Online Latest News Hindi News , Bollywood News

प्लास्टिक कचरे से बनेगी 1741 किमी सड़क

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में नैनो टेक्नॉलाजी, प्लास्टिक कचरा, जूट, जियो टेक्सटाईल्स, फ्लाई ऐश और सीसी ब्लाक का उपयोग सड़क बनाने में अधिक से अधिक किए जाने पर फोकस किया है। ग्राम्य विकास विभाग पहली बार इन विधियों से 1741.60 किमी. सड़क बना रहा है। नई विधियों से बनने वाली सड़कें प्रचलित कंक्रीट-बिटुमिन सड़क से अधिक मजबूत और टिकाऊ होने का दावा है।

ग्राम्य विकास विभाग इस तकनीकी से 20 जून तक 927.73 किमी. सड़क बना चुका है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इन नई तकनीकों का प्रयोग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बन रही सड़कों में शुरू किया गया है। इस साल के अंत तक नई तकनीकी से बनाई जाने वाली सड़क का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

फ्लाई ऐश से बनने वाली सड़कें भी ग्रामीण परिवेश के लिए काफी अच्छी मानी जा रही हैं। इस विधि में कोयला से बिजली उत्पादन करने वाले कारखानों से निकलने वाले राख का प्रयोग किया जाता है। राख से ईंट बनाए जाते हैं और उनसे सड़क बनाई जाती है। प्रदेश में टांडा, ऊंचाहर और पनकी में फ्लाई ऐश उपलब्ध है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीमेंट कंक्रीट ब्लाक (सीसी ब्लाक) की सड़कें उन स्थानों पर बनाने को तरजीह दी जा रही है जहां पर जलजमाव की स्थिति होती है। श्री शुक्ला के मुताबिक सभी तकनीकी से एक-दो सड़कें प्रदेश के सभी जिलों में बनाई जा रही हैं।

अधिक टिकाऊ होंगी इस तकनीक से बनी सड़कें

सड़क निर्माण में कचरे में निकलने वाले प्लास्टिक का उपयोग करने से सड़क मजबूत होगी। प्लास्टिक कचरे से बनी सड़क पानी कम सोखेगी। आरआरडीए प्रबंधक सतीश शुक्ला के मुताबिक प्लास्टिक कचरा तकनीकी पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रहा है। इस तकनीकी में गिट्टी के साथ प्लास्टिक का चूरा मिलाया जाता है। इससे सड़क में प्लास्टिक का एक लेयर बन जाता है, जो पानी को सड़क पर रूकने नहीं देता। पानी नहीं सोखने के कारण यह सड़क जल्द टूटती नहीं है। प्लास्टिक कचरा से अधिक से अधिक सड़क बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More