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31 मई विश्व तंबाकू दिवस पर विशेष

31 मई विश्व तंबाकू दिवस पर विशेष
उत्तराखंड

देहरादून: दुनिया भर में आज का दिन (31मई) विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रुप में मनाया जा रहा है, और इसी 24 घंटे के दौरान देशभर में 3288 लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के के कारण कैंसर अन्य बीमारियों से दम तोड़ देंगे। वहीं उतराख्ंाड में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर करीब 45 लोग अपनी जान गंवा देंगे। इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस वर्ष 2017 का थीम ‘‘ विकास में बाधक तंबाकू उत्पाद ’’ रखा है। आंकड़ों के अनुसार एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट व पूरा पैकेट तीन घंटे चालीस मिनट तक छीन लेता है। तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों के सेवन से देशभर में प्रतिघंटा 137 लोग अपनी जान गंवा रहे है। वहीं दुनिया में प्रति 6 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। ये आकंडे हम सभी के लिए बहुत ही चिंताजनक है।

वर्ष 2010 में वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण ( गेट्स )के अनुसार उतराख्ंाड में 30.7 प्रतिशत करीब 21 लाख 64 हजार 772 ़ लोग किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं और इनमें से 7500 लोगों की मृत्यु तंबाकू से संबधित रोगों के कारण प्रतिवर्ष हो जाती है। भारत में 48 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रुप में तंबाकू का प्रयोग करते है।

वहीं देश की 20 प्रतिशत महिलाएं सिगरेट एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन का शौक रखती हैं, इनमें देश के साथ- साथ प्रदेश की शहरी व ग्रामीण महिलाएं भी इसमें शामिल है। गेटस सर्वे के अनुसार देश की दस फीसदी लड़कियेां ने स्वंय सिगरेट पीने की बात को स्वीकारा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपेार्ट ग्लोबल टोबेको एपिडेमिक पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि महिलाओं के बीच तंबाकू का सेवन निरंतर बढ़ता जा रहा है। इनमें किशोर व किशोरियां भी शामिल हैं। जब 2010 में यह सर्वे हुआ तब 35 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे और आज 2017 में यह आंकड़ा बड़े पैमाने पर बढ़ा होगा।

किशोर उम्र के जो लड़के लड़कियां धूम्रपान करते हैं ,उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त होकर मर जाते हैं। औसतन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत तक घट जाती है। उतराख्ंाड में प्रतिदिन लगभग 45 नए लोग तंबाकू की लत का शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में किशोरों में तंबाकू का सेवन शुरू करने की औसत आयु 17 साल है जबकि किशोरियों में यह आयु 14 साल है।

उन्होने बताया कि तम्बाकू सेवन सबसे बडी मानव निर्मित त्रासदी है जिसके कारण देश में प्रतिवर्ष 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। जिसमें बीड़ी 5 लाख 80 हजार, 3.5 लाख सिगरेट और 3.5 धूम्र रहित तंबाकू पदार्थों का उपयोग करने वाले प्रतिवर्ष दम तोड़ रहें है।

वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण-भारत 2010 (जीएटीएस) के अनुसार रोकी जा सकने योग्य मौतों एवं बीमारियों में सर्वाधिक मौतें एवं बीमारियां तंबाकू के सेवन से होती हैं। विश्व में प्रत्येक 10 में से एक वयस्क व्यक्ति की मृत्यु के पीछे तंबाकू सेवन ही है। विश्व में प्रतिवर्ष 55 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। विश्व में तंबाकू सेवन के कारण हुई कुल मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि सन् 2050 तक 2.2 अरब लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे होंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ )फ्रेमवर्क कन्वेंशन फोर टोबेको कंट्रोल में दुनिया भर के 178 देशों ने अपने – अपने देश में तंबाकू नियंत्रण पर नीतियां बनाने पर अपनी सहमति जताई थी। जिसके तहत इन उत्पादों पर टैक्स बढ़ोतरी सहित सभी तरह के प्रयास जो कि इसके उपयेाग व बिक्री को कम करते हो। लेकिन इस नीति पर भी देश भर में पूरी अमल नहीं हो रहा, जिसके चलते इनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पैटर्न व स्वामी रामा हिमालयन यूनिवर्सिटी के डा.सुनील सैनी ने बताया कि तंबाकू उद्योग द्वारा तंबाकू की दुनिया के प्रति युवकों को आकर्षित करने के प्रतिदिन नए नए प्रयास किये जा रहे है। ‘युवा अवस्था में ही उन्हें पकड़ो’ उनका उद्देश्य है, तंबाकू उत्पादों को उनके समक्ष वयस्कता , आधुनिकता, अमीरी और वर्ग मानक और श्रेष्ठता के पर्याय के रूप में पेश किया जाता है, जबकि प्रदेश में तंबाकू उत्पादों के सेवन से मरने वालों की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए रिसर्च में सामने आया है कि संभवतया तंबाकू का सेवन करने वालों में जीन में भी आंशिक परिवर्तन होते है जिससे केवल उस व्यक्ति में ही नही बल्कि आने वाली पीढि़यों में भी कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही इन उत्पादों के सेवन से जंहा पुरुषों में नपुंसकता बढ़ रही है वहीं महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम होती जा रही है।

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