नई दिल्ली: हस्तनिर्मित कालीनों और अन्य फर्श-कवर के विशिष्ट व्यापार मेले 30वें इंडिया कार्पेट एक्सपो का शुभांरभ 11 अक्टूबर, 2015 को वाराणसी में हुआ। यह वाराणसी में आयोजित की जा रही 11वीं प्रदर्शनी (एक्सपो) है। इस एक्सपो का आयोजन कालीन निर्यात संर्वधन परिषद द्वारा वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। इस चार दिवसीय मेले का उद्घाटन भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय में सचिव डॉ. संजय कुमार पांडा, आईएएस, ने किया।
यह प्रदर्शनी व्यवसाय के लिए 14 अक्टूबर, 2015 तक खुली रहेगी। श्री जे.के. डाडू, आईएएस, एएस एवं एफए, कपड़ा व वाणिज्य मंत्रालय, श्री आलोक कुमार, आईएएस, विकास आयुक्त (हथकरघा व हस्तशिल्प), कपड़ा मंत्रालय, श्री कुलदीप आर. वट्टल, चेयरमैन, सीईपीसी और समिति प्रशासन के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
भारत के विभिन्न शिल्प निर्माण हिस्सों में तैयार हस्तनिर्मित कालीनों के 303 निर्यातकों ने इस एक्सपो में अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया है। मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ. पांडा ने इस बात का जिक्र किया कि हस्तनिर्मित कालीन उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समाज के गरीब तबकों के लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
कालीन निर्यात संर्वधन परिषद को जयापुरा गांव तथा उसके आसपास के क्षेत्रों की महिला कारीगरों को प्रशिक्षित करने का जिम्मा सौंपा गया है। अऩेक प्रशिक्षक, आवश्यक बुनियादी ढांचागत और कच्चा माल मुहैया कराने के अलावा प्रशिक्षुओं को मंत्रालय की इस कौशल विकास पहल के तहत मासिक वजीफा भी दिया जाता है। इन प्रशिक्षित कारीगरों को प्रमुख निर्यातक कंपनियों के साथ भी जोड़ा जा रहा है, ताकि उन्हें बुनाई से जुड़े कार्य दिए जा सके। इससे हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को कुशल बुनकरों की किल्लत की समस्या से जूझने में मदद मिलेगी, जो इस उद्योग के लिए चिंता का मुख्य विषय है।
कालीन निर्यात संर्वधन परिषद को जयापुरा गांव की इन प्रशिक्षित कारीगरों को कालीन बुनाई करघे और वर्क-शेड मुहैया कराने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि उन्हें आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर उद्यमी बनाया जा सके। कपड़ा मंत्रालय की पहल माननीय प्रधानमंत्री की विकास अवधारणा ‘सबका साथ सबका विकास’ के अनुरूप है। डॉ. पांडा ने भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद देने का आग्रह मीडिया से किया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में दर्शाए गए उत्पादों से यह बात स्पष्ट तौर पर जाहिर होती है कि भारत में खरीदारों एवं उपभोक्ताओं की जरूरतों के अनुरूप तरह-तरह के गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन होता है।
सीईपीसी के चेयरमैन श्री कुलदीप आर. वट्टल ने सूचित किया कि हस्तनिर्मित कालीनों के निर्यात में17 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के पूर्ण सहयोग से ही यह संभव हो पा रहा है। इंडिया कार्पेट एक्सपो, अक्टूबर, 2015 कालीन उद्योग के लिए अब तक आयोजित किया गया सबसे बड़ा व्यापार मेला साबित होगा। 60 देशों के 440 विदेशी कालीन खरीदारों ने इस मेले में आने के लिए परिषद में अपना पंजीकरण कराया है। इनमें मुख्यतः अर्जेंटीना,ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बहरीन, बेल्जियम, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, चीन, कोलम्बिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, मिस्र, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, घाना, ईरान, इस्राइल, इटली, जापान, जॉर्डन,कजाकिस्तान, कुवैत, लेबनान, लक्जमबर्ग, मलेशिया, मॉरीशस, मेक्सिको, नेपाल, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड,नाइजीरिया, फिलीस्तीन, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सऊदी अरब, सर्बिया, सिंगापुर, स्लोवाकिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और यूक्रेन शामिल हैं। परिषद ने हर देश के चुनिंदा खरीदारों को इस मेले में आने के लिए प्रोत्साहनों की पेशकश की है।
इस मेले के पहले ही दिन 220 से ज्यादा विदेशी कालीन खरीदारों ने अपने 180 खरीद प्रतिनिधियों के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज करा ली। सीईपीसी के चेयरमैन श्री कुलदीप आर. वट्टल ने इंडिया कार्पेट एक्सपो के आयोजन के वास्ते वित्तीय सहायता देने के लिए कालीन उद्योग की ओर से भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस एक्सपो में अच्छा व्यवसाय होगा। उन्होंने कुटीर आधारित एवं रोजगार उन्मुख हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को पूर्ण सहयोग देने के लिए मीडिया से आग्रह किया, जो लाखों कारीगरों/बुनकरों को रोजगार मुहैया कराता है।