नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के.सिंह की अध्यक्षता में
आयोग के सदस्य और वरिष्ठ अधिकारियों ने आज छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री श्री भूपेश बघेल से मुलाकत की। इस अवसर पर बघेल मंत्रिमंडल के सहयोगी और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
आयोग ने निम्नलिखित टिप्पणी की :-
- 2018-19 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में राज्य का योगदान 1.6 प्रतिशत था।
- 2018-19 में जीएसवीए में राज्य का प्राथमिक, द्वितीय और तृतियक क्षेत्र का हिस्सा (वर्तमान मूल्य)सकल राज्य घरेलू उत्पाद का क्रमश: 30 प्रतिशत, 33 प्रतिशत और 37 प्रतिशत था।
- 2018-19 में राज्य का प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,26,406 रुपये की तुलना में 96,887 रुपया था।
- राज्यों को दिये जाने वाले धन में 2010-15 के दौरान राज्य का हिस्सा 2.47 (13वें वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार) था, जो 2015-20 के दौरान बढ़कर 3.08 हो गया। (14वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार)
राज्य के वित्तीय मानकों पर आयोग ने कहा कि:-
· 2016-17 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में राज्य का अपना कर राजस्व 7.44 प्रतिशत था जो कि सभी राज्यों से अधिक था।
· 2016-17 में सभी 29 राज्यों के 41.7 प्रतिशत की तुलना में राज्य ने कुल राजस्व व्यय में से सबसे कम (वेतन, पेंशन तथा ब्याज भुगतान) 35.8 प्रतिशत खर्च किया।
· 2016-17 तथा 2017-18 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में राज्य का राजस्व अधिशेष क्रमश: 2.2 प्रतिशत और 1.2 प्रतिशत था।
· 2017-18 में राज्य का ऋण- सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अनुपात 18.6 प्रतिशत था जो राज्यों के लिए निर्धारित 20 प्रतिशत की सीमा से कम था।
· राज्य की बिजली वितरण कंपनियों के घाटे में निरंत गिरावट हुई। यह घाटा 2015-16 में 21.8 प्रतिशत था जो कि 2016-17 में 19.3 प्रतिशत और 2017-18 में (2018 में 18 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में) 18.8 प्रतिशत था।
प्रधान महालेखाकार के प्रेजेंटेशन के अनुसार राज्य सरकार को 2017-18 के 9 महीने के लिए 1,589 करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा मिला। वास्तव में 2017-18 के 9 महीनों के संभावित राजस्व की तुलना में जीएसटी वसूली में 22 प्रतिशत से अधिक की कमी आई।
सकल घरेलू राज्य उत्पाद में राज्य का वित्तीय घाटा 2016-17 के 1.6 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 2.4 प्रतिशत हो गया। यद्यपि यह 3 प्रतिशत की सीमा से अभी भी नीचे है।
राज्य का ऋण-जीएसडीपी 2011-12 के 10.8 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में
18.6 प्रतिशत हो गया। लगता है कि राज्य पर ऋण दबाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है। राज्य सरकार द्वारा किए गए अनुरोध से भी ऐसा लगता है। राज्य सरकार ने ज्ञापन में अनुरोध किया है कि ऋण जीएसडीपी का स्तर बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए ताकि राज्य वित्त वर्ष 2025 के अंत तक इससे निपट सके।
ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2018 के अनुसार छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन की भारी कमी का सामना कर रहा है। सीएचसी में स्वीकृत संख्या 652 की तुलना में विशेषज्ञों की रिक्त्यिां 595 (91.2 प्रतिशत) है। वहीं पीएचसी में स्वीकृत संख्या 793 की तुलना में डाक्टरों की रिक्तियां 434 (54.7प्रतिशत) है।
राज्य सरकार के ज्ञापन के अनुसार राज्य में कोऑपरेटिव बैंकों से जुड़े 15 लाख किसानों का 5,170 करोड़ रुपये का लघु अवधि कृषि ऋण माफ किया जाएगा और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक से जुड़े 1.65 ऋण लेने वलो किसानों के 1, 223.47 करोड़ रुपये का ऋण (30 नवंबर,2018 तक लिए गए ऋणों के लिए) माफ किए जाएंगे। आयोग ने राज्य सरकार से यह जानना चाहा कि किसानों की ऋण माफी का वार्षिक प्रभाव क्या पड़ेगा।
इस बैठक में वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा उठाए गए राज्य विशेष प्रश्नों पर विस्तार से चर्चा की गई। राज्य सरकार को आश्वासन दिया गया कि केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशों में आयोग राज्य के सभी विषयों पर उचित विचार किया जाएगा। इससे पहले आयोग ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से विस्तृत बातचीत की।