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वाराणसी, उत्तर प्रदेश में 15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2019 में प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

देश-विदेश

नई दिल्ली: मॉरिशस के प्रधानमंत्री your excellency, प्रवीन्‍द जगन्‍नाथ जी, उनकी पत्‍नी श्रीमती कविता जगन्‍नाथ जी, यूपी के राज्‍यपाल श्रीमान राम नाईक जी, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी सुषमा स्‍वराज जी, मुख्‍यमंत्री श्री योगी आदित्‍यनाथ जी, हरियाणा के मुख्‍यमंत्री श्री मनोहर लाल जी, उत्‍त्‍राखंड के मुख्‍यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी और दुनिया भर से पधारे, और काशी प्रधारे मेरे प्रिय भाईयों और बहनों।

सबसे पहले आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन, बहुत-बहुत स्‍वागत है। आप सभी यहां अपनी, अपने पूर्वजों की मिट्टी की महक से खींचे चले आए हैं। कल जिन्‍हें प्रवासी भारतीय सम्‍मान मिलने वाला है। उन्‍हें मैं अपनी तरफ से अग्रिम शुभकामनाएं देता हूं। आज का दिन मेरे लिए भी विशेष है। जैसा कि सुषमा जी कह रही थी, मैं आपके सामने प्रधानमंत्री के साथ-साथ काशी का सांसद होने के नाते एक मेज़बान के रूप में उपस्थित हुआ। बाबा विश्‍वनाथ और मां गंगा का आशीर्वाद आप सभी पर बना रहा मेरी यही प्रार्थना है।

आपसे अपनी बात शुरू करने से पहले मैं डॉक्‍टर श्री श्री श्री शिवकुमार स्‍वामी जी के निधन पर अपना शोक व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। तुमकुर के श्री सिद्ध गंगा मठ में मुझे कई बार उनसे आशीर्वाद लेने का अवसर मिला था। और जब भी उनसे मिलता था वो एक बेटे की तरह मुझे इतना स्‍नेह करते थे, इतना आशीर्वाद देते थे। ऐसे महान संत महाऋषि का जाना हम सभी के लिए बहुत दु:खद है, मानव कल्‍याण के लिए उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा। मैं आदरपूर्वक उन्‍हें नमन करता हूं। उनको श्रद्धांजलि देता हूं।

दुनियाभर में बसे आप सभी भारतीयों से संवाद का यह अभियान हम सभी के प्रिय श्रद्धेय अटल बिहार वाजपेयी जी ने शुरू किया था। अटल जी के जाने के बाद यह पहला प्रवासी भारतीय सम्‍मेलन है। इस अवसर पर मैं अटल जी को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं, उनकी इस विराट सोच के लिए नमन करता हूं।

आप सभी काशी में है और इसलिए मैं काशी और आप सभी में एक समानता भी देख रहा हूं। बनारस नगरी चिरकाल से ही भारत की सांस्‍कृतिक, अध्‍यात्मिक और ज्ञान की परंपरा से दुनिया में देश का परिचय कराती रही है। आप भी अपने दिलों में भारत और भारतीयता को संजोये हुए इस धरती की ऊर्जा उससे दुनिया को परिचित करा रहे हैं। साथियों, मैं आपको भारत का Brand Ambassador मानने के साथ ही भारत के सामर्थ्‍य और भारत की क्षमताओं, देश की विशेषताओं का प्रतिनिधि भी और प्रतीक भी मानता हूं। इसलिए ही आप अभी जिस देश में भी रह रहे हैं, वहां के समाज को भी आपने अपनापन दिया है। वहां की संस्‍कृति और अर्थव्‍यवस्‍था को समृद्ध किया है। आपने ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम’ इस भारतीय दर्शन का हमारे पारिवारिक मूल्‍यों का विस्‍तार किया है। आप सभी जिस देश में बसे हैंवहां के समाज के लगभग हर क्षेत्र में leadership के रोल में नजर आते हैं, मॉरिशस को श्री प्रवीण जगन्‍नाथ जी पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ा रहे हैं इसके अलावा पुर्तगाल, त्रिनाड, टोबेगो और आयरलैंड जैसे अनेक देशों को ऐसे सक्षम लोगों का नेतृत्‍व मिला है। जिनकी जड़े भारत में हैं।

