नई दिल्ली: श्री एन.के.सिंह की अध्यक्षता में 15वें वित्त आयोग ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री बिप्लब कुमार देब के नेतृत्व में राज्य सरकार के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया। राज्य सरकार ने विशेष रूप से स्वास्थ्य,आईआईटी,विद्युत, शिक्षा, पर्यटन, आपदा राहत और अन्य क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए राज्य को केन्द्र सरकार द्वारा अधिक अधिकार दिए जाने के लिए अपना पक्ष मजबूती से रखा। उनकी प्रमुख मांगों में विभाज्य पूल, स्पैक्ट्रम नीलामी जैसे गैर कर राजस्वों का 50 प्रतिशत हस्तांतरण, तेल और गैस रॉयल्टी को विभाज्य पूल का हिस्सा बनाने, त्रिपुरा के वन क्षेत्र का प्रबंध करने के लिए अधिक अधिकार दिए जाने की मांग भी शामिल है। त्रिपुरा की 60 प्रतिशत भूमि वन आच्छादित है जो वन प्रबंधन के अधीन हैं।
वित्त आयोग ने त्रिपुरा को आदर्श राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार के दृष्टिकोण को पूरी तरह साझा किया। आयोग ने अनेक क्षेत्रों में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रभावी उपायों पर ध्यान दिया। मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में स्कूलों, कॉलेजों, अध्यापक शिक्षा और राज्य से बाहर अध्ययन कर रहे छात्रों के कल्याण में सुधार लाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास में व्यापक अवसर जुटाने के लिए कार्य कर रही है। सरकार राज्य को जैव प्रौद्योगिकी और आईटी केंद्र बनाने के लिए कार्य करने के साथ-साथ फलों, बागवानी, रबर प्लांटेशन के क्षेत्र में कृषि संभावनाओं का भी पता लगा रही है।
राज्य सरकार द्वारा दिए गए व्यापक ज्ञापन के बारे में आयोग ने राज्य सरकार को नियमों के मुताबिक अधिक से अधिक मदद करने का आश्वासन दिया। आयोग ने यह महसूस किया कि त्रिपुरा की विकास गति सकारात्मक थी। सरकार ने अभी हाल में मानव विकास के अनेक महत्वपूर्ण सूचकांकों में अच्छा कार्य किया है। आयोग ने इससे पूर्व त्रिपुरा के सभी राजनीतिक दलों के साथ जीवंत बातचीत की है। राज्य सरकार ने अपने ज्ञापन पर आयोग द्वारा सावधानीपूर्वक विचार किए जाने की उम्मीद जाहिर की है। आयोग ने राज्य के व्यापार निकायों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की और उनकी चिंताओं पर गौर किया।