नई दिल्ली: चेयरमैन श्री एन. के. सिंह की अध्यक्षता वाले वित्त आयोग ने आज मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के साथ एक विस्तृत बैठक की, जिसमें एचआरडी मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, एमओएस (एमएचआरडी) श्री संजय धोत्रे और मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह बैठक ऑनलाइन कक्षा सहित शिक्षण के नए साधनों और शिक्षा के लिए के अन्य तकनीक के उपयोग के प्रभाव पर विचार विमर्श के लिए बुलाई गई थी। दुनिया में जारी महामारी के कारण इन साधनों की आवश्यकता बढ़ गई है। आयोग ने इस क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय को संशोधित ज्ञापन जमा करने की आवश्यकता पर विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और उच्च शिक्षा विभाग के साथ भी विस्तार से विचार-विमर्श किया।
आयोग ने विशेष रूप से कोविड-19 के इस दौर में शिक्षा के विषय पर 2020-21 और 2025-26 तक के लिए अपनी रिपोर्ट में सिफारिशें करने के उद्देश्य से इस बैठक को बुलाया था। इस संबंध में आयोग को इन मुद्दों पर ज्यादा स्पष्टता की आवश्यकता थी :-
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के अंतर्गत पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए परिणामों का आकलन और हस्तक्षेप तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए समयसीमा।
- आयोग द्वारा राज्यों को प्रोत्साहन उपलब्ध कराने के लिए आयोग द्वारा दिए गए सात बिंदुओं वाले सूचकांक की निगरानी।
एफसी-15 आवंटन अवधि के लिए शिक्षा में प्रदर्शन की निगरानी के लिए गुणवत्ता के आकलन के मानक
क्र. सं. | संकेतक | भार (% में) |
1 | कक्षा 3 – सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में औसत भाषा अंक | 10 |
2 | कक्षा 3 – सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में औसत गणित अंक | 10 |
3 | कक्षा 5 – सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में औसत भाषा अंक | 10 |
4 | कक्षा 5 – सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में औसत गणित अंक | 10 |
5 | कक्षा 8 – सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में औसत भाषा अंक | 10 |
6 | कक्षा 8 – सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में औसत गणित अंक | 10 |
7 | उच्च प्राथमिक से माध्यमिक स्तर पर बालक और बालिकाओं की संक्रमण दर के बीच अंतर | 40 |
- राज्यों को 202-22 तक प्रोत्साहन उपलब्ध कराने के लिए मंत्रालय द्वारा तैयार शुरुआती उपायों से जुड़े इन 7 संकेतकों पर मंत्रालय ने राज्य वार लक्ष्य दिए हैं।
आयोग ने कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव का सामना करने के लिए तैयार किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के तहत भारत सरकार द्वारा की गईं शिक्षा से संबंधित पहलों पर विचार किया :
- कोविड के दौरान तकनीक चालित ऑनलाइन शिक्षा प्रणालियां
- जिन लोगों तक इंटरनेट की पहुंच नहीं है, उनको समर्थन देने और पहुंच उपलब्ध कराने के लिए स्वयं प्रभा डीटीएच चैनल। विद्यालयी शिक्षा के लिए 3 चैनल पहले ही निर्धारित किए जा चुके थे; अब इसमें अन्य 12 चैनल जोड़े दिए गए हैं।
- स्काइप के माध्यम से घर से ही विशेषज्ञों के साथ इन चैनलों पर सजीव संवाद सत्रों के प्रसारण के लिए प्रावधान कर दिए गए हैं।
- इन चैनलों की पहुंच में सुधार के उद्देश्य से शैक्षणिक वीडियो सामग्री के प्रसारण के लिए टाटा स्काई और एयरटेल जैसे निजी डीटीएच परिचालकों के साथ समझौता किया गया है।
- iv. भारतीय राज्यों के साथ समन्वय में स्वयं प्रभा चैनलों पर उनकी शैक्षणिक सामग्री के प्रसारण के लिए एयर टाइम (4 घंटे प्रति दिन) साझा करना।
- 24 अप्रैल से अभी तक दीक्षा प्लेटफॉर्म पर 61 करोड़ हिट आ चुके हैं।
- vi. ई-पाठशाला से 200 नई किताबें जोड़ी जा चुकी हैं।
- कोविड के बाद निष्पक्षता के साथ तकनीक चालित शिक्षा
- पीएम ई-विद्या- डिजिटल/ ऑनलाइन शिक्षा तक कई प्रकार से फायदा पहुंचाने वाला यह कार्यक्रम तत्काल शुरू कर दिया गया है; जिसमें शामिल हैं :
- राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों में विद्यालयी शिक्षा के लिए दीक्षा : सभी ग्रेड के लिए ई-सामग्री और क्यू आर कोड से पढ़ी जाने वाली किताबें (एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म)
- 1 से 12 कक्षा तक के लिए प्रति कक्षा एक टीवी चैनल का निर्धारण (एक कक्षा, एक टीवी चैनल)
- रेडियो, सामुदायिक रेडियो और पॉडकास्ट का व्यापक उपयोग
- नेत्रहीन और श्रवण बाधित लोगों के लिए विशेष ई-सामग्री।
- 30 मई, 2020 से शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को स्वचालित तरीके से ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति मिलेगी।
- मनोदर्पण – मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सुधार के उद्देश्य से विद्यार्थियों, शिक्षकों और परिवारों को मनोवैज्ञानिक समर्थन देने के लिए एक पहल का तत्काल शुभारम्भ किया गया है।