आप सभी के सहयोगसे बीते साढ़े चार वर्षों में भारत ने दुनिया में अपना स्‍वाभाविक स्‍थान पाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। पहले लोग कहते थे कि भारत बदल नहीं सकता। हमने इस सोच को ही बदल डाला है। हमने बदलाव करके दिखाया है।

दुनिया आज हमारी बात को, हमारे सुझावों को पूरी गंभीरता के साथ सुन भी रही है और समझ भी रही है। पर्यावरण की सुरक्षा और विश्‍व की प्रगति में भारत के योगदान को दुनिया स्‍वीकार कर रही है। संयुक्‍त राष्‍ट्र के सबसे बड़े पर्यावरण पुरस्‍कार Champions of the earth के साथ-साथ Seoul Peace Prize का मिलना इसी का परिणाम है।

आज भारत अनेक मामलों में दुनिया की अगुवाई करने की स्थिति में है। International solar alliance यानि ISA ऐसा ही एक मंच है। इसके माध्‍यम से हम दुनिया को one world, one sun , one grid उस तरफ ले जाना चा‍हते हैं। ये हमारे उस लक्ष्‍य का भी हिस्‍सा है जिसके तहत हम भारत की समस्‍याओं के ऐसे समाधान तैयार कर रहे हैं जिससे दूसरे देशों की मुश्किले भी हल हो सके।local solution global application के approach के साथ हम काम कर रहे हैं। Reform, perform, transform और सबका साथ-सबका विकास के सूत्र पर चलते हुए देश ने बीते साढ़े चार वर्षों में क्‍या पाया इसकी एक तस्‍वीर मैं आपके सामने रखना चाहता हूं।

आज भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती economic ताकत है। तो sports में भी हम बड़ी शक्ति बनने की तरफ निकल पड़े हैं। आज Infrastructure के बड़े और आधुनिक संसाधन बन रहे हैं तो space के क्षेत्र में भी रिकॉर्ड बना रहे हैं।

आज हम दुनिया का सबसे बड़ा strat-up eco system है तो दुनिया की सबसे बड़ी Health care scheme आयुषमान भारत भी चला रहे हैं। आज हमारा युवा make in India के तहत रिकॉर्ड स्‍तर पर मोबाइल फोन, कार, बस, ट्रक, ट्रेन बना रहा है तो वही खेत में रिकॉर्ड अन्‍न उत्‍पादन हो रहा है। आपको मैं एक उदाहरण देता हूं।

आप में से अनेक लोगों ने हमारे देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की भ्रष्‍टाचार को लेकर कही एक बात जरूर सुनी होगी। उन्‍होंने कहा था कि केंद्र सरकार दिल्‍ली से जो पैसे भेजती है उसका सिर्फ 15 प्रतिशत ही लोगों तक पहुंच पाता है। अगर दिल्‍ली से एक रुपया निकलता है तो 15 पैसा गांव में पहुंचता है, 85 पैसे छूमंतर हो जाते हें। ये एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री ने हमारे देश में कहा था।इतने वर्ष तक देश में जिस पार्टी ने शासन किया, उसने देश को जो व्‍यवस्‍था दी थी उस सच्‍चाई को प्रधानमंत्री रहते हुए उन्‍होंने स्‍वीकार किया था। लेकिन अफसोस ये रहा कि बाद के अपने 10-15 साल के शासन में भी इस लूट को, इस लीकेज को बंद करने का प्रयास नहीं किया गया। बीमारी तो पता चला, बीमारी को स्‍वीकार भी किया लेकिन इलाज करने की दिशा में ने सोचा, न कुछ किया। देश का मध्‍यम वर्ग ईमानदारी से टैक्‍स देता रहा है और 85 प्रतिशत की ये लूट भी चलती रही है।

