नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेकैंया नायडू ने आज शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में 2016 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किए। श्री नायडू ने इस अवसर पर ‘दीक्षा’ पोर्टल का भी शुभारम्भ किया, जो शिक्षकों के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल माध्यम है। ‘दीक्षा’ पोर्टल शिक्षक की शिक्षा के दायरे को गति देने के साथ-साथ और आगे विस्तारित करेगा। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री एम. वेकैंया नायडू ने शिक्षाविद और विद्वान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद किया। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को उनके अमूल्य सेवाओं के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को दिया जाने वाला यह सम्मान भविष्य में दूसरों के लिए प्रेरणा का माध्यम बनेगा। उन्होंने मातृभाषा के महत्व पर बल देते हुए कहा कि हमें इसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि औसत दर्जे का शिक्षक बताता है, अच्छा शिक्षक स्पष्ट करता है, बेहतर शिक्षक वर्णित करता है और एक महान शिक्षक प्रेरित करता है। एक शिक्षक का आदर्श व्यवहार होना चाहिए, जिससे वह अपने छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ सके। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने देश के एक करोड़ शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जो समाज शिक्षकों की गरिमा का सम्मान करता है, वह एक प्रगतिशील समाज है। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों को कुशलतापूर्वक प्रदर्शन करना चाहिए ताकि समाज उन्हें महत्व दे सके, क्योंकि वे हमारे प्राचीन शिक्षण तंत्र में सबसे मूल्यवान थे। श्री जावड़ेकर ने कहा कि सभी को गुणवत्तापरक शिक्षा ‘सबको शिक्षा अच्छी शिक्षा’ प्रदान करने की दिशा में उनका मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने शिक्षकों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संदेश – ‘बदलाव के लिए सीखना, सशक्त बनाने के लिए शिक्षित करना और नेतृत्व के लिए सीखाना’ को दोहराया।
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने 2016 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की चुनौती से निपटना एक महत्वपूर्ण कार्य है। इस दिशा में भारत सरकार और शिक्षकों को सामूहिक रूप से काम करना होगा।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि हम आज जो भी हैं वो अपने शिक्षकों के बदौलत हैं। उन्होंने कहा कि छात्र, जो देश का भविष्य है, उनके ज्ञान, मूल्यों और विवेक के बल पर हम भविष्य में नए भारत का निर्माण कर सकते हैं।
इस अवसर पर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव श्री अनिल स्वरूप ने सभी का धन्यवाद दिया।
पुरस्कार के रूप में एक रजत पदक, प्रमाण पत्र और 50,000 रूपये की राशि प्रदान की जाती है।