देहरादून: उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में उत्तराखण्ड के सभी नागरिकों को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल ने कहा कि ‘योग’ भारतीय सभ्यता, संस्कृति तथा जीवन शैली का अभिन्न अंग है जिसकी वैज्ञानिकता आज पूरा विश्व स्वीकार चुका है। भारत की पहल पर, राष्ट्रसंघ के 190 देशों में से 177 देशों के समर्थन के बाद राष्ट्रसंघ द्वारा 21जून को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाये जाने का ऐतिहासिक निर्णय इस बात को प्रमाणित करता है।
भारत के ऋषि मुनियों के गहन अध्ययन और शोध से भारत को मिली इस अमूल्य धरोहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्थक प्रयासों से इसे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिलना भारतवासियों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
‘योग‘ एक प्रायोगिक विज्ञान है कोई धार्मिक क्रिया नहीं। ‘योग’ शारीरिक एवं वैचारिक शुद्धता का सबसे सशक्त माध्यम और स्वस्थ्य जीवन जीने की बेहतरीन कला है। ‘योग’ एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। ‘योग’ से आने वाला चारित्रिक अनुशासन मानसिक भटकाव से बचाने में मदद करता है। इसके अभ्यास से संयम, धैर्य और सहिष्णुता जैसे मानवीय गुणों का विकास होता है।
विज्ञान और तकनीकी के इस युग में इंसान कई तरह के मानसिक और शारीरिक दवाबों के बीच जीने को विवश है ऐसे में योग ही एक ऐसा विशुद्ध और निर्विवादित उपाय है जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करके सहज जीवन जीने की शक्ति प्रदान करता है।
उत्तराखण्ड की धरती ऋषि-मुनियों की तपस्थली तथा योग का उद्गम स्थली रही है। उत्तराखण्ड को ‘विश्व यौगिक केन्द्र’ के रूप में स्थापित करने के लिए ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ एक सुनहरा अवसर है। प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा के अपार संसाधनों से संपन्न उत्तराखण्ड में ‘विश्व यौगिक केन्द्र’ के रूप में पूरी दुनिया का नेतृत्व करने की सारी विशेषतायें और क्षमताएं हैं। ‘
योग’ जीवन जीने की सर्वश्रेष्ठ शैली है। आइए! आज इस अवसर पर, योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर स्वस्थ जीवन जीने की पहल करें और पूरे विश्व को इससे जोड़ने का प्रयास करंे।’’