अब मैं आपको आज की सच्‍चाई भी बताना चाहता हूं। हमने टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल करके इस 85 प्रतिशत की लूट को शत-प्रतिशत खत्‍म कर दिया है। बीते साढ़े चार वर्षों में करीब-करीब 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये… यानि करीब-करीब 80 billion डॉलर हमारी सरकार ने अलग-अलग योजनाओं के तहत सीधे लोगों को दिए, उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। किसी को घर के लिए, किसी को पढ़ाई के लिए, किसी को scholarship के लिए, किसी को गैस सिलेंडर के लिए, किसी को अनाज के लिए ये राशि दी गई है। अब आप अंदाज लगाइए अगर देश अपने पुराने तौर-तरीकों से ही चलता रहता होता तो आज भी इस 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये में से करीब-करीब साढ़े चार लाख से भी ज्‍यादा हजार करोड़… साढ़े चार लाख हजार करोड़ से ज्‍यादा… ये रकम छूमंतर हो जाती, लीक होती, अगर हम व्‍यवस्‍था में बदलाव नहीं लाते होते तो ये राशि उसी तरह लूट ली जाती जैसे पूर्व प्रधानमंत्री ने स्‍वीकार किया था कि लूटी जाती थी।

ये सुधार पहले भी हो सकता था लेकिन नीयत नहीं थी, इच्‍छाशक्ति नहीं थी और नीति की अपेक्षा करना जरा कठिन लगता है। हमारी सरकार अब उस रास्‍ते पर चल रही है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली हर मदद Direct benefit transfer scheme के तहत सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में transfer की जाए।मैं आपको एक और आंकड़ा देता हूं। पिछले साढ़े चारसाल में हमारी सरकार ने करीब-करीब 7 करोड़ ऐसे फर्जी लोगों को पहचान कर उन्‍हें व्‍यवस्‍था से हटाया है। ये 7 करोड़ लोग वो थे जो कभी जन्‍मे ही नहीं थे जो वास्‍तव में थे ही नहीं लेकिन ये 7 करोड़ लोग सरकारी सुविधाओं को लाभ ले रहे थे। कागज पर वो थे, कागज पर पैदा भी हुए,बड़े भी हुए और फायदा भी उठाते रहे।आप सोचिए पूरे ब्रिटेन में जितने लोग हैं, पूरे फ्रांस में जितने लोग हैं, पूरे इटली में जितने लोग हैं ऐसे अनेक देशों की जनसंख्‍या से ज्‍यादा तो हमारे यहां वो लोग थे जो सिर्फ कागजों में ही जी रहे थे और कागजों में ही सरकारी सुविधाओं का लाभ चला जाता था। इन 7 करोड़ फर्जी लोगों को हटाने का काम हमारी सरकार ने किया है। ये उस बदलाव की एक झलक है जो पिछले साढ़े चार वर्षों में देश में आना शुरू हुआ है।

ये देश में हो रहे बड़े पैमाने पर हो रहे परिवर्तन की न्‍यू इंडिया के नए आत्‍मविश्‍वास की एक झांकी भर है। भारत के गौरवशाली अतीत को फिर स्‍थापित करने के लिए 130 करोड़ भारतवासियों के संकल्‍प का ये परिणाम है। और मैं आज बहुत गर्व से कहना चाहता हूं इस संकल्‍प में आप भी शामिल हैं।

सरकार का पूरा प्रयास है कि आप सभी जहां भी रहें सुखी रहें और सुरक्षित रहें। बीते साढ़े चार वर्षों के दौरान संकट में फसे 2 लाख से ज्‍यादा भारतीयों को  सरकार के प्रयासों से दुनिया के भिन्‍न-भिन्‍न देशों में मदद पहुंचाई गई है। आपकी सोशल सिक्‍योरिटी के साथ-साथ पासपोर्ट, वीजा, पीआईओ और ओसीआई कार्ड को लेकर भी तमाम प्रक्रियाओं को आसान करने की कोशिश सरकार कर रही है। प्रवासी भारतीयों के लिए कुछ महीने पहले ही एक नया कदम भी उठाया गया है। दुनिया भर में हमारी एम्‍बेसिस और कांउसलेटस को पासपोर्ट सेवा प्रोजेक्‍ट से जोड़ा जा रहा है। इससे आप सभी के लिए पासपोर्ट सेवा से जुड़ा एक centralize system तैयार हो जाएगा। बल्कि अब तो एक कदम आगे बढ़ते हुएchip based E-passport जारी करने की दिशा में भी काम चल  रहा है।

