नई दिल्ली: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थॉवरचंद गहलोत ने ‘दिव्यांग जन अधिनियम 1995 के कार्यान्वयन पर राज्य आयुक्तों की 15वीं राष्ट्रीय समीक्षा बैठक’ को संबोधित करते हुए बल दिया कि राज्यों को दिव्यांग व्यक्तियों से जुड़े मामलों के लिए अलग से विभाग बनाना/स्थापित करना चाहिए। इसके लिए दिव्यांग जन अधिनियम 1995 के प्रावधानों के अनुरूप पूर्णकालिक स्वतंत्र राज्य आयुक्त की नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि अधिनियम के साथ ही समाज में दिव्यांग जन के लिए कल्याण कार्यक्रम और शिक्षण योजनाओं, प्रशिक्षण, कौशल विकास और पुनर्वास योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा सकें।
श्री गहलोत ने दो दिन की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। इसमें 11 राज्य आयुक्त, राज्य आयुक्तों/राज्य सरकारों के 15 प्रतिनिधि और समाज कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय मंत्रालयों और राष्ट्रीय निकायों के प्रतिनिधि शामिल हुये थे। उन्होंने कहा कि अधिनियम में बताये गये दिव्यांग जनों के अधिकारों और उनके विशेषाधिकारों की सुरक्षा कर देश के दिव्यांग जनों को सशक्त और सुदृढ़ करना अति आवश्यक है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय समाज में दिव्यांग जनों के सम्मानीय जीवन के लिए बेहतर शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और पुनर्वास के वास्ते किये गये प्रयासों के कारण केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों में सबसे महत्वूपर्ण और प्रमुख बन गया है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दिव्यांग जनों के लिए सहायता उपकरण वितरित करने, सभी प्रकार के विकास के लिए अभिनव कार्यक्रमों और योजनाओं का शुभारंभ करने तथा समाज में उनके सामाजिक आर्थिक पुनर्वास करने में विश्व रिकॉर्ड बनाया है। मंत्रालय के कार्यक्रमों और योजनाओं को विश्व स्तर पर मान्यता और सराहना मिली है तथा यह भारत सरकार का आदर्श मंत्रालय बन गया है। दिव्यांग जन अधिनियम 2016 के नये अधिकारों के प्रावधानों को रेखांकित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि दिव्यांगता की मौजूदा सात श्रेणियों को बढ़ाकर 21 कर दिया गया है और अब दिव्यांग जन के विशेषाधिकारों और अधिकारों को विकसित देशों के समान कर दिया गया है।
दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग में सचिव श्री एन.एस केंग ने अपने भाषण में कहा कि राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में दिव्यांगों से जुड़े मामलों के लिए अलग विभाग बनाने/गठित करने पर विचार करना चाहिए। राज्य आयुक्त को राज्य में दिव्यांग जन अधिनियम और उनके कल्याण के कार्यक्रमों तथा नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करनी चाहिए। उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में दिव्यांग जन को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। उन्हें विशेष अभियान के जरिये दिव्यांग जनों के लिए आरक्षित रिक्त पदों पर भर्ती के उपाय करने चाहिए तथा अपने राज्यों में नये अधिनियम का व्यापक प्रचार करना चाहिए।
दिव्यांग जन के लिए मुख्य आयुक्त कमलेश कुमार पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य आयुक्तों को राज्य तथा जिला स्तर पर अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा करनी चाहिए। उन्हें मोबाइल न्यायालय आयोजित करना चाहिए तथा जिला स्तर पर ैसमीक्षा की जानी चाहिए। उन्हें अपने राज्य के सभी दिव्यांग जनों के लिए उनके घर पर दिव्यांग प्रमाण पत्र देने के लिए विशेष शिविर आयोजित करने चाहिए और लोगों को ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें समय-समय पर राज्य समन्वय, कार्यकारी और सलाहकार समिति की बैठकें भी आयोजित करनी चाहिए तथा बेहतर और बड़े स्थलों पर दिव्यांग जनों को रोजगार और पुनर्वास के लिए बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में दिव्यांग जनों के पुनर्वास के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
15वीं राष्ट्रीय समीक्षा समिति ने दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ ही राज्यों में दिव्यांग जन के कल्याण के लिए कार्यक्रमों और योजनाओं के वास्ते 26 सिफारिशें की हैं।