नई दिल्ली: प्रमुख केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ आपस में बातचीत की प्रक्रिया के अंतर्गत वित्त आयोग ने विदेशी मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के सिंह और अन्यों सदस्यों श्री शक्तिकांत दास, डा. अनूप सिंह, डा. अशोक लहरी और डा. रमेश चंद के नेतृत्व में आयोग को विदेश मंत्रालय के कामकाज की विस्तृत संरचना से अवगत कराया गया। बैठक की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं,
- विदेश मंत्रालय का बजट अभी भी सरकार के पूर्ण बजट का 1 प्रतिशत से कम है, जिसे उसके द्वारा किये जा रहे कार्यों को देखते हुए बढ़ाने की आवश्यकता है। कुल बजट में से प्रतिष्ठान का खर्च लगातार 30 प्रतिशत से कम है। प्रतिष्ठान के व्यय का करीब 25 प्रतिशत केन्द्रीय पासपोर्ट संगठन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गैर प्रतिष्ठान खर्च का, सहायता (अनुदान जमा ऋण) जो करीब 58 प्रतिशत पर बना हुआ है, उसे करीब 3900 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
- विदेश मंत्रालय विभिन्न विकास परियोजनाओं द्वारा रणनीतिक संपर्क बनाने, विकल्प तैयार करने और हितों का संतुलन बनाने तथा सद्भावना पैदा करने, मानवीय सहायता और मित्र देशों को सहायता, नवीन कूटनीतिक पहुंच और साझेदारी के बारे में कार्य कर रहा है। वर्तमान में भारत की सर्वप्रथम पड़ोसी और एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत विभिन्न देशों के साथ वर्तमान में करीब 27.7 अरब डलर की विकास साझेदारी है। ऐसी साझेदारी की पहुंच बढ़ाने और इस दिशा में प्रयास के लिए विभिन्न देशों में 2022 तक 18 नए दूतावास खोले जाएंगे जिनके लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत होगी।
- विदेश मंत्रालय देशभर में 322 पासपोर्ट केन्द्रों (डाकघर-पीएसके सहित) के नेटवर्क के जरिए सार्वजनिक सेवा डिलीवरी बढ़ाने के लिए जमकर कार्य कर रहा है, 2014 में उत्कृष्टता के साथ केवल 77 पासपोर्ट के लिए कार्य कर रहे थे। डाकघर पासपोर्ट सेवा केन्द्रों की शुरूआत जनवरी 2017 में की गई थी, यह अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए एक नीतिगत फैसला था। विदेश मंत्रालय का भविष्य में प्रत्येक संसदीय जिले में पासपोर्ट केन्द्र खोलने का लक्ष्य है।
- प्रवासी भारतीयों और भारतीय नागरिकों तक पहुंचने के तहत, विदेश मंत्रालय ने भारत एक परिचय, भारत को जानिए, प्रदेश में विदेश और समीप जैसे विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं।
आयोग परस्पर निर्भर विदेश नीति की बढ़ती हुई चुनौतियों और अवसरों के प्रति सजग है। क्षेत्र में अन्य प्रमुख शक्तियों के उद्भव और अनेक मित्र देशों में शुरू की गई परियोजनाओं के समय पर पूरा होने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की जरूरत है।
अफ्रीका और अन्य विकासशील देशों में मौजूद अवसरों को भी देश के फायदे के लिए उपयोग में लाना जरूरी है और इन प्रयासों के केन्द्र में सबसे प्रमुख वित्तीय आवश्यकता है। मंत्रालय और विदेशों के दूतावासों द्वारा भारत की कूटनीतिक शक्ति तक पहुंच और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने की आवश्यकता है। निकट भविष्य में विश्व के विभिन्न भागों में अनेक दूतावास खोलने और देश भर में पासपोर्ट केन्द्रों के नेटवर्क द्वारा सार्वजनिक सेवा डिलिवरी में सुधार की आवश्यकता है।
अध्यक्ष और सदस्यों ने दुनिया में भारत के संबंधों, उसकी चुनौतियों और इसे बढ़ाने के प्रयासों को समझने का प्रयास किया। आज की प्रारंभिक बैठक के बाद, ऐसी कुछ और बैठकें और विचार-विमर्श मंत्रालय और आयोग के बीच भविष्य में आयोजित किए जाएंगे।