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केन्‍द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली 22 सितम्‍बर, 2016 को ‘पीपीपी में सर्वोत्‍तम प्रथाएं और ब्रिक्‍स देशों के दीर्घकालिक बुनियादी ढांचागत वित्त पोषण’ पर संगोष्‍ठी का उद्घाटन करेंगे

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत ने वर्ष 2016 के लिए ब्रिक्‍स की अध्‍यक्षता ग्रहण कर ली है और प्रमुख राजनीतिक एवं कारोबारी विचार-विमर्श अक्‍टूबर, 2016 में होगा। इस शिखर सम्‍मेलन से पहले भारत की ओर से ब्रिक्‍स की भावना के अनुरूप अनेक आयोजन किये जा रहे हैं। नई दिल्‍ली में 22 सितम्‍बर, 2016 को ‘पीपीपी में सर्वोत्तम प्रथाएं एवं ब्रिक्‍स देशों के दीर्घकालिक बुनियादी ढांचागत वित्तपोषण’ पर आयोजित की जाने वाली संगोष्‍ठी भी इन आयोजनों में शामिल है। केन्‍द्रीय वित्त एवं कंपनी मामले मंत्री श्री अरुण जेटली इस संगोष्‍ठी का उद्घाटन करेंगे।

यह संगोष्‍ठी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से आयोजित की जा रही है।

इस संगोष्‍ठी का पहला सत्र ‘नियामक से जुड़े मुद्दों एवं बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के वित्त पोषण’ पर केन्द्रित होगा। बुनियादी ढांचागत विकास से जुड़े मुद्दों में परियोजनाओं की लंबी क्रियान्‍वयन अवधि भी शामिल है। बुनियादी ढांचागत विकास को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें नियामक से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं। उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाएं विभिन्‍न बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों में एक कारगर नियामक रूपरेखा सृजित करने में जुट गई हैं। भारी-भरकम निवेश की जरूरतों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की वित्त संबंधी बाधाओं को ध्‍यान में रखते हुए निजी क्षेत्र को इसमें बड़ी भूमिका निभानी होगी। चूंकि ढांचागत विकास पर असर डालने वाले वित्तीय एवं गैर-वित्तीय दोनों ही मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है, इसलिए इस सत्र में समस्‍त हितधारकों से इन मुद्दों पर अपने विचार पेश करने के लिए कहा जायेगा।

इस संगोष्ठी का दूसरा सत्र ‘पीपीपी से जुड़ी परियोजनाओं को सुपुर्द करने एवं ठेके के उपरान्‍त अनुबंध प्रबंधन’ पर केन्द्रित होगा। बुनियादी ढांचागत परिसम्‍पत्तियों के सृजन के लिए खरीद के एक साधन के रूप में पीपीपी के उपयोग एवं सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी को वैश्विक स्‍तर पर स्‍वीकार किया गया है। पीपीपी से जुड़े अनुबंध अक्‍सर काफी जटि‍ल होते हैं, जिनके तहत दोनों ही पक्षों से यह उम्‍मीद की जाती है कि वे 15-30 वर्षों की दीर्घकालिक रियायती अवधि के दौरान उभर कर सामने आने वाली अनिश्‍चि‍तताओं एवं जटिलताओं का सही ढंग से प्रबंधन करेंगे। रियायती अवधि के दौरान बदलते परिदृश्‍य के समुचित प्रबंधन, अनिश्चितताओं से निपटने एवं विवादों को कारगर ढंग से सुलझाने को पीपीपी परियोजनाओं की सफलता के लिहाज से काफी अहम माना जाता है।

इस संगोष्‍ठी में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री शक्तिकांत दास भी भाग लेंगे।

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