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15वां वित्त आयोग ने पंजाब के व्यापार और उद्योग संस्थाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात की

देश-विदेश

नई दिल्ली: श्री एन.के. सिंह की अध्यक्षता में 15वें वित्त आयोग ने अमृतसर में पंजाब के व्यापार और उद्योग संस्थाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। आयोग पंजाब की तीन दिन की यात्रा पर है। आयोग के प्रतिनिधियों तथा राज्य सरकार के अधिकारियों से विस्तृत विचार-विमर्श किया।

  1. पंजाब के जीएसवीए में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र का योगदान अन्य चयनित सामान्य श्रेणी राज्यों (जीसीएस) की तुलना में कम है। यह राज्य के सीमित कराधान क्षमता का संकेतक है।
क्षेत्र तमिलनाडु केरल महाराष्ट्र हरियाणा पंजाब
प्राथमिक 12.02 13.06 15.33 19.46 29.20
द्वितीयक 34.11 24.35 28.63 30.74 24.57
तृतीयक 53.87 62.59 56.04 49.80 46.23
  1. पंजाब में वर्तमान में सेवा क्षेत्र में बड़े उद्यमी नहीं हैं और सेवा क्षेत्र के बहुसंख्यक करदाता सूक्ष्म, लघु तथा मझौले उद्योग (एमएसएमई) श्रेणी के अंतर्गत कवर किए गए हैं।
  2. पंजाब देश का सबसे बड़ा साइकिल और इसके कल-पुर्जे बनाने वाला राज्य है। होजरी/ऊन के सामान के अग्रणी उत्पादकों का योगदान देश में इसी तरह की मैन्युफेक्चरिंग में 65 प्रतिशत है।
  3. राज्य 54.36 प्रतिशत अंक के साथ व्यावसायिक सुगमता में 20वें स्थान पर है। दूसरी ओर पड़ोसी हरियाणा 98.06 प्रतिशत अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है।

राज्य की चुनौतियां: राज्य के ज्ञापन के अनुसार

  1. पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ के केन्द्र शासित क्षेत्र होने का नुकसान है, क्योंकि अन्य राज्य अपनी राजधानियों में बड़ी खपत का लाभ उठाते हैं।
  2. सीमावर्ती राज्य होने और पड़ोस में शत्रु देश होने के कारण राज्य में निवेश में बाधा आती है।
  3. जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश (दोनों पंजाब के पड़ोसी) को विशेष औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने से राज्य में बड़े पैमान पर औद्योगिक विकास पर प्रभाव पड़ा है।

जीएसटीः

  1. महानगरों और बड़े शहरों वाले राज्य गैर अनुपातिक रूप से सेवाओं पर जीएसटी के मद में लाभांवित हुए हैं, जबकि प्रमुख रूप से कृषि और ग्रामीण पंजाब जैसे राज्यों को इस मद में भारी नुकसान हुआ है।
  2. वैट व्यवस्था के अंतर्गत खपत की मात्रा के आधार पर विभिन्न राज्यों में कराधान की दरें अलग-अलग हैं। पंजाब में करों की दरें अधिक हैं।
  3. पंजाब राज्य द्वारा पहले बड़ी संख्या में समानों पर 14.3 प्रतिशत तथा 15.95 प्रतिशत की दर से कर लगाए जाते थे। अब राज्य जीएसटी के अंतर्गत शीतल पेय, भवन निर्माण सामग्री, मारबल तथा ग्रेनाइड, प्लाइवुड, फर्नीचर जैसे सामानों पर 6 प्रतिशत या 9 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में हैं।

राज्य सरकार की हाल की पहलें:

  1. विकास और समृद्धि के ऊंचे पायदान पर राज्य को लाने के लिए औद्योगिक तथा व्यावसायिक विकास नीति 2017 अधिसूचित की गई। यह नीति इंफ्रास्ट्रक्चर, विद्युत, सूक्ष्म लघु और मझौले उद्योग (एमएसएमई), व्यावसायिक सूगमता, स्टार्टअप तथा उद्यमशीलता, कौशल विकास, वित्तीय तथा गैर-वित्तीय प्रोत्साहनों और हितधारक, भागीदारी जैसे बिन्दुओं पर आधारित है।

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