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1टीएस के जहाज पोर्ट विक्टोरिया, सेशेल्स की यात्रा पर

देश-विदेश

नई दिल्ली: पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1टीएस) के जहाज-आईएनएस तरंगिनी, आईएनएस सुजाता, आईएनएस शार्दुल और आईसीजीएस सारथी- 6 अप्रैल, 2019 को पोर्ट विक्टोरिया, सेशेल्स पहुंचे। तरंगिनी कोच्चि से रवाना हुआ था, जबकि अन्य तीनों जहाज पोर्ट बिएरा, मोजाम्बिक से रवाना हुए थे। ये तीनों जहाज इदाई चक्रवात के बाद ऑपरेशन सहायता के तहत मानवीय सहायता तथा आपदा राहत के लिए मोजाम्बिक गए थे। कमोडोर वरुण पाणिकर ने अपने सहयोगियों के साथ इन जहाजों का गर्मजोशी से स्वागत किया। जहाजों के बंदरगाह पर आने के दौरान आईएनएस सुजाता में सेना बैंड ने लोकप्रिया धुनें बजाई। जहाजों से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी आईएनएस सुजाता पर दी गई।

      7 अप्रैल, 2019 को 1टीएस जहाजों पर योग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इनमें उच्चायोग के अधिकारियों ने भी भाग लिया। इन जहाजों को भ्रमण के लिए खुला रखा गया था। जहाज देखने वालों में सेशेल्स मैरीटाईम एकेडमी के कैडेट भी शामिल थे।

      8 अप्रैल, 2019 को 1टीएस के वरिष्ठ अधिकारी कैप्टन वरुण सिंह ने अन्य अधिकारियों के साथ राजदूत और विदेशी मामलों के सचिव श्री बैरी फायूरे, भारतीय उच्चायुक्त डॉ. औसफ सईद, एसपीडीएफ डिफेंस फोर्सेज के प्रमुख कर्नल क्लिफोर्ड रोजलीन तथा सेशेल्स कोस्ट गार्ड के कमांडर कर्नल साइमन डाईन से मुलाकात की। सभी विशिष्ट अधिकारियों ने मोजाम्बिक में किए गए सहायता कार्यों के लिए भारतीय नौसेना के जहाजों की सराहना की। समुद्री प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सैन्यकर्मियों ने बॉटेनिकल गार्डन, सेशेल्स मैरीटाईम एकेडमी और सेशेल्स कोस्ट गार्ड बेस का भी भ्रमण किया। सेशेल्स कोस्ट गार्ड के नाविकों ने आईएनएस शार्दुल का भ्रमण किया।

      8 अप्रैल, 2019 को आईएनएस सुजाता पर एक रात्रि भोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कैप्टन वरुण सिंह ने स्वागत भाषण दिया। इसके बाद राजदूत श्री बैरी फायूरे ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और सेशेल्स के द्विपक्षीय संबंध मजबूत है। उन्होंने 2018 में भारत द्वारा सेशेल्स को उपहार स्वरूप डॉर्नियर देने की प्रशंसा की।

      1टीएस के जहाज विदेश में तैनाती के अंतिम पड़ाव पर हैं। जहाज 10 अप्रैल, 2019 को कोच्चि के लिए रवाना होंगे। तैनाती के तहत जहाज सबसे पहले पोर्ट लुईस, मॉरिशस पहुंचे। वहां से तीन जहाजों को मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए मोजाम्बिक रवाना किया गया था।

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