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21वीं सदी में विकास का मार्ग हिंद महासागर से: प्रधानमंत्री

देश-विदेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना गोदी, मुम्बई में आयोजित एक शानदार समारोह में आईएनएस कलवरी (एस-21) का जलावतरण किया। भारतीय नौसेना में परियोजना 75 (कलवरी श्रेणी) के अन्तर्गत निर्मित 6 स्कॉरपीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से यह पहली पनडुब्बी है। फ्रांसीसी निर्माता मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से  मझगांव डॉक लिमिटेड में निर्मित होने वाली 6 पनडुब्बियों में से इस पहली पनडुब्बी को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया।

इस ऐतिहासिक और युगांतरकारी घटना के अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री विद्या सागर राव, मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फणनवीस, रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत कुमार डोभाल, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लाम्बा, पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिग इन चीफ वाइस एडमिरल गिरीश लूथरा, सीएमडी, एमडीएल कमोडोर राकेश आनंद (सेवानिवृत्त), तत्कालीन कलवरी (सोवियत फॉक्सट्रोट श्रेणी पनडुब्बी) के कमांडिग ऑफिसर कमोडोर सुब्रमनयन (सेवानिवृत्त) और अनेक अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

नौसेना गोदी, मुम्बई पहुंचने पर नौसेना अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री की अगवानी की। प्रधानमंत्री को गार्ड ऑफ आनर दिया गया और उनका वहां मौजूद जहाज के अधिकारियों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों से परिचय कराया गया। इस अवसर पर भारत की जनता को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने आईएनएस कलवरी को मेक इन इंडिया का एक प्रमुख उदाहरण बताया। उन्होंने इसके निर्माण में शामिल लोगों की सराहना की। उन्होंने पनडुब्बी को भारत और फ्रांस के बीच तेजी से बढ़ती हुई साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आईएनएस कलवरी भारतीय नौसेना को और अधिक ताकत प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी को एशिया की सदी कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि 21वीं सदी में विकास का मार्ग हिंद महासागर से होकर गुजरेगा। इसीलिए सरकार की नीतियों में हिंद महासागर का विशेष स्थान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कल्पना को सागर-क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास से समझा जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हिंद महासागर में अपने वैश्विक, रणनीतिक और आर्थिक हितों के प्रति पूरी तरह सतर्क है। उन्होंने कहा, यही कारण है कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में आधुनिक और बहुआयामी भारतीय नौसेना प्रमुख भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि महासागरों की सहज संभावना हमारे राष्ट्रीय विकास की आर्थिक शक्ति बढ़ाती है। यही कारण है कि भारत को समुद्र के रास्ते आतंकवाद, डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियों की भली-भांति जानकारी है, न केवल भारत को बल्कि क्षेत्र के अन्य देशों को भी इन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इन चुनौतियों से निपटने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, भारत का मानना है कि विश्व एक परिवार है, और अपनी वैश्विक जिम्मेदारियां पूरी कर रहा है। भारत ने संकट के समय अपने सहयोगी देशों के लिए सबसे पहले प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारतीय कूटनीति और भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान का मानवीय चेहरा हमारी खासियत है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत और सक्षम भारत को मानवीयता के लिए एक प्रमुख भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि दुनिया के देश शांति और स्थिरता के रास्ते पर भारत के साथ चलना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में रक्षा और सुरक्षा से जुड़ी समूची प्रणाली में परिवर्तन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि आईएनएस कलवरी के निर्माण के दौरान जिस कौशल का इस्तेमाल किया गया वह भारत के लिए एक पूंजी है।

अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि एक रैंक एक पेंशन का लम्बित मामला हल कर लिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियों और सशस्त्र बलों की बहादुरी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में छद्म युद्ध के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल सफल नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों के प्रति आभार व्यक्त किया।

एक बार फिर पनडुब्बियों का उत्पादन दोबारा शुरू करने के लिए एमडीएल को बधाई देते हुए रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने यार्ड कर्मियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन उनका काफी महत्व है। उन्होंने कहा कि पनडुब्बी निर्माण की प्रक्रिया देश में एक बार फिर शुरू हो चुकी है और इसे रूकना नहीं चाहिए। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि उद्योग में अनियमित शुरूआत और रूकावट से बचने और देश के भीतर उच्च प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म के निर्माण के लिए कौशल का एक पूल बनाये रखने की      की आवश्यकता है। इसे बनाये रखने से भारतीय उद्योग की बेहतरी होगी, कौशल को बनाये रखा जा सकेगा।

उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि यह जलावतरण देश में पनड्ब्बी के निर्माण की दिशा में मील का पत्थर है। भारतीय नौसेना देश में निर्माण के सिद्धान्त और सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध है। कलवरी का जलावतरण हमारे इस संकल्प का गवाह है और यह उपलब्धियां आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारतीय नौसेना के अति सक्रिय और समेकित दृष्टिकोण का परिणाम है।

इसके बाद पनडुब्बी का कमीशनिंग वारंट कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन एस डी मेहनदले ने पढ़ा। इसके बाद पहली बार पनडुब्बी पर नौसेना का ध्वज फहराया गया और “ब्रेकिंग ऑफ द कमीशनिंग पैनेंट” के साथ राष्ट्रगान बजने के साथ जलावतरण समारोह का समापन हो गया।

आईएनएस कलवरी में पहले कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कैप्टन एस डी मेहनदले के साथ 8 अधिकारियों और 35 नाविकों का एक दल सवार था। जलावतरण से भारतीय नौसेना और विशेषकर पश्चिमी नौसेना कमान की आक्रामक क्षमता में वृद्धि होगी।

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