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हैदराबाद में पहला ईएमआरएस राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता, 2019 शुरू

देश-विदेश

नई दिल्ली: जनजातीय कार्य राज्‍य मंत्री श्री जसवंत सिंह सुमनभाई भाभोर ने कल हैदराबाद के जीएमसी बालयोगी स्‍टेडियम, गाचीबावली में ‘प्रथम एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के स्पोसर्ट्स मीट – 2019’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर तेलंगाना सरकार के जनजातीय कल्‍याण सचिव बेनहर दत्‍त एक्‍का, तेलंगाना सरकार के जनजातीय कल्याण आयुक्त डॉ क्रिस्टिना जेड चोंगथु, तेलंगाना जनजातीय कल्याण आवासीय शिक्षा संस्थान, हैदराबाद के सचिव डॉ. आर.एस. प्रवीण कुमार आईपीएस,  तेलंगाना के खेल प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री ए वेंकेटेश्वर रेड्डी तथा भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री भाभोर ने जनजातीय आबादी का उत्थान सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार तथा जनजातीय मंत्रालय के संकल्प को व्यक्त किया। यह संकल्प मंत्रालय को आवंटित किये गये धन और केन्द्रीय मंत्रालयों के लिए (अनुसूचित जनजाति घटक पूर्ववर्ती जनजातीय उपयोजना) में व्यक्त होता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022 तक 462 एकलव्‍य आदर्श विद्यालयों की स्‍थापना करने का निर्णय लिया है। आदर्श आवासीय विद्यालय 50 प्रतिशत और उससे अधिक तथा 20,000 या उससे अधिक व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में 2022 तक स्थापित किये जाएंगे।

उद्घाटन समारोह में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने मार्च पास्ट किया और इसके बाद तेलंगाना के विभिन्न जनजातीय कल्याण आवासीय विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। श्री भाभोर ने इस अवसर पर‘ईएमआरएस स्पोटर्समीट’ ऐप्प भी लांच किया। इस खेल प्रतियोगिता में देश के 20 राज्यों के 1777 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं इनमें 975 लड़के और 802 लड़कियां हैं। 16 जनवरी, 2019 तक चलने वाली इस खेल प्रतियोगिता में हॉकी, कुश्ती, फुटबॉल, तीरंदाजी, वालीबॉल, कबड्डी, हैंडबॉल, खो-खो तथा एथलेटिक्स सहित 13 विभिन्न वर्गो में स्पर्धा होगी।.

इस खेल आयोजन का समापन केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुयाल ओराम द्वारा 16 जनवरी को किया जाएगा। इस अवसर पर जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री सुर्दशन भगत तथा जनजातीय कार्य सचिव श्री दीपक खांडेकर भी उपस्थित होंगे।

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की एक अग्रणी योजना है जो 1997-1998 में जनजातीय विद्यार्थियों के लिए दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्ता संपन्न शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू की गयी थी।

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