नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमें राष्ट्रीय कृषि सहकारिता विपणन महासंघ (नाफेड), प्रोजेक्ट एंड इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन (पीईसी),
स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (एसटीसी) और मेटल्स एंड मिनरल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (एमएमटीसी) को वर्ष 2006-2011 के दौरान दालों के आयात में हुए नुकसान के लिए 113.40 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की बात कही गई है। ये अदायगी योजना के बंद होने के छह माह बाद दालों की ब्रिक्री में हुए नुकसान के अलावा है। ऐसा करने से कीमतों में कमी लाने की दिशा में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मदद मिलेगी।
उपभोक्ताओं को खुदरा वितरण सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय पीएसयू एमएमटीसी द्वारा 5000 टन अरहड़ दाल और 5000 टन उड़द दाल के आयात का निर्णय लिया गया है। आयातित दाल की पहली खेप 5 सितंबर, 2015 तक मुंबई पहुंच जाएगी।
केंद्रीय सरकार ने जरूरी चीज़ों, खासतौर पर दालों व प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और उनके दामों पर नियंत्रण रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। दालों की स्टॉक सीमा तय करने के लिए राज्यों को अधिकार दिया गया है। काबुली चना, ऑर्गेनिक दालों और दलहन को छोड़कर अन्य सभी दालों के निर्यात पर प्रतिबंध है। इसके अतिरिक्त दालों के आयात पर शुल्क शून्य है।