- विद्यालयों, छोटे बच्चों और शिक्षकों के लिए नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा पेश किया जाएगा: इसे वैश्विक एवं 21वीं सदी की कौशल आवश्यकताओं के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- iv. हर बच्चा सीखने का स्तर प्राप्त करे और 2025 तक ग्रेड 5 में अच्छे परिणाम हासिल करे, यह सुनिश्चित करने के लिए नेशनल फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमरेसी मिशन का दिसंबर, 2020 तक शुभारम्भ किया जाएगा।
सचिव, विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग सुश्री अनीता करवाल द्वारा एक प्रस्तुतीकरण में रेखांकित किया गया कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा अप्रत्याशित स्वास्थ्य संकट के चलते विद्यालयी शिक्षा पर भी असर पड़ रहा है। इस विभाग ने विद्यालयों के बंद रहने के दौरान सीखने की प्रक्रिया जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं :
- पीएम ई-विद्या – विद्यालयी शिक्षा
- स्वयं प्रभा टीवी चैनलों के माध्यम से डिजिटल शिक्षा
- एनआईओएस (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान)
- डिजिटल पुस्तकों और ई-सामग्री के लिए ई-पाठशाला
- स्वयं पोर्टल
- ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड
- नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेस (एनआरओईआर)
- दीर्घकालिक सीखने की रणनीति के तहत डिजिटल शिक्षा की कल्पना और आकार देना
- सभी शेष उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी सुविधाओं का प्रावधान करना।
- बेहतर प्रदर्शन करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहन देना।
- एमएचआरडी द्वारा विकसित पीजीआई प्रदर्शन के आकलन का साधन होगा।
- पीजीआई में परिणामों के संकेतकों, जो सीखने के परिणामों (6 संकेतक) और माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के संक्रमण (1 संकेतक) का आकलन करते हैं, उनका उपयोग किया जा सकता है।
- अच्छे ग्रेड हासिल करने वाले राज्यों और प्रतिशत में सबसे ज्यादा सुधार दर्ज करने वाले तीन राज्यों को प्रोत्साहन आधारित अनुदान जारी किए जा सकते हैं।
- ग्रेडिंग के उद्देश्य से एक तीसरे पक्ष के द्वारा विद्यालय स्तर पर सीखने के निष्कर्षों का आकलन किया जाएगा। विभाग आकलन के तौर तरीके तैयार करने के लिए नीति आयोग के साथ मिलकर काम करेगा।
विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के लिए कुल अनुमान इस प्रकार हैं :
क्र. सं. | विवरण | कोष की आवश्यकता |
1 | आरटीई हस्तक्षेप के तहत पांच साल यानी 2021-22 से 2025-26 तक के लिए कुल संशोधित अनुमान | 4,62,827.39 |
2 | एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के लिए अतिरिक्त धनराशि | 1,13,684.51 |
3 | क्षेत्र केन्द्रित अनुदान (पीजीआई आदि) | 5,000.00 |
4 | 3.10 लाख सरकारी विद्यालयों में आईसीसी सुविधाओं का प्रावधान | 55,840.00 |
कुल | कुल आवश्यक धनराशि | 6,37,351.90 |
सचिव, उच्च शिक्षा विभाग श्री अमित खरे ने भी आयोग के सामने एक प्रस्तुतीकरण दिया, जिसमें उन्होंने जनसांख्यिकी में बदलाव और वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा की तुलना में भारत की तैयारियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने 2035 तक जीईआर में 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी सहित उच्च शिक्षा की कई चुनौतियों और सुधारों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने ग्रेड आधारित मान्यता द्वारा स्वायत्तता के माध्यम से उत्कृष्टता हासिल करना, ऑनलाइन, डिजिटल, शिक्षित की मिलीजुली प्रणाली सहित कनीक आधारित शिक्षा के बारे में भी बात की। विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा के लिए कई नियामकीय सुधारों का भी प्रस्ताव किया।
विभाग ने 2021-22 से 2025-26 की आवंटन अवधि के लिए भी वित्त आयोग के सामने एक योजना पेश की।
उच्च शिक्षा विभाग ने आयोग को अपनी वित्तीय आवश्यकता के विस्तृत अनुमान सौंपे। शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन एवं समावेशन कार्यक्रम (ईक्यूयूआईपी) विभाग के लिए 5 साल में 1,32,559.9 करोड़ रुपये की धनराशि का अनुमान दिया गया है। विभाग ने 5 साल में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों/ कार्यक्रमों के विकास के लिए 2,306.4 करोड़ रुपये की धनराशि का अनुमान दिया है। विद्यार्थियों को उपलब्ध लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल, टेलीविजन आदि डिवाइस बनाने के लिए 5 साल में 60,900 करोड़ रुपये की आवश्यकता का अनुमान जाहिर किया है। उच्च शिक्षा विभाग ने ईक्यूयूआईपी (2020-21 से 2025-26) के कार्यान्वयन के बाद अगले पांच साल में कुल 4,00,576.25 करोड़ रुपये की आवश्यकता का अनुमान है।
आयोग ने मंत्रालय द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया और सरकार को अंतिम सिफारिश करते समय हर मसले पर विचार करने का भरोसा दिलाया है।