पासपोर्ट के साथ-साथ वीजा से जुड़े नियमों को भी सरल किया जा रहा है। ई-वीजा की सुविधा मिलने से आपके समय की बचत भी हो रही है और परेशानियांभी कम हुई हैं। अभी भी कोई समस्‍या इसमें है तो उसके सुधार के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।आप में से अनेक इस बात से भी परिचित होंगे कि हमारी सरकार ने पीआईओ कार्ड को ओसीआई कार्ड में बदलने की प्रक्रिया को भी आसान बनाया है। साथियों आप अपनी मिट्टी से भले ही दूर है, लेकिन New India के निर्माण में आपकी सक्रिय भागीदारी में.. और बढ़ोतरी होइसके लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं। भारत में जो बदलाव आ रहा है, जो नये अवसर बन रहे हैं, उसमें आपका योगदान बहुत ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है। बदलते हुए इस भारत में आप Research and Development और innovation में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सरकार यह भी कोशिश कर रही है कि भारत के स्‍टार्ट अप और NRI mentors को एक साथ एक प्‍लेटफॉर्म पर लाएं। Defense Manufacturing भी आपके लिए एक अहम सेक्‍टर हो सकता है।

मां भारती की सुरक्षा अर्थव्‍यवस्‍था के साथ-साथ अपनी आध्‍यात्मिक और सांस्‍कृतिक विरासत से भी आपका जुड़ाव और मजबूत होइसके लिए प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना की भी शुरूआत की जा रही है। मैं इस मंच पर पहले भी कह चुका हूं, और आज फिर दोहराना चाहता हूं कि आप जिस भी देश में रहते हैं वहां से अपने आसपास के कम से कम पांच परिवार और वो भी non-Indian पांच परिवारों को भारत आने के लिए आप प्रेरित करिये। आपका यह प्रयास देश में टूरिज्‍म बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। इसी तरह आप इस वर्ष गांधी जी की 150वीं जन्‍म जयंती पर अपने देश में रहते हुए कैसे उनकी बातों को, भारत की बातों को अन्‍य लोगों तक पहुंचाएंगे। इस पर भी विचार कीजिए। पिछले दिनों सुषमा जी के नेतृत्‍व में दुनिया के कई देशों में एक अच्‍छा प्रयोग हुआ। वहां की हमारी सभी embassiesने गांधी 150 जयंती पर उस देश के कलाकारों को ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’गांधी जी का प्रिय भजन उनको गाने के लिए request की। you tube पर इसकी सारी video available है। आप भी हैरान हो जाएंगे कि विदेश के नागरिक, विदेश के कलाकार कितनी भक्तिभाव से ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’यह गा रहे हैं। एक प्रकार से गांधी ग्‍लोबल है, यह अनुभूति हम सब इसको सुनते कर सकते हैं। और इसलिए कुछ विशेष कार्यक्रम अगर आप करना चाहे तो भारतीय दूतावास embassy द्वारा भी आपकी हर संभव मदद की जाएगी। इस वर्ष हम सभी गुरूनानक देव जी की 550वीं जयंती भी मना रहे हैं। गुरुवाणी को हम कैसे दूसरे देशों के लोगों तक पहुंचाए, उन्‍हें भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत से उसे कैसे परिचित कराए, इस बारे में भी मैं चाहूंगा कि आप जिस भी देश में हो, कुछ न कुछ योजनाएं बननी चाहिए, कुछ न कुछ प्रयास होना चाहिए। साथियों, यह बातें सिर्फ सुझाव के तौर पर आपके सामने रख रहा हूं। मुझे पता है कि आप में से बहुत से लोग पहले से ऐसा करते आ रहे हैं, लेकिन आपसे स्‍नेह ऐसा है कि मैं खुद को रोक नहीं पाता हूं।

