नई दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्यों के श्रम मंत्रियों और प्रधान सचिवों (श्रम) का क्षेत्रीय सम्मेलन कल श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय की मौजूदगी में आयोजित किया गया। असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी में इसका उद्घाटन किया। भारत सरकार में श्रम एवं रोजगार सचिव श्रीमती सत्यवती और पूर्वोत्तर के सभी सातों राज्यों के अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
असम के मुख्यमंत्री ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बेलटोला स्थित ईएसआईसी मॉडल अस्पताल को उन्नत कर इसमें बिस्तरों की संख्या को मौजूदा 50 से बढ़ाकर 150 बिस्तर करने का आग्रह किया। श्री सोनोवाल ने नोटबंदी के दौरान लोगों को हुई कठिनाइयों को कम करने के लिए असम की राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर रोशनी डाली।
इस अवसर पर श्री बंडारू दत्तात्रेय ने सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न श्रम सुधारों, कामगारों की रोजगार सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों और राष्ट्रीय करियर सेवा परियोजना के क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला। भारत में स्थापित किए जाने वाले 100 मॉडल करियर केंद्रों में से 18 केंद्र पूर्वोत्तर राज्यों में ही स्थापित किए जाएंगे।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि वर्तमान सरकार की एक पहल ‘श्रम सुविधा पोर्टल’ से और ज्यादा पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित हुई है, जिससे श्रम कानूनों को बेहतर ढंग से लागू करना संभव हो पाया है। 43 श्रम कानूनों का सरलीकरण करके उन्हें 4 प्रमुख श्रम संहिताओं में तब्दील करने की प्रक्रिया जारी है। पारिश्रमिक पर संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण के रूप में संहिता और सुरक्षा एवं कार्य के माहौल पर संहिता इन 4 प्रमुख श्रम संहिताओं में शामिल हैं।
श्री दत्तात्रेय ने पूर्वोत्तर राज्यों में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की बेहतरी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर रोशनी डाली। मंत्री महोदय ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री के अनुरोध के अनुसार ही असम (बेलटोला) में स्थित 50 बिस्तरों वाले मौजूदा अस्पताल का उन्नयन चरणबद्ध ढंग से 150 बिस्तरों वाले अस्पताल के रूप में किया जाएगा।
श्री दत्तात्रेय ने यह भी कहा कि विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत कामगारों को पारिश्रमिक की कैशलेश अदायगी सुनिश्चित करने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बैंक खाते खोलने हेतु अथक प्रयास किए हैं। लगभग 25.68 करोड़ जन-धन खाते खोले जा चुके हैं और शेष कामगारों को भी इस दायरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।