देहरादून: राज्य के जिन क्षेत्रों में मदरसे नहीं हैं, वहां यदि 20 से अधिक बच्चे उर्दू पढ़ना चाहते हैं तो वहां के स्कूलों में उर्दू के गेस्ट टीचर नियुक्त किए
जाएं। मदरसा बोर्ड के नियमावली व एक्ट जल्द से जल्द केबिनेट में लाई जाए। अगले वित्तीय वर्ष के बजट में 200 अल्पसंख्यक आवासहीन परिवारों को आवास मुहैया कराने के लिए योजना तैयार की जाए। गुरूवार को सचिवालय में 15 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्त निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक तीन माह में समिति की बैठक नियमित रूप से आयेाजित की जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कब्रिस्तान की दीवारों के लिए इस वर्ष 26 करोड़ रूपए का प्राविधान किया गया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि इससे होने वाले काम की क्वालिटी बेहतर हो। समिति के सदस्य यह सुझाव दें कि नए मदरसों को किस तरह से सहायता पहुंचाई जा सकती है। जिन मदरसों को मध्याह्न भोजन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है उनके प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को प्रेषित किए जाएं। उर्दू अनुवादकों के रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाए। जिलाधिकारी यह सर्वेक्षण करें कि अल्पसंख्यक बाहुल्य किन क्षेत्रों में आबादी के अनुरूप आंगनबाड़ी केंद्र नहीं हैं। हुनर योजना, अल्पसंख्यको को रोजगार उपलब्ध करवाने व स्किल डेवलपमेंट की योजनाओं को बैंकों के साथ टाईअप किया जाए और यह देखा जाए कि बैंकों से ऋण मिलने में असुविधा न हो। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ऐसे अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों की सूची तैयार करें जहां पानी, बिजली आदि मूलभूत न्यूनतम सुविधाओं का अभाव है। मुख्य सचिव सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित करें कि विभागीय बजट का एक निश्चित प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग बाहुल्य क्षेत्रों पर व्यय किया जाए। जो मदरसे अपने अध्यापकों को रिओरिएंटेशन कराना चाहे उनके लिए टीचर्स ट्रेनिंग सेंटरों में व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि तीन सदस्यीय समिति बनाई जाए जिसमें कि एक-एक प्रतिनिधि मदरसों व शिक्षा विभाग से व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव शामिल होंगे। यह समिति इस पर अपनी संस्तुति देगी कि मदरसों द्वारा जारी किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेटों को किसके समतुल्य रखा जाए। स्कूलों को माइनोरिटी स्टेटस देने हेतु एनओसी देने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए। ईसाई समुदास के सेमीटेरी(कब्रिस्तान) के लिए जिलाधिकारी भूमि चिन्हित करें। अल्पसंख्यक विशेष तौर पर मुस्लिम समुदाय में लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मुस्लिम समुदाय में कार्यरत संस्थाओं का सहयोग लिया जाए। शहरी विकास विभाग सभी बड़े शहरों में मुसाफिरखाना स्थापित करने की योजना तैयार करे। मौलाना आजाद एजुकेशन फाईनेंस फाउंडेशन ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण योजना को और भी प्रचारित किए जाने की जरूरत है।