2019 लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है. लोकसभा चुनाव से 18 महीने पहले वामपंथी दल सीपीएम ने कांग्रेस के साथ जाने और न जाने को लेकर माथापच्ची शुरू कर दी है. CPM दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है. एक खेमा कांग्रेस के पक्ष में है तो दूसरा इसके खिलाफ. सीताराम येचुरी कांग्रेस समर्थक गुट की अगुवाई कर रहे हैं तो प्रकाश करात खेमा किसी गठबंधन के साथ नहीं जाना चाहता.
नई दिल्ली में सीपीएम के मुख्यालय में तीन दिनों तक केंद्रीय समिति की बैठक चली. सोमवार को बैठक का आखिरी दिन था. पार्टी के स्टैंड में बदलाव करने की बात उठी. सीपीएम की केंद्रीय समिति की बैठक में पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने एक प्रस्ताव रखा, जिसमें कहा गया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए वामपंथी दलों को सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ तालमेल बढ़ाना होगा. हालांकि इस प्रस्ताव में सीधे-सीधे कांग्रेस का उल्लेख नहीं है, लेकिन येचुरी के करीबी सूत्रों के अनुसार येचुरी अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस समेत तमाम धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ वैचारिक और चुनावी समझौता कर सियासी मैदान में उतरना चाहते हैं.
दूसरी तरफ प्रकाश करात ने एक दूसरा प्रस्ताव केंद्रीय समिति की बैठक में रखा, जिसमें वामपंथी दलों को किसी भी पार्टी से चुनावी तालमेल न करने की बात कही गई है. इस प्रस्ताव पर 63 सदस्यों ने अपनी बात रखी जिसमें 32 सदस्यों ने प्रकाश करात की लाइन का समर्थन किया तो वहीं 31 सदस्य येचुरी से सहमत नजर आए. यानी दोनों की गुट में कांटे की टक्कर है. हालांकि येचुरी और करात दोनों नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ हैं. दोनों वामपंथी नेता चाहते हैं कि मोदी को सत्ता से 2019 में बेदखल करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. लेकिन ये कैसे हो इसे लेकर दोनों में मतभेद हैं.
बात दें कि तीन साल के भीतर ही सीपीएम अपने पुराने स्टैंड से हटकर दोबारा सेकुलर पार्टियों के साथ जाने की तैयारी कर रही है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. तीन साल पहले विशाखापट्टनम में हुई पार्टी कांग्रेस में यह प्रस्ताव पास हुआ था कि वामपंथी दल न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस के साथ किसी तरह का तालमेल या गठबंधन करेंगे. इसके बावजूद 2019 के लिए सीपीएम का एक बड़ा धड़ा कांग्रेस से गठबंधन की सोच रहा है.
Aajtak
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