृति को एक बड़े मंच पर लाने के लिए और लोक कलाकारो को मंच उपलब्ध करवाने एवं लोक कला को व्यवसाय के रूप में कैसे विकसित करें इस हेतु इस प्रस्तुति की विशेष तैयारी की गयी है। इस दौरान पहाड़ी वाद्य यंत्रों के साथ गीत-संगीत की अद्भुत जुगलबंदी होगी। जिसमें क्रमशरू – शंक, भाणू (घंटी), रणसिंघे दो, ढोल दो, नगाड़े दो, की-बोर्ड, पैड, ढोलक, तबला, मुरली, हुड़का, हारमोनिय, मशकबीन दो, अलगुजा, डौंर इत्यादि 19 लोक बाध्यान्त्र प्रस्तुत होंगे।
अतरू महोदय आप से निवेदन है कि उपरोक्त कार्यक्रम को मध्यनजर रखते हुए आप इस आयोजन में पहुंचकर अपनी गरिमामय उपस्थिति एवं आशीर्वाद से हमें कृतार्थ करें। साथ ही महोत्सव के सफल आयोजन हेतु कुछ आर्थिक मदद करने कृपा करें।