मैं विशेष रूप से आज उत्‍तर प्रदेश सरकार को भी बधाई देना चाहता हूं आमतौर पर किसी राज्‍य में प्रवासी भारतीय दिवस का इतना बड़ा कार्यक्रम लेना हो, दुनिया के इतने मेहमान आने वाले हो, तो उस राज्‍य को बहुत मेहनत करनी पड़ती है, बहुत योजना करनी पड़ती है। करीब-करीब एक साल उसमें लग जाता है। और एक कार्यक्रम करने के बाद एक साल थकान उतरने में चला जाता है। मैं उत्‍तर प्रदेश को इसलिए बधाई देता हूं कि कुंभ जितना बड़ा कार्यक्रम चल रहा हो, इतनी बड़ी व्‍यवस्‍था लगी हुई हो, कुंभ मेले की तैयारी में 2-3 साल लगातार काम करना पड़ता है। और मुझे संकोच हो रहा था कि कुंभ के मेले की जिम्‍मेदारी उत्‍तर प्रदेश के पास है, सारी सरकारी मशीनें उसमें व्‍यस्‍त हैं। 10 करोड़ लोग वहां आने की संभावना है। ऐसे में काशी में यह कार्यक्रम करें या न करें। मेरे मन में झिझक थी लेकिन मैं योगी जी को, उनकी पूरी टीम को, उत्‍तर प्रदेश के प्रशासन और शासन को हृदय से बधाई देता हूं कि उन्‍होंने एक साथ दो इतने बड़े कार्यक्रम इस बात ने दुनिया को इस बात का परिचय करा दिया है कि उत्‍तर प्रदेश की Government, उत्‍तर प्रदेश की bureaucracy, उत्‍तर प्रदेश के मुलाजिम यह भी दुनिया में किसी से कम नहीं है। और इसलिए मैं उनका विशेष अभिनन्‍दन करता हूं।

मैं काशीवासियों को सिर झुका करके प्रणाम करना चाहता हूं, क्‍योंकि मैंने प्रवासी भारतीय दिवस को गुजरात में भी किया हुआ है। और शायद गुजरात के मुख्‍यमंत्री कहो या आज प्रधानमंत्री के पद पर देखो, शायद हिन्‍दुस्‍तान में एक ऐसा इंसान हूं जो करीब-करीब सभी प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित रहा हूं। जब मुख्‍यमंत्री थातब भी आता था, प्रधानमंत्री के बाद तो दायित्‍व बना है। एक बार सिर्फ मैंने वीडियो कॉन्‍फ्रेंस से शरीक हुआ था, otherwise मैं physically ही जाता हूं। मैंने इतने कार्यक्रम देखे हैं। गुजरात में भी मैं मेज़बान था, लेकिन काशी ने जिस प्रकार से इस कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम नहीं बनने दिया, जनता जनार्दन का कार्यक्रम बन गया, हर काशीवासी ने इसे अपना कार्यक्रम बना लिया। करीब-करीब चार सौ लोग परिवारों में ठहरे हैं और यहां की tent city का नजारा ऐसा है कि मुझे बताया गया कि कई लोग जो होटल में ठहरे थे, वो होटल छोड़ करके tent city का मजा लेने चले आए हैं। एक नया अनुभव करने के लिए चले आए। मैं समझता हूं और पिछले दो महीने से मैं लगातार देख रहा था। काशीवासियों ने काशी को एक प्रकार से ग्‍लोबल Headquarter बना दिया हो ऐसा माहौल बना दिया था। यहां आया हुआ हर मेहमान काशीवासी को लग रहा है उसके खुद के परिवार का मेहमान है। ऐसा वातावरण प्रवासी भारतीय सम्‍मेलनों में इसके पहले मैं कभी देख नहीं पाया हूं, जो काशीवासियों ने दिखाया है। और इसलिए मैं काशीवासियों को विशेष रूप से प्रणाम करता हूं। मैं स्‍थानीय administration को भी, यहां के अधिकारियों को भी हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि उन्‍होंने अपने बलबूते पर इतनी बड़ी व्‍यवस्‍था को चलाया, बढ़ाया और आगे बढ़ाया। और इन सबके पीछे सुषमा जी का नेतृत्‍व और उनकी पूरी टीम यह तो अभिनंदन के हकदार है ही है। काशी का गौरव बढ़ा तो यहां के सांसद के नाते मेरी खुशी जरा चार गुना ज्‍यादा बढ़ जाती है।

मेहनत आप लोगों ने की, योजना आप लोगों ने बनाई, पसीना आपने बहाया, दिनरात बिना सोये, बिना थके आप लोग चलते रहे, लेकिन लोग पीठ मेरी थपथपा रहे हैं। यह आपका प्‍यार है, आपकी मेहनत है, जिसके कारण यह संभव हुआ है और इसलिए काशी की सांसद के नाते मेरी इस कर्मभूमि के नाते मैं आज एक विशेष संतोष की अनुभूति करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि मेरी काशी आपके माध्‍यम से फिर एक बार दुनिया के हर व्‍यक्ति के दिल में जगह बनाएगी और हर किसी को काशी आने का मन करे । मैं अंत में फिर से एक बार आप सभी का काशी में पधारने के लिए हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। भारत में आपका यह प्रवास सुखद रहे, इसी कामना के साथ बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं, मैं व्‍यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, सांसद के रूप में नहीं, व्‍यक्तिगत अपने आनंद के लिए पिछले एक-दो साल से कार्यक्रम कर रहा हूं। भारत में मार्च महीना एक प्रकार से exam का महीना होता है और 10वीं, 12वीं की परीक्षा यानि परिवार में सालभर एक तनाव का माहौल होता है। हर किसी को लगता है बच्‍चे को 10वीं में ज्‍यादा Marks मिले, 12वीं में ज्‍यादा Marks मिले, एक तनाव का माहौल होता है। तो मैं हमेशा कोशिश कर रहा हूं कि exam के पहले सभी बच्‍चों से, उनके parents से, उनके Guardian से, उनके अभिभावकों से, उनके teacher से मैं संवाद करूं और परीक्षा को बड़ा संकट न माने लोग इसके लिए जो भी बातें समझा सकता हूं मैं समझाऊं। मुझे खुशी है इस 29 जनवरी को मैं देशभर के और इस बार तो विदेश के लोग भी जुड़ रहे हैं। उनके बच्‍चे भी, उनके family के लोग भी नरेंद्र मोदी App के माध्‍यम से, video के माध्‍यम से जुड़ने वाले हैं। करोड़ों-करोड़ों परिवारों के साथ exam warriorsके संबंध में मैं संवाद करने वाला हूं। बच्‍चों से बातचीत करने वाला हूं और परीक्षा का तनाव बच्‍चों का न रहे इसके लिए जो भी तौर-तरीके बता सकता हूं, मैं बताने वाला हूं, 29 जनवरी, 11 बजे, मुझे विश्‍वास है कि आप भी अपने परिवार के लोगों को सूचना करेंगे कि वहां आपके परिवार के लोग भी अगर इस exam के इस कालखंड में हो तो वे भी उसका फायदा उठा सकते हैं।

मैं फिर एक बार इस भव्‍य योजना के लिए और हमारे मित्र प्रवीन्‍द जगन्‍नाथ जी का परिवार के साथ यहां आना, समय देना, इसका कार्यक्रम की शोभा बढ़ाना मैं इसके लिए उनका बहुत हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं। उनके पिता जी ने मॉरिशस को बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। एक प्रकार से आधुनिक मॉरिशस के वो architecture हैं। उनका भी उतना ही प्‍यार हम सब बना हुआ है। पिछले दिनों उनके पिता जी विशेष रूप से परिवार के साथ काशी की यात्रा के लिए आए थे, आज प्रवीन्‍दजी का आना हो गया, परिवार के साथ कविता जी को ले करके आए गए। मैं मानता हूं उनका भारत के प्रति जो आपार स्‍नेह हैं। वो दिनों-दिन बढ़ता चला जा रहा है। उन्‍होंने समय दिया, शोभा बढ़ाई, उनका भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं फिर एक बार आप सब को अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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