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15वें वित्त आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ बैठक की

देश-विदेश

नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष श्री एन. के. सिंह और इसके सदस्‍यों तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों ने आज उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों तथा राज्‍य सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

वित्त आयोग ने यह पाया:

  • जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। सभी राज्यों की आबादी का 16.78 प्रतिशत यहीं रहता है और यहां शहरीकरण की दर 22.3 प्रतिशत है।
  • उत्‍तर प्रदेश में सभी राज्‍यों का 7.35 प्रतिशत क्षेत्रफल है।
  • उत्तर प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 829 है, जो 382 की राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  • 2017-18 में जीएसडीपी में राज्‍य का प्राथमिक, द्वितीय और तृतीयक क्षेत्र का हिस्‍सा क्रमश: 25, 23 और 44 प्रतिशत रहा।
  • प्रति व्यक्ति आय 2017-18 में 55,456 रुपये रही, जो भारत के औसत 1, 14,958 रुपये से कम है।
  • 2017-18 में, राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों में 58 प्रतिशत केंद्र से रही।
  • 2011-12 में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली आबादी 29.43 प्रतिशत रही, जबकि राष्‍ट्रीय औसत 21.92 प्रतिशत है।
  • 2001-11 में दशक की वृद्धि दर 20.23 प्रतिशत रही, जबकि राष्‍ट्रीय औसत 17.69 प्रतिशत है।

आयोग को निम्‍न तथ्‍यों की जानकारी दी गई :

  • राज्‍य ने एसडीजी-1 में महत्‍वपूर्ण सुधार प्रदर्शित किया है। राज्‍य में गरीबी 2004-05 के 40.9 प्रतिशत से घटकर 2011-12 में 29.4 प्रतिशत रह गई।
  •  पिछले वर्षों में राज्‍य की जीएसडीपी वृद्धि दर, जीडीपी वृद्धि दर के अनुरूप रही है। वर्ष 2011-18 की अवधि के दौरान राज्‍य की वृद्धि दर की प्रवृत्ति 11.09 प्रतिशत रही, जबकि उसी अवधि में वर्तमान कीमतों में जीडीपी में वृद्धि दर 11.56 प्रतिशत रही।
  • वर्ष 2017-18 से उत्‍तर प्रदेश राज्‍य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की शुद्ध आय सकारात्‍मक दिशा में बढ़ रही है। प्रति किलोमीटर आय में महत्‍वपूर्ण सुधार हुआ है और प्रति किलोमीटर लागत में महत्‍वपूर्ण कमी आई है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2015 से 2017 तक राज्‍य के वन क्षेत्र में 1.51 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यह राज्‍य के पारिस्थितिकीय स्थिति को बरकरार रखने की दिशा में राज्‍य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • राज्‍य में एकीकृत वित्‍तीय प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) के विकास में महत्‍वपूर्ण प्रगति हुई है।

वित्‍त आयोग ने निम्‍नलिखित के बारे में चिंता प्रकट की:

  • बढ़ता बकाया ऋण- जीएसडीपी अनुपात, राज्‍य एफआरबीएम के साथ अनुपालन न होना और घटता पूंजीगत खर्च।
  • राज्‍य बढ़ते बकाया ऋण- जीएसडीपी अनुपात में वृद्धि का रूझान प्रदर्शित कर रहा है। जीएसडीपी अनुपात के प्रति बढ़ता ऋण 2012-13 के 31.57 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 34 प्रतिशत तक हो गया।
  • वर्ष 2017-18 के दौरान, पूंजीगत खर्च में पिछले साल की तुलना में कुल मिलाकर 30,701 करोड़ रुपये (44 प्रतिशत) की कमी आई। इसका कारण मुख्‍यत: निम्‍नलिखित में खर्च में कमी रहा :
  • सड़क और पुल ( 14,724 करोड़ रुपये)
  • विद्युत  (3,369 करोड़ रुपये)
  • खाद्य भंडारण और भंडारगृह (1,748 करोड़ रुपये)
  • प्रमुख सिंचाई (1,586 करोड़ रुपये)
  • विद्युत क्षेत्र
  • सातवें वेतन आयोग के वजह से राज्‍य पर पेंशन और ब्‍याज का भारी बोझ है।
  • राज्‍य की पीएसयू लगातार घाटे में चल रही हैं। 107 पीएसयू में से 100 पीएसयू के खातों में बकाया राशि देय है। कार्यशील पीएसयू और निगमों की हानि वर्ष 2012-13 में 62,901 करोड़ रुपये से वर्ष 2017-18 में बढ़कर 125,325 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा विद्युत क्षेत्र की पीएसयू में किये गये महत्‍वपूर्ण निवेश के बावजूद, विद्युत क्षेत्र की पीएसयू का घाटा 2012-13 में 11,829 करोड़ रुपये से वर्ष 2017-18 में बढ़कर 18,415 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
  • बिजली वितरण कंपनियों में उदय योजना के कार्यान्‍वयन में राज्‍य ने फीडर मीटरिंग और ग्रामीण फीडर ऑडिट में 100  प्रतिशत प्रगति हासिल की है। हालांकि, राज्‍य का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है और वह डीटी मीटरिंग शहरी, डीटी मीटरिंग ग्रामीण, स्‍मार्ट मीटरिंग, एटीएंडसी घाटा और बिजली सुविधा से वंचित घरों तक बिजली पहुंचाने जैसे मानकों के लिए राज्‍य का प्रदर्शन लक्ष्‍य से काफी नीचे रहा। विद्युत मंत्रालय की ओर से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 में राज्‍य का घाटा उसी अवधि के दौरान 19.36 के लक्ष्‍य विपरीत 24.64 करोड़ रहा।

आयोग के ध्‍यानार्थ लाए गए अन्‍य महत्‍वपूर्ण तथ्‍य:

  • 2015 में गठित पांचवें एसएफसी ने 31 अक्‍टूबर, 2018 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इसकी प्रमुख सिफारिशें मंत्रिमंडलीय उपसमिति के पास विचाराधीन हैं। राज्‍य वर्तमान में चौथे एसएफसी की रिपोर्ट की सिफारिशों का कार्यान्‍वयन कर रहा है।
  • आकांक्षी जिलों बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र पर विशेष ध्यान दिया जाना है। (117 आकांक्षी जिलों में से 8 जिले)

मुख्‍य सामाजिक संकेतक- राष्‍ट्रीय औसत की तुलना में प्रतिकूल:

  • यूं तो राज्‍य ने स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा एनएफएचएस-4 में एनएफएचएस-3 की तुलना में महत्‍वपूर्ण सुधार प्रदर्शित किया है, लेकिन इसके बावजूद वह सामाजिक संकेतकों की उपरोक्‍त तालिका में दर्शाए गए अखिल भारतीय औसत की तुलना में स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रमुख सामाजिक संकेतकों में पिछड़ा हुआ है। राज्य को इस कमी को दूर करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • प्रमुख सामाजिक संकेतकों में राज्‍य का प्रदर्शन, सामाजिक संकेतकों के राष्‍ट्रीय औसत की तुलना में प्रतिकूल है।
  • राज्‍य के एसडीजी सूचकांक का मूल्‍य 42 है, जो 57 की राष्‍ट्रीय औसत मूल्‍य से कम है। भारतीय राज्‍यों में राज्‍य का स्‍थान 29वां है।
  • राज्‍य को एसडीजी-1 गरीबी नहीं, एसडीजी-2 भूखमरी नहीं, एसडीजी-3 अच्‍छी सेहत और तंदुरुस्‍ती, एसडीजी-5 महिलाओं और पुरूषों में समानता, एसडीजी-7 किफायती और स्‍वच्‍छ ऊर्जा, एसडीजी-9 उद्योग नवाचार और अवसंरचना, एसडीजी-10 असमानता में कमी तथा एसडीजी-11 टिकाऊ शहर और समुदाय- में सुधार लाने की जरूरत है।
  • राज्‍य के 10 लाख से ज्‍यादा की आबादी वाले शहर (आगरा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी) पीएम 10 के लिए निर्धारित राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ वायु कार्यक्रम से कोसो दूर हैं। राज्‍य को इन शहरों में वायु को सांस लेने लायक बनाने तथा इन शहरों को आर्थिक और निवेश केन्‍द्र के रूप में उभरने में सक्षम बनाने के लिए योजना बनाने की आवश्‍यकता है।

श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी पांचवें वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वे 2015-16 के अनुसार उत्‍तर प्रदेश उन बड़े राज्‍यों में से एक हैं जहां बेरोजगारी दर देश की औसत 5 प्रतिशत की बेरोजगारी दर की तुलना में 7.4 प्रतिशत है।

युवाओं के लिए उत्‍पादन वाले रोजगार आर्थिक विकास के लिए बेहद जरुरी हैं। उत्‍तर प्रदेश ने वित्‍त आयोग को दिए अपने ज्ञापन में कहा है कि राज्‍य में युवा आबादी का प्रतिशत सबसे ज्‍यादा है जिसे न केवल शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं मुहैया कराना जरूरी है बल्कि रोजगार के पर्याप्‍त अवसर भी दिए जाने हैं ताकि वे देश के सर्वांगीण विकास में योगदान कर सकें।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि रोजगार सृजन तथा कौशल विकास जैसे कार्यक्रम राज्‍य में प्रभावी तरीके से चलाए जाने चाहिए ताकि युवा बेहतर रोजगार के अवसर पाने में सक्षम हो सकें।

राज्य ने 1,02,138 करोड़ रुपये का विशिष्ट अनुदान किया है। इसमें विद्युत के लिए 30,000 करोड़ रुपये, बुंदेलखंड और विंध्यांचल क्षेत्र में पीने के पानी के लिए 10,000 करोड़ रुपये, ग्रामीण स्वच्छता के लिए 3,000 करोड़ रुपये, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 3,900 करोड़ रुपये, सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए 10,400 करोड़ रुपये, एसएसए शिक्षकों के वेतन के लिए 6,103 करोड़ रुपये, स्कूलों में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 7,736 करोड़ रुपये, फॉरेंसिक साइंस लैब्स के लिए 357 करोड़ रुपये, नए जिलों में पुलिस लाइनों के लिए 1,750 करोड़ रुपये, नए जिलों में जेलों के लिए 1,050 करोड़ रुपये, शहरी विकास के लिए 2,500 करोड़ रुपये, वनों के  संरक्षण और पर्यावरण के लिए 1,422 करोड़ रुपये, चिकित्सा शिक्षा के लिए 5,720 करोड़ रुपये, चिकित्सा और स्वास्थ्य के लिए 13,846 करोड़ रुपये, प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 4,262 करोड़ रुपये, पुरातत्व कार्यों के संरक्षण के लिए 92 करोड़ रुपये दिए गए हैं। राज्य शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 4,35,090 करोड़ रुपये की मांग की गई है।

इससे पहले आयोग ने भारतीय जनता पार्टी के जे.पी.एस राठौर और वाई.पी. सिंह, सलमान खुर्शीद और अनूप पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, रवि प्रकाश वर्मा और उदयवीर सिंह समाजवादी पार्टी, के.के. शर्मा और लक्ष्मण प्रसाद त्रिपाठी और उमाशंकर यादव राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी और जावेद अहमद राष्ट्रीय दल, डॉ. गिरीश शर्मा और अरविंद राय स्वरूप सीपीआई तथा प्रेमनाथ राय (सीपीआईएम) सहित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत बैठक की। आयोग ने सभी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों को नोट किया ताकि इनके समाधान की सिफारिश करते समय इन पर ध्यान दिया जा सके।

आयोग ने राज्य को सभी मुद्दों पर गौर करने और अपनी रिपोर्ट में संभावित सर्वोत्तम तरीके से समाधान करने का आश्वासन दिया।

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