नई दिल्ली: केन्द्रीय बिजली, कोयला, खान तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) ऊर्जा सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने में एक अहम माध्यम के रूप में भूमिका अदा कर सकता है। इससे एसडीजी में निर्धारित किए गए वैश्विक ऊर्जा पहुंच लक्ष्य को वर्ष 2030 से पहले हासिल करने में भी मदद मिल सकती है। वह कल अहमदाबाद में अफ्रीकी विकास बैंक (एफडीबी) की 52वीं वार्षिक बैठक के मौके पर फ्रांस और भारत द्वारा शुरू किए गए ‘स्केलिंग सौर मिनी ग्रिड’ के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए श्री पीयूष गोयल ने मज़बूत भारत-अफ्रीका सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र कम लागत एवं अभिनव वित्तपोषण मॉडल, जोखिम न्यूनीकरण, ऊर्जा पार्कों की मदद से व्यापक स्तर की उर्जा परियोजनाओं की स्थापना आदि के संबंध में एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि भारत ने सौर शुल्क के मामले में ग्रिड समानता हासिल कर ली है।
श्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि स्केलिंग सोलर मिनीग्रिड आईएसए के सभी उद्देश्यों के साथ मिलकर काम करेगा। 22 अप्रैल 2016 को शुरू हुए कृषि उपयोग के लिए स्केलिंग सौर अनुप्रयोग और स्केल पर किफायती वित्त नामक दो कार्यक्रम वर्तमान अस्तित्व में हैं। इन कार्यक्रमों के अतंर्गत मुख्य गतिविधियों में छोटे ग्रिडों का डिजाइन और उनकी तैनाती, समान मानकों को अपनाना, कुल मांग, वैश्विक ऋण वृद्धि और जोखिम कम करने वाले तंत्र को स्थापित करने में सहायता करना, मिनी ग्रिड के लिए मांग और लागतों की आवश्यकता का आकलन, उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक भुगतान मॉडल की पहचान / विकसित करना आदि शामिल हैं।
कोमरोस गणराज्य के उप राष्ट्रपति श्री अहमद सइद हसैनी जाफर ने अपने सम्बोधन में आईएसए द्वारा किए जा रहे प्रयासों का स्वागत करते हुए कहा कि अफ्रीका सौर संसाधन संपन्न क्षेत्र है और सौर ऊर्जा में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकता है।
आईएसए का तीसरा कार्यक्रम इनसुलर अथवा असंबद्ध बिजली ग्रिडों में सौर ऊर्जा को एकीकृत करने की चुनौतियों का समाधान करने का एक प्रयास है।
आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अफ्रीकी देशों में 6,40,000 सौर पंप लगाने, 56 मेगावाट मिनीग्रिड स्थापित करने और 5400 सौर यांत्रिकी की व्यवस्था करने के लिए भारत की विभिन्न कंपनियों से इच्छा की अभिव्यक्ति प्राप्त हुई है। अफ्रीकी देशों में विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने के लिए भारत सरकार 10 बिलियन अमरीकी डॉलर का ऋण मुहैया कराने के प्रतिबद्